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बालविकास विद्यालय : डीएम को चुनाव का निर्देश, लायंसक्लब ने किया संस्थापक सदस्य होने का दावा / रिऊर : गांव में बाजार नहीं मगर नाम है बजारी

पंजीकृत है विद्यालय प्रबंध समिति की नियमावली

सासाराम (रोहतास)-सोनमाटी टीम। बाल विकास विद्यालय रोहतास जिला का प्रथम सीबीएसई विद्यालय है, जिसकी प्रबंध समिति 35 साल पहले सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के अंतर्गत पंजीकृत हुई। विद्यालय प्रबंध समिति पर अधिकार बनाए रखने के लिए दो पक्ष पिछले सालों से आमने-सामने हैं। एक पक्ष राज्यसभा सांसद गोपालनारायण सिंह के नेतृत्व वाला है, जो विद्यालय प्रबंध समिति में मौजूदा प्रबंध निदेशक हैं। दूसरा पक्ष लायंस क्लब (सासाराम) का है। लायंस क्लब का कहना है कि बाल विकास विद्यालय का प्रमोटर लायंस क्लब है और प्रबंध समिति का संस्थापक सदस्य भी है। फिर भी लायंस क्लब को प्रबंध समिति से बाहर कर दिया गया। पहला पक्ष (गोपालनारायण सिंह आदि) यह कहता रहा है कि प्रबंध समिति में लायंस क्लब के प्रतिनिधित्व का कोई सरोकार नहींहै। बाल विकास विद्यालय प्रबंध समिति विवाद के मामले में बिहार के महानिरीक्षक (सोसाइटी निबंधन) कार्यालय की ओर से जिलाधिकारी (रोहतास) को विद्यालय की प्रबंध समिति का चुनाव कराने और चुनाव हो जाने की सूचना देने का निर्देश दिया गया है। इस आशय का पत्र राज्य सरकार के निबंधन विभाग के उप महानिरीक्षक (सोसाइटी निबंधन) सुकुमार झा ने जिला पदाधिकारी को भेजा है।
दोनों पक्षों से प्रश्नावली के जरिये पूछे गए सवाल
बाल विकास विद्यालय के प्रबंध निदेशक गोपालनारायण सिंह के विरुद्ध अनियमितता तथा वित्तीय गड़बड़ी के आरोप का परिवाद महानिरीक्षक (सोसाइटी एक्ट) के कार्यालय में लायंस क्लब आफ सासाराम (अध्यक्ष रोहित वर्मा) ने 18 सितम्बर 2018 को दायर किया। परिवाद की जांच के क्रम में सहायक महानिरीक्षक (सोसाइटी निबंधन) ने बाल विकास विद्यालय के प्रबंध निदेशक गोपाल नारायण सिंह से प्रतिक्रिया प्राप्त की। इसके बाद दोनों पक्षों को 29 बिंदुओ पर केंद्रित प्रश्नावली के जरिये जवाब देने को कहा गया। दोनों पक्षों की ओर से दिए गएउत्तर की समीक्षा में महानिरीक्षक (सोसाइटी निबंधन) कार्यालय ने माना कि दोनों पक्षों ने आरोप-प्रत्यारोप के साथ अपनी-अपनी दावेदारी पेश की है। चूंकि पंजीकृत अभिलेख के अनुसार 11 संस्थापक सदस्यों द्वारा उक्त विद्यालय की स्थापना की गई, जिनमें से चार सदस्य ही जीवित हैं, इसलिए बाल विकास विद्यालय समिति का पुनर्गठन पंजीकृत नियमावली (संविधान) के अनुरूप किया जाना आवश्यक है। उप महानिरीक्षक (सोसाइटी निबंधन) सुकुमार झा ने जिलाधिकारी को भेजे गए निर्देश-पत्र में कहा है कि जिलाधिकारी या जिलाधिकारी द्वारा नियुक्त प्रेक्षक की मौजूदगी में बाल विकास विद्यालय का चुनाव विधिवत होगा, जिसमें वैध सदस्य ही भाग लेंगे और वैध सदस्य बाल विकास प्रबंध समिति की नियमावली के अनुसार ही मान्य होंगे। मगर सोसाइटी एक्ट के नए नियम के अनुसार समिति में एक महिला सदस्य का होना जरूरी है।
लायंस क्लब ने किया कारपोरेट मेंबर होने का दावा
लायंस क्लब आफ सासाराम के अध्यक्ष रोहित वर्मा और लायंस क्लब के पूर्व जिलापाल एवं विद्यालय प्रबंध समिति के संस्थापक सदस्य डा. एसपी वर्मा ने प्रेस कांफ्रेंस में मीडिया प्रतिनिधियों से कहा कि हम मान रहे हैं कि महानिरीक्षक (सोसाइटी निबंधन) कार्यालय का निर्णय हमारे सकारात्मक कानून-सम्मत प्रतिरोध के पक्ष में है और विद्यालय प्रबंध समिति के पंजीकृत संविधान में निहित सच के साथ है। बाल विकास विद्यालय प्रबंध समिति के पंजीकृत संविधान (नियमावली) में पृष्ठ-8, कंडिका 9-1 में स्पष्ट है कि लायंस क्लब संस्थापक कारपोरेट सदस्य है। डा. एसपी वर्मा ने कहा कि उप महानिरीक्षक (सोसाइटी निबंधन) के 11 जनवरी 2018 के पत्र से यह भी स्पष्ट है कि अब तक विद्यालय प्रबंध समिति की नियमावली में कोई बदलाव नहीं हुआ है। कहा कि विद्यालय प्रबंध समिति में लायंस क्लब को सात सदस्य भेजने का अधिकार है।

मीडिया प्रतिनिधियों से वार्ता में लायंस क्लब (322-ए) के पूर्व जिलापाल राहुल वर्मा और क्लब के पदाधिकारी गौतम कुमार, अभिषेक राय, कृष्णा कुमार, डा. जावेद अख्तर, मार्कण्डेय प्रसाद, दीपक कुमार वर्मा, रोहित कुमार, पवन कुमार प्रिय, डा. विजय कुमार, सुनील कुमार सोनी, डा. राकेश तिवारी और नीरज कुमार उपस्थित थे।
(रिपोर्ट : कृष्ण किसलय/अर्जुन कुमार,  तस्वीर : अर्जुन कुमार)

रिऊर के पुनपुन तट पर पुराना गढ़ जमींंदोज और ‘बुढिय़ामाई’ घर में महफूज

रिऊर/बारुण (औरंगाबाद)-सोनमाटी टीम। ऐसा गांव, जहां कोई बाजार नहींहै मगर गांव के अंदर बीच चौरास्ते का नाम ‘बजारीÓ है। ऐसा घर, जिसके भीतर कोई स्त्री-मूर्ति या स्त्री-व्यवहार का चिह्नï मौजूद नहीं, फिर भी नाम है ‘बुढिय़ामाईÓ। यह गांव है बिहार में औरंगाबाद जिला में बारुण प्रखंड का रिऊर, जो पुनपुन नदी के किनारे हैं। यहीं निर्जन चौधरी के घर के भीतर मिट्टी के कमरे को ‘बुढिय़ामाईÓ कहते हैं, जिसमें एक कोई पांच-सात फीट ऊंचा प्रस्तर-स्तंभ एक चबुतरे पर स्थापित है। गांव के दक्षिण-पूरब सिरे पर विशाल टीला प्राचीन किसी गढ़ का अवशेष है। पूरी तरह जमींदोज हो चुके गढ़ के पीछे समतल खेत में उतरने पर ही जमींदोज गढ़ की ऊंचाई और विस्तार का अंदाजा लगता है। 1500 से अधिक मतदाता वाले रिऊर की दो बार मुखिया रहीं निर्मला कुंवर का दोमंजिला पक्का मकान गढ़ के पश्चिम में है, जिनके पारिवारिक सदस्य नरेंद्र कुमार सिंह बताते हैं कि उनका परिवार गढ़ के राजपरिवार का वंशज है। गढ़ के टीले से सटे मकान में रहने वाले अपनी तरह की घनी फरसा-कट मूंछ रखने वाले केदार सिंह भी राज परिवार के वंशधर हैं, जिनके पास गढ़ से निकली एक मूर्ति उनके घर के ऊपर बनी छोटी मंदिर में महफूज रखी गई है। केदार सिंह के अनुसार, प्रतिमा हनुमान की है, जिसकी पूजा वह और उनका परिवार नियमित करता है।
(रिपोर्ट, तस्वीर : अवधेशकुमार सिंह/निशांत राज)

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