मंत्री ने दिया इस्तीफा, ठाकुर का दावा कि किसी लड़की ने नहीं लिया उसका नाम

पटना/ मुजफ्फरपुर (सोनमाटी समाचार)। बालिका आश्रय गृह के 34 बच्चियों से रेप की घटना ने प्रदेश और देश को हिला रखा है। इस मामले को लेकर बिहार की समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा ने इस्तीफा दे दिया। मामले की जांच सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) कर रही है। आरोप है कि मंजू वर्मा के पति चंद्रेश्वर वर्मा का आरोपी ब्रजेश ठाकुर से संबंध रहा है। केस दर्ज होने और जेल जाने के बाद दोनों लगातार संपर्क में थे। इस्तीफा देने के बाद मंजू वर्मा ने कहा कि उन्हें सीएम नीतीश कुमार ने इस्तीफा देने को नहीं कहा, मेरे खिलाफ विपक्ष ने साजिश की। मंजू वर्मा ने खुद या अपने पति के ब्रजेश ठाकुर से ऐसे किसी संबंध से इनकार किया।

सीबीआई ने प्राप्त किए पुलिस और प्रशासन से सभी दस्तावेज और आरंभिक सबूत
मुजफ्फरपुर बालिका आश्रय गृह रेप कांड में अब तक ब्रजेश ठाकुर समेत 10 आरोपी गिरफ्तार किए गए हंै। सीबीआई ने मुजफ्फपुर शेल्टर होम रेप केस की जांच पूरी तरह अपने हाथ में ले ली है। उसने पुलिस और प्रशासन से इस मामले से जुड़े सभी दस्तावेज और आरंभिक सबूत प्राप्त कर लिए हैं। सीबीआई की टीम टीआईएसएस के संपर्क में है। टीआईएसएस ने मुजफ्फरपुर के शेल्टर होम का ऑडिट किया था, जिसे बच्चियों के साथ लगातार बलात्कार किए जाने की हकीकत सामने आई।

कोर्ट में पेशी पर फेंकी गई स्याही 
मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर ने दावा किया है कि वह कांग्रेस पार्टी में शामिल होने पर विचार कर रहा था, इसी वजह से मुझे फंसाया गया। उसने दावा किया कि किसी लड़की ने उसका नाम नहीं लिया है। ब्रजेश ठाकुर को 8 अगस्त को कोर्ट में पेशी के लिए लाया गया था, जिस दौरान ब्रजेश ठाकुर पर स्याही फेंकी गई और कालिख पोतने की कोशिश भी की गई।

प्रशासनिक गैरजिम्मेदारी ज्यादा

मुजफ्फरपुर, गाजियाबाद, देवरिया आदि के कई ताजा कांड इस बात की पुष्टि करते हैं कि बेसहारा लड़कियों को आश्रय-संरक्षण के नाम पर नर्क में झोंकने का सिलसिला सरकारी तंत्र और नेता-माफिया की मिलीभगत देश में लंबे समय से चल रहा है और यह व्यापक भी है। इसमें कोई शक नहीं है कि प्रशासनिक गैरजिम्मेदारी ज्यादा है। यह तो सुनिश्चित करना ही होगा कि सरकारी एजेंसियां अपना काम मुस्तैदी से करें।

15 मार्च को सौंपी गई थी रिपोर्ट, 31 मई को दर्ज की गई एफ़आईआर

टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के सोशल ऑडिट के दौरान इस मामले का खुलासा हुआ था। 100 पन्नों की सोशल ऑडिट की रिपोर्ट बिहार के समाज कल्याण विभाग के निदेशक को 15 मार्च को सौंपी गई थी। रिपोर्ट में प्रदेश भर के बालिका गृहों के हालात और वहाँ रह रहीं बच्चियों के साथ होने वाले व्यवहारों पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। रिपोर्ट दो महीने तक समाज कल्याण विभाग में धूल खाती रही। 26 मई को ज़िलों की बाल संरक्षण इकाई को रिपोर्ट भेजी गई। इसी दिन मुज़फ़्फ़रपुर ज़िला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक दिवेश शर्मा ने एक पत्र समाज कल्याण विभाग के निदेशक को भेजा। 28 मई को जवाब आया कि बालिका गृह में रह रही बच्चियों को कहीं और शिफ़्ट किया जाए और एफ़आईआर दर्ज की जाए। 30 मई को सभी 46 बच्चियों को मोकामा, पटना और मधुबनी शिफ़्ट किया गया। 31 मई को एफ़आईआर दर्ज की गई। 11 लोग अभियुक्त बनाए गए। एक अखबार के मालिक-संपादक रजेश ठाकुर और बाल संरक्षण अधिकारी के साथ आठ महिलाओं को भी जेल भेजा गया।

 

पटना हाई कोर्ट कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश बने डा.रविरंजन कुमार, विधिज्ञ संघ की बधाई

डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-कार्यालय प्रतिनिधि। न्यायमूर्ति डा. रविरंजन कुुमार को पटना हाई कोर्ट का कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश बनाए जाने पर डेहरी अनुमंडल विधिज्ञ संघ की ओर से उन्हें बधाई ज्ञापित की गई। अनुमंडल विधिज्ञ संघ के अध्यक्ष उमाशंकर पांडेय उर्फ मुटुर पांडेय, सचिव मिथिलेश कुमार सिन्हा, उप सचिव ओमप्रकाश सिन्हा कमल सहित मुनमुन पांडेय, खुर्शीद अनवर, बैरिस्टर सिंह आदि अनेक अधिवक्ताओं ने ने डा. रविरंजन कुमार को कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश बनने पर हर्ष प्रकट करते हुए कहा है कि उनके नेतृत्व में हाईकोर्ट में मामलों के निष्पादन और प्रशासनिक कार्य में तेजी आएगी।


सीनियर न्यायमूर्ति रविरंजन कुमार ने पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन की जगह नए मुख्य न्यायाधीश के पदभार ग्रहण तक कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश का कार्य करेंगे। पटना हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन का स्थानांतरण दिल्ली हाईकोर्ट में कर दिया गया है और न्यायमूर्ति मुकेशकुमार रसिकभाई शाह पटना हाईकोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीश बनाए गए हैं।

 

(तस्वीर : निशांत राज)

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