सवाल : मारवाड़ी समाज बताए, कौन है पवन झुनझुनवाला और राष्ट्रीय वसंत महोत्सव क्या निजी आयोजन है?

डेहरी-आन-सोन (रोहतास, बिहार )-कार्यालय प्रतिनिधि। मारवाड़ की धरती पर फली-फूली अति प्राचीन मोहनजोदजडो-हड़प्पा की समकालीन खेतड़ी-किंधाना की तांबे की खानों से जुड़ी गणेश्वरी सभ्यता के वंशधर हैं मौजूदा मारवाड़ी समाज के लोग। देश में कारोबारी प्रगति के लिए व्यापारिक लिपि मुडिया की ईजाद करने वाली और संख्या गणना (हिसाब) की महारणी पद्धति का विकास-प्रचलन करने वाला प्रथम अग्रणी समुदाय है मारवाड़ी समाज। मगर विश्वविश्रुत सोन नद तट के सबसे बड़े शहर डेहरी-आन-सोन के एक संदर्भ ने सवाल खड़ा कर दिया है कि सभ्यता के इतिहास के हर कालखंड में कारोबार में सार्वदैशिक पहचान के साथ अपनी गौरवशाली निरंतर उपस्थिति दर्ज कराने वाले और इतिहास, पुरातत्व, विज्ञान, लेखन-पत्रकारिता, राजनीति, राजकीय प्रशासन, चिकित्सा, शिक्षा, प्रबंधन आदि में भी अग्रणी स्थान रखने वाले इस समाज का सूरज क्या ढल चुका है? ऐसा नहीं है तो क्यों उसने पवन झुनझुनवाला नामक व्यक्ति को अपना सिरमौर अध्यक्ष चुन-बना रखा है? जिसे सार्वजनिक तौर पर बोलने की तमीज सीखनी बाकी है और जिसकी जुबान व्यक्तिगत बात-चीत में भी बद हो जाती है? आखिर क्यों उसके नाम के ढोल-बाजे के साथ राष्ट्रीय स्तर का वसंत महोत्सव इस तरह से आयोजित हो रहा है कि जैसे मारवाड़ी समाज समर्पण के अंदाज में दिखता हो। सदियों से देश की आर्थिक-सामाजिक धमनियों में जीवन-रेखा जैसी सप्लाई लाइन का प्रतीक रहा और मितव्ययिता, व्यावहारिकता, धार्मिकता के साथ व्यापक समाज हित में स्कूलों, अस्पतालों, धर्मशालाओं की परंपरा का विस्तार करने वाले मारवाड़ी समाज की आखिर क्या विवशता है कि उसने इस चेहरे को अपना प्रतिनिधि बनाया?
सवाल मारवाड़ी समाज से सिर्फ इसलिए ही नहीं है कि उसने सार्वजनिक कारण के लिए पवन झुनझुनवाला जैसे चेहरे को अपना नेता (राजनीतिक नहीं) बना रखा है। बल्कि इसलिए भी है कि मारवाड़ी समाज के लोगों के सामने भरे परिसर में इस व्यक्ति ने मीडिया के प्रतिनिधि से अकारण जिस तरह बद-जुबानी की और वहां मौजूद मारवाड़ी समाज के लोग बेजुबान, बेचश्म, बहरे जैसे बने रहे, यह नहीं कह सके कि सार्वजनिक स्थान से किसी को अकारण यह कहने का अधिकार नहीं कि जाओ, भागो। सवाल है कि यह पवन झुनझुनवाला कौन है? क्या पुलिस के पन्नों में दर्ज पवन सेठ ही पवन झुनझुनवाला है? क्या पवन झुनझुनवाला वही है, जो बिहार, झारखंड और अन्य राज्यों में भी लाटरी माफिया के रूप में चर्चित है और जिससे संबंधित भूमिगत दुनिया के अनेक किस्सों में से कुछ किस्से पुलिस रिकार्ड में भी दर्ज हंै ? पहले मारवाड़ी समाज जवाब दे। सोनमाटी मीडिया समूह तो बताएगा ही पवन सेठ की हकीकत, भीतर तक झांक कर, खबरों की तह तक खोद कर। और, यह भी बताएगा कि महिर्ष मेंही आश्रम परिसर के आस-पास की सिंचाई विभाग की जमीन पर व्यापक अतिक्रमण (वंचित समाज के लोगों द्वारा घरेलू इस्तेमाल के लिए नहीं बल्कि कारोबारी मंशा से) की बुनियाद रख दी गई है, जैसे कि सेना की जमीन (पड़ाव मैदान) पर चारमंजिला मकान खड़ा कर लिया गया है। भले ही जिसका नाम निशुल्क आश्रम-आश्रय का दिया गया है, मगर एक दिन का शुल्क है 40 हजार रुपये। इस संबंध में सिंचाई विभाग, संबंधित विभागों और प्रशासन से सवाल बाद में?
प्रसंग क्या है? यह जान लेने की जरूरत है। प्रसंग है कि मारवाडी समाज की ओर से हो रहे 37वें वसंत महोत्सव का विज्ञापन विभिन्न अखबारों में प्रकाशित हुआ। सोनमाटी प्रतिनिधि ने सुबह नौ बजे के आस-पास डेहरी मारवाड़ी सम्मेलन के संयोजक-संरक्षक संत शर्मा को फोन किया कि इस आयोजन के अवसर पर सोनमाटी को भी विज्ञापन की अपेक्षा है, क्योंकि सोनमाटी मीडिया समूह शहर डेहरी-आन-सोन का प्रिंट और न्यूजपोर्टल के साथ सोशल मीडिया (फेसबुक) द्वारा प्रस्तावित पेज सोनमाटी मीडिया ग्रुप के रूप में भी है। संत शर्मा ने कहा कि इस मुद्दे को मैं नहीं देख रहा। तब सोनमाटी प्रतिनिधि ने ट्रस्टी अमित अग्रवाल को फोन लगाया तो अमित अग्रवाल ने जानकारी दी कि आप 10 बजे के बाद आइए, वहां कमेटी के लोग बैठे होंगे, आप अपनी बात वहां रखिए। सोनमाटी प्रतिनिधि करीब 11 बजे अंबेडकर चौक स्थित महर्षि मेंही आश्रम परिसर में बनाए गए झूंझनू धाम परिसर पहुंचा। वहा मनीष कुमार सिन्हा और अनिल कुमार नामक दो व्यक्ति खड़े दिखे, जिनसे पूछा कि यहां विज्ञापन विभाग कौन देख रहे हैं? दोनों ने बताया कि हमें पता नहीं है। फिर इस प्रतिनिधि ने काउंटर पर खड़े व्यक्ति (संभवत: सचिव वेदप्रकाश शर्मा) से परिचय देकर और सोनमाटी की प्रति देकर विज्ञापन के बाबत पूछा। उचित जवाब नहीं मिला।
थोड़ी ही देर बाद पता चला कि पवन झुनझुनवाला नामक व्यक्ति एक कुर्सी पर है। सोनमाटी प्रतिनिधि बगल में खाली पड़ी कुर्सी पर बैठ गया। पवन झुनझुनवाला के पास की कुर्सी पर श्यामसुंदर अग्रवाल और वेदप्रकाश शर्मा नामक व्यक्ति भी बैठे हुए थे। पवन झुनझुनवाला से सोनमाटी प्रतिनिधि पहली बार रू-ब-रू था। परिचय देकर कहा सोनमाटी प्रतिनिधि ने कहा, कई अखबारों को विज्ञापन दिया गया है, सोनमाटी शहर का भारत सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रालय के अधीन समाचारपत्रों के विभाग से रजिस्टर्ड मीडिया है। यह प्रिंट ( सोनमाटी) और डिजिटल ( सोनमाटीडाटकाम) दोनों रूपों में सक्रिय है। पवन झुनझुनवाला नामक व्यक्ति ने कहा, महोत्सव के बाद मिलिए। तब सोनमाटी प्रतिनिधि ने कहा, हम महोत्सव के अवसर पर विज्ञापन के लिए आए हैं। जवाब था, हम विज्ञापन के लिए न हां कह रहे हैं और न ही ना कह रहे हैं। आप खबर छापिए। सोनमाटी प्रतिनिधि ने कहा कि वसंत महोत्सव की खबर न्यूजपोर्टल (सोनमाटीडाटकाम) पर 19 फरवरी और 20 फरवरी को प्रसारित की जा चुकी है। आप अपने मोबाइल फोन पर गूगल सर्च इंजन पर देख लीजिए या वाह्टएप लिंक पहुंचा हो तो खोलकर देखिए। पवन झुनझुनवाला नामक उस व्यक्ति ने जवाब दिया, मैं बनिहार थोड़े हूं कि लिंक देखूं या सर्च करूं। जवाब हतप्रभ करने वाला था, मगर सोनमाटी प्रतिनिधि ने फिर कहा, इसमें बनिहार होने की क्या बात है, आप सर्च तो कीजिए या लिंक तो देखिए। उस व्यक्ति ने अचानक झन्नाटेदार आवाज में जवाब दिया, जाओ, भागो। सोनमाटी प्रतिनिधि के लिए अब रूकने या आगे बात करने का कोई प्रश्न ही नहीं था। इसके बाद तुरंत ही रास्ते में मिले इस राष्ट्रीय वसंत महोत्सव के बनाए गए मीडिया मैनेजर को और रास्ते में उपलब्ध हुए मीडिया के अन्य प्रतिनिधियों को इसकी जानकारी दी।
अब यहां एक प्रश्न है कि मारवाड़ी सम्मेलन के समारोह का वह स्थल या कार्यक्रम क्या किसी की बपौती है, निजी संपति है या किसी का निजी घर है या निजी कार्यक्रम है? जाहिर है कि राष्ट्रीय वसंत महोत्सव मारवाड़ी सम्मेलन या मारवाड़ी समाज का कार्यक्रम है, सार्वजनिक कार्यक्रम है। फिर पवन झुनझुनवाला नामक व्यक्ति का अपने शब्दों (जाओ, भागो) का इस्तेमाल ऊंचे लहजे में इस्तेमाल क्या बदमिजाजी और बदजुबानी नहीं है? किसी दुकानदार को भी अधिकार नहीं है कि दुकान खुले रहने की अवधि में ग्राहक से भागो शब्द का इस्तेमाल करे, जबकि दुकान की संपत्ति दुकानदार की होती है। और, यह तो सार्वजनिक स्थल, सार्वजनिक कार्यक्रम है। फिलहाल वसंत महोत्सव से जुड़े पर्यावरण, कचरा निष्पादन आदि से जुड़े कानूनी प्रावधानों-प्रक्रियाओं पर मारवाड़ी सम्मेलन या मारवाड़ी समाज से सवाल नहीं है। मगर क्या मारवाड़ी सम्मेलन या मारवाड़ी समाज इस बात का जवाब दे सकता है कि 10 हजार लोगों के आगमन वाला (जैसा कि प्रचारित है) लाखों, करोड़ रुपये खर्च से होने वाला मारवाड़ी समाज का यह आयोजन क्या पवन झुनझुनवाला का निजी आयोजन है?

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