नारायण फार्मेसी संस्थान में आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस आधारित ड्रग डिस्कवरी पर कार्यशाला का आयोजन

डेहरी-आन-सोन  (रोहतास) विशेष संवाददाता। गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित नारायण इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी ने गत बुधवार को “कृत्रिम बुद्धिमत्ता के साथ ड्रग डिस्कवरी को गति देना” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. रजनीश कुमार, एसोसिएट प्रोफेसर, फार्मास्युटिकल इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी विभाग, आईआईटी बीएचयू, वाराणसी थे।

कार्यशाला की शुरुआत डॉ. रजनीश द्वारा कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस) और मॉलिक्यूलर डॉकिंग के परिचय से हुई। उन्होंने बताया कि आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस तकनीक दवा खोज प्रक्रिया को किस प्रकार तेज और प्रभावी बना सकती है। उन्होंने फार्मास्युटिकल अनुसंधान में आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के उपयोग, इसके लाभ, और संभावनाओं पर अपने व्यावहारिक अनुभव साझा किए। कार्यशाला को दो सत्रों में विभाजित किया गया था। पहले सत्र में ड्रग डिस्कवरी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग पर हैंड्स-ऑन प्रशिक्षण दिया गया। दूसरे सत्र में कंप्यूटर-एडेड ड्रग डिज़ाइन तकनीक का उपयोग कर मॉलिक्यूलर डॉकिंग का प्रायोगिक प्रशिक्षण प्रदान किया गया।

इस आयोजन में 60 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें विभिन्न कॉलेजों के पीजी और पीएचडी के छात्र-छात्राओं के साथ संकाय सदस्य भी शामिल थे। कार्यशाला ने फार्मेसी के क्षेत्र में नवाचार और नवीनतम तकनीकों को सीखने का एक प्रभावी मंच प्रदान किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. महेंद्र कुमार सिंह और प्रतिकुलपति प्रो. डॉ.जगदीश सिंह ने मुख्य वक्ता के तौर पर प्रतिभागियों को प्रोत्साहित किया। उन्होंने भविष्य में ऐसे शैक्षणिक और शोध केंद्रित आयोजनों को बढ़ावा देने की बात कही।

संस्थान के संकाय प्रमुख प्रो.डॉ.धर्मेंद्र कुमार ने कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए डॉ. रजनीश कुमार और आयोजन समिति को धन्यवाद दिया। मंच संचालन कमर निगार द्वारा किया गया जबकि धन्यवाद ज्ञापन प्रो. डॉ. ललितेश्वर प्रताप सिंह ने प्रस्तुत किया। यह कार्यशाला फार्मास्युटिकल अनुसंधान के क्षेत्र में तकनीकी प्रगति और नवाचार को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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