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फ्रेट कारीडोर : पूरी हुई रूट रिले इंटरलाकिंग, यात्री व मालवाहक ट्रेनों का यातायात शुरू

डेहरी-आन-सोन/डालमियानगर (बिहार)-कार्यालय प्रतिनिधि। पंडित दीनदयाल उपाध्याय (मुगलसराय) जंक्शन से सोननगर जंक्शन तक करीब सौ किलोमीटर लंबे फ्रेट कारीडोर रेलखंड के बीच अब यात्री और मालवाहक रेलगाडिय़ों का आवागमन आरंभ हो गया। रूट रिले इंटरलाकिंग (आरआरई) कार्य के कारण 200 किलोमीटर लंबे गया-मुगलसराय रेल-ट्रैक के बीच अवस्थित डेहरी-आन-सोन रेल स्टेशन पर गाडिय़ों का आवागमन पिछले कोई चार हफ्ते से बाधित हो गया था। इस रेलमार्ग से गुजरने वाली कई ट्रेनें रद्द कर दी गई थी और दूरगामी कई ट्रेनों का रूट मुगलसराय और गया के पहले बदल दिया गया था। आरआई कार्य के पूरा होने पर पुख्ता परीक्षण के बाद 30 अक्टूबर की शाम से रेलगाड़ी यातायात के लिए बहाल हो गया। त्रिस्तरीय रेलपटरी (तीन रेल-टैक) पर पहले की अपेक्षा द्रुत गति से आरंभ होगा। 30 अक्टूबर को भारतीय रेल के इस फ्रेट कारीडोर से गुजरने वाली पहली यात्री रेलगाड़ी नई दिल्ली-पुरी एक्सप्रेस (ट्रेन सं. 12801) थी। आरआरई कार्य के कारण इस रेल-ट्रैक पर 68 यात्री रेलगाडिय़ों (मेल व एक्सप्रेस) का डेहरी-आन-सोन स्टेशन पर आवागमन बंद था।

फ्रेट कारीडोर पर गुजरने वाली पहली यात्री रेलगाड़ी नई दिल्ली-पुरी एक्सप्रेस

मुगलसराय स्थित दीनदयाल उपाध्याय मंडल के मंडल रेल प्रबंधक पंकज सक्सेना, हाजीपुर स्थित पूर्व-मध्य रेल के मुख्य अभियंता (संकेत एवं दूरसंचार), मुगलसराय के सीनियर इंजीनियर (संकेत एवं दूरसंचार), डेहरी-आन-सोन के रूट रिले इंटरलाकिंग के नोडल अधिकारी वृजेश यादव द्वारा संयुक्त रूप से पूजा-अर्चना कर नारियल फोडऩे के बाद बटन दबाकर रेल-ट्रैक पर रेलगाडिय़ों के आवागमन की शुरूआत की गई। डेहरी-आन-सोन स्टेशन पर ठहरने और गुजरने वाली पहली टे्रेन नई दिल्ली-पुरी एक्सप्रेस (गाड़ी संख्या 12801) थी। इस अवसर पर आरआरई कार्य में सक्रिय हिस्सा लेने वाले सीनियर डिविजनल इंजीनियर अतुल कुमार, वरीय मंडल अभियंता आलोक कुमार, वरीय मंडल अभियंता (विद्युत) ओपी यादव, वरीय प्रबंधक (यातायात) रूपेश कुमार, उप मुख्य अभियंता (संकेत एवं दूरसंचार) विवेक सौरभ, सहायक अभियंता (संकेत एवं दूरसंचार) जगदीश प्रसाद, डेहरी-आन-सोन सेक्शन के वरीय अभियंता नरेंद्र प्रताप सिंह, टीसएम वीरेंद्र प्रसाद, कनीय अभियंता गोपाल कुमार व राजेश कुमार आदि मौजूद थे।

अरबों की लागत से तैयार हुई आरआरई
कई अरब रुपये की लागत और सैकड़ों की संख्या में मानव संसाधन के योगदान से आरआई का कार्य डेहरी-आन-सोन में पूरा किया गया है। रेलवे की इस महत्वाकांक्षी कार्य का निरीक्षण भारतीय रेल के पूर्वी क्षेत्र (भारत) के रेल टै्रफिक सेफ्टी कमिश्नर (संरक्षा आयुक्त) राम कृपाल, भारतीय रेल के पूर्व-मध्य जोन के जोनल महाप्रबंधक एलसी त्रिवेदी ने ने यहां आकर किया और रेल अधिकारियों से वार्ता कर कार्य को निर्धारित समय पर पूरा कर लेने का निर्देश दिया। दीनदयाल रेल मंडल के मंडल प्रबंधक ने तो यहां शिविर ही डाल रखा था। आरआरई कार्य (रूट रिले, रेल-टै्रक फिनिशिंग, संकेत एवं दूरसंचार, इलेक्ट्रिफिकेशन आदि) युद्धस्तर पर 06 अक्टूबर को शुरू हुआ था, जिसे निर्धारित अवधि 30 अक्टूबर को पूरा कर लिया गया। आरआरई से पारंपरिक मल्टी केबिन की उपयोगिता नहींरह गई है और रेलगाड़ी स्लाइडिंग में लगने वाले समय की बचत होगी। इससे तीन रेलपटरियों पर पहले के मुकाबले अब रेलगाडिय़ों का संचालन तेजी से होने लगा है।

(रिपोर्ट, सूचना, तस्वीर : वीरेंद्र पासवान, डेहरी-आन-सोन से वारिस अली, डालमियानगर से प्रमोद कुमार अरुण)

 

एचकेकेएसपीएल : कचौड़ी गली की रेहड़ी से बाजार के शहंशाही सफर में जुड़ा चौथा व्यापारिक उपक्रम

डेहरी-आन-सोन (वाणिज्यिक प्रतिनिधि)। ओल्ड जीटी रोड पर डिहरी बाजार स्थित हाउस आफ कामधेनु कन्फेक्शनरीज एंड स्वीट्स प्राइवेट लिमिटेड (एचकेकेएसपीएल) के व्यापारिक उपक्रम में 30 अक्टूबर से अब सुपर मार्केट भी जुड़ गया है। वाट्सएप पर एचकेकेएसपीएल के संचालक निदेशक अरुणकुमार गुप्ता द्वारा सोनमाटीडाटकाम को भेजी गई सूचना के अनुसार, शहर के उपभोक्ताओं की रोजमर्रा की जरूरत की सामग्री की पूर्ति के लिए कामधेनु स्वीट्स एंड मार्ट नाम से नए कारोबार की शुरुआत की गई है, जहां उपभोक्ताओं (ग्राहकों) को विश्वसनीय और संतोषजनक सेवा उपलब्ध होगी। कामधेनु प्रतिष्ठान शहर का सबसे विश्वसनीय मिष्टान दुकान रही है, जिसका पुराना सरोकार डेहरी-आन-सोन और आसपास के इलाके के ग्राहकों से है। एचकेकेएसपीएल के दो मुख्य आउटलेट कामधेनु स्वीट्स,  कामधेनु बेकरी और पुष्यम रेस्टुरेन्ट पहले से रहे हैं। अब नया मुख्य व्यापारिक उपक्रम स्वीट्स एंड मार्ट है।

तब पूरा शहर ओल्ड जीटी रोड पर सदर चौक, सिटी स्टेशन
कामधेनु का बाजार में अपनी बादशाहत कायम करने और नंबर-वन बनने का सफर कोई एक सदी पहले कचौड़ी गली की रेहड़ी से शुरू हुआ था, जहां कामधेनु से संचालक निदेशक जगन्नाथ प्रसाद गुप्ता के दादा ने रेहड़ी (ठेले) पर कचौड़ी की अस्थाई दुकान शुरू की थी। उस जमाने में लगभग पूरा शहर ओल्ड जीटी रोड पर लाइट रेलवे के स्टेशन डिहरी सिटी के आसपास और सदर चौक (ओल्ड जीटी रोड) से थोड़ा आगे तक सिमटा हुआ था। उस वक्त अधिसंख्य मकान खपरपोश ही थे और चूना-बालू के गारे से बने जो भी पक्के मकान थे, उनकी छतें पत्थर की पटियों से बनी थीं। तब डेहरी-आन-सोन रेल स्टेशन बन तो चुका था, मगर सोन नदी पार करने के लिए 1900 ईस्वी में निर्मित रेलपुल नहींथा। एनिकट का जलवा था, जहां के देहरीघाट से यात्री और मालवाहक पानी के जहाज (वाष्पचालित स्टीमर) खुलते थे। तब देहरीघाट और रेलस्टेशन (मालगोदाम) को जोडऩे वाली एकमात्र पतली सड़क हुआ करती थी, जो खेतों और रेडलाइट एरिया (मौजूदा मोहनबिगहा रोड) से गुजरते हुए त्रिुगुन डिहरी तिराहे से दो तरफ बंटकर कचौड़ी गली, बारह पत्थर और सराय होकर सदर चौक, डिहरी सिटी स्टेशन की ओर जाती थी।
निठालू साव की कारीगरी से मशहूर हुई थी कचौड़ी गली
तब कचौड़ी गली कचौडी-सब्जी, जलेबी के लिए सबसे सस्ती मशहूर गली हुआ करती थी, जो देशी-विदेशी रिहायशी लोगों और पर्यटकों का प्रिय भोजन होता था। कचौड़ी गली के कूक (हलुवाई) निठालू साव की कारीगरी की दूर-दूर तक ख्याति थी। इसके बाद गुरुचरण साव (जगन्नाथ प्रसाद गुप्ता के पिता) बेहतर हलुवाई हुए, जिनके प्रयास से अपने जमाने की मशहूर दुकान गोपाल मिष्ठान भंडार कचौड़ी गली से आगे बढ़कर डिहरी बाजार हनुमान मंदिर के बगल में खुली। पारिवारिक बंटवारे के बाद जगन्नाथ प्रसाद गुप्ता गोपाल मिष्ठान भंडार से अलग होकर 1984 में कामधेनु मिठाई दुकान की स्थापना की थी, जो आज शहर का ब्रांड है और जिसके सभी कारोबार को उनके बेटे-पोते संभाल रहे हैं।

(संपादन : कृष्ण किसलय)

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