आकांक्षाओं के आकाश में सनबीम की नई छलांग/ अंटार्कटिक अभियान के चार दशक

सनबीम बना अब मान्यताप्राप्त प्लस-टु स्कूल

डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-निशांत राज आवासीय सनबीम पब्लिक स्कूल ने अपनी आकांक्षाओं के आकाश में एक और नई छलांग लगाई है। डेहरी-आन-सोन के इस प्रतिष्ठित विद्यालय को सीबीएसई, नई दिल्ली ने सीनियर सेकेेंड्री शाखा (प्लस-टु) के रूप में इसे अपनी संबद्धता प्रदान कर दी है। यह संबद्धता शैक्षणिक सत्र 2021-22 से ही प्राप्त हुई है। इस स्कूल को शहर डेहरी-आन-सोन की नई पीढ़ी को तराशने का दो दशकों का अनुभव रहा है। शहर के हृदयस्थल में स्थित यह विद्यालय अत्याधुनिक संसाधनों से लैस है और शहर के साथ ग्रामीण इलाके के लिए भी मानक शिक्षा केेंद्र का आकर्षण रहा है। इस विद्यालय के प्रबंधन ने संबद्धता प्राप्त होने पर इस उपलब्धि के लिए अभिभावकों और शहरवासियों के प्रति आभार व्यक्त किया है।

वर्तमान शैक्षणिक सत्र से तीनों संकायों में संबद्धता :

आवासीय सनबीम पब्लिक स्कूल के प्रबंध निदेशक राजीव रंजन सिन्हा ने सोनमाटीडाटकाम को बताया कि विद्यालय की महत्वाकांक्षी उपलब्धि यह है कि इसे नए शिक्षण सत्र से तीनों संकायों कला, विज्ञान और वाणिज्य में एक साथ संबद्धता प्राप्त हुई है। विद्यालय की प्राचार्य अनुभा सिन्हा ने बताया कि अब इस विद्यालय में नर्सरी में प्रवेश करने वाला विद्यार्थी सीधे इंटर (सीनियर सेकेेंड्री) तक की शिक्षा से लैस होकर ही विद्यालय परिसर से बाहर निकलेगा और अपने भविष्य के निर्माण के लिए अपनी अभिरूचि के अनुरूप अपने करियर के नए रास्ता का चयन करेगा। राजीवरंजन सिन्हा और अनुभा सिन्हा ने कहा कि इस महत्वाकांक्षी सफलता के पीछे विद्यालय प्रबंधन और विद्यालय शिक्षक परिवार की सतत शैक्षणिक साधना तो रही ही है, अभिभावकों और शहरवासियों का भी सहयोग-समर्थन-शुभकामना शामिल रहा है।

भारत ने पूरे किए अंटार्कटिक अभियान के चार दशक

नई दिल्ली (सोनमाटी समाचार नेटवर्क)। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा आयोजित अंटार्कटिक का 40वां वैज्ञानिक अभियान दल सभी ठहराव स्थलों पर अपने कार्य करते हुए 94 दिनों में 12000 नाटिकल माइल की यात्रा पूरी कर 10 अप्रैल 2021 को केपटाउन लौट आया। इस अभियान के साथ शांति और सहयोग के महाद्वीप अंटार्कटिक में भारत के वैज्ञानिक उपक्रम के चार दशक पूरे हो गए। आईएसईए-40 में भारतीय वैज्ञानिक, इंजीनियर, डाक्टर तथा टेक्निशियन शामिल थे, जिन्होंने गोवा के मोर्मुगाव बंदरगाह से 07 जनवरी 2021 को अंटार्कटिक की यात्रा शुरू की। टीम अपने गंतव्य केन्द्रों भारती पर 27 फरवरी 2021 को और मैत्री पर 08 मार्च 2021 को पहुंची थी। भारती और मैत्री अंटार्कटिक में भारत के स्थाई रिसर्च बेस स्टेशन हैं, जहां केवल नवम्बर तथा मार्च के बीच दक्षिणी ग्रीष्म ऋतु में जा पाना संभव होता है।
अंटार्कटिक पहुंचने के रास्ते में इस समुद्री यात्रा अभियान की टीम ने हैदराबाद स्थित भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केन्द्र (आईएनसीओआईएस) के सहयोग से 35 डिग्री और 50 डिग्री अक्षांशों के बीच चार स्वायतशासी ओसन आब्जर्विंग डायरेक्शनल वेव स्पेक्ट्रा की स्थापना की, जो समुद्र की सतह के तापमान और वायुमंडलीय दबाव का रियल टाइम डाटा प्रेषित करेंगे। इससे मौसम पूर्वानुमान के सत्यापन में मदद मिलेगी।
आईएसईए-40 अभियान का संचालन बढ़ते कोरोना वायरस महामारी के प्रसार के कारण उत्पन्न विषम चुनौतियों के बीच किया गया। अंटार्कटिक को कोरोना से मुक्त रखने के लिए आवश्यक कदम उठाए गए। प्रस्थान से पहले इस पर जाने वाली वैज्ञानिक टीम को गोवा मेडिकल कालेज द्वारा सख्त चिकित्सकीय जांच से गुजरना पड़ा तथा जहाज पर सवार होने से पहले 14 दिनों तक क्वारंटाइन होना पड़ा। अभियान में इंडियन इंस्टीट्यूट आफ जियोमैग्नेटिजम के अतुल सुरेश कुलकर्णी के साथ 20 कार्मिकों और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के रविन्द्र संतोष मोरे के साथ 21 कार्मिकों की टीम शामिल थी।

(सामग्री : पीआईबी, पटना का संपादित अंश)

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