

डेहरी-आन-सोन ( रोहतास) कार्यालय प्रतिनिधि। जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर बिहार बदलाव यात्रा को लेकर शहर के पाली रोड में स्थित पी एंड एस होटल में जन संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया। प्रशांत किशोर ने पार्टी के नीति एवं सिद्धांत से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि जन संवाद कार्यक्रम के माध्यम से पार्टी के प्रति लोगों के विचार, उनके मन में प्रश्न या उनका कोई सुझाव को जानने की कोशिश करते हैं। उन्होंने कार्यक्रम में सर्वप्रथम प्रबुद्धजनों से सवाल मांगे। चंदन सिंह, प्रकाश सोलंकी, प्रमोद कुमार सिंह, गुंजा कुमारी, रवि प्रकाश, डॉ. उदय कुमार सिन्हा, निरंजन ओझा, अनूप कुमार, डॉ. अशोक सिंह, प्रो. विजय कुमार सिंह, डॉ. विरेंद्र कुमार, शिव गांधी ने पलायन रोकने, शिक्षा, भूमि अधिग्रहण, बेरोजगारी, शराबबंदी, डालमियानगर में रेल कारखाना, डेहरी को जिला बनाने समेत अन्य मुद्दों पर सवाल किया।
प्रश्नों का जबाब देते हुए प्रशांत किशोर ने कहा,”प्लेटो ने कहा था अगर आप राजनीति में भाग नहीं लेंगे, तो मूर्ख लोग आप पर शासन करेंगे।” और बिहार की बदहाली के लिए बुद्धिजीवियों की उदासीनता जिम्मेदार है। समाज में समझदार लोग राजनीति से दूरी बनाकर बैठे हैं। उन्होंने कहा कि राजनीतिक भागीदारी जरूरी है, सिर्फ राजनीति में जाना नहीं, बल्कि जागरूक और सक्रिय रहना जरूरी है।

राजनीति में जाति और धनबल की जरूरत है :
जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा है कि नेताओं ने समाज में यह भ्रम फैला दिया है कि राजनीति में जाति और धनबल की जरूरत होती है। ऐसा कदापि नहीं है। पीके ने कहा कि आज समाज का एक बड़ा वर्ग जो शिक्षित हैं और जिनका चरित्र भी अच्छा है पर वह राजनीति से दूरी बनाए रखते हैं। इसकी वजह है उनके अंदर भ्रम फैलाया गया। यही वजह है कि जो सक्षम हैं और जिनकी सोच समाज में कुछ अच्छा करने की है वे इसी भ्रम की वजह से राजनीति से दूरी बनाकर रहना चाहते हैं।उन्होंने कहा कि इसी वजह से जन सुराज विचार मंच की कल्पना की गई है। जो लोग राजनीति में समाज सेवा के उद्देश्य से आना चाहते हैं उनसे उम्मीद है कि वे जन सुराज का संदेश पहुंचाने में अपने को आगे लाएंगे। कहा कि इसके लिए हम सबको मिलकर प्रयास करना होगा।

सत्ता परिवर्तन जरूरी :
केरल, तेलंगाना, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में एक तिहाई अर्थव्यवस्था है। इन पांचों राज्यों में अलग-अलग भाषा, जाति, समुदाय के लोग हैं। वहां भी बिहार से कम भ्रष्टाचार नहीं है। फिर भी बिहार के मुकाबले ये राज्य विकसित है। क्योंकि वहां सरकारें बदलती रहती है। वहां की सरकार 10 साल से ज्यादा नहीं बनी है।
शराबबंदी फर्जी कानून है :
किशोर ने कहा कि भले ही शराब की दुकान बंद है, लेकिन घर-घर शराब बिक रहा है। राज्य में शराबबंदी नाम की कोई चीज नहीं है। सिर्फ यह फर्जी कानून है। शराबबंदी का फायदा तब हो जब पूरी तरह से बिहार में शराब बंद हो, लेकिन यहां शराब बंद है लेकिन खुलेआम होम डिलीवरी चालू है।उन्होंने कहा कि शराब बंदी कानून के कारण हर साल 20 हजार करोड़ रुपया सरकार का नुकसान हो रहा है। और यह सारा पैसा भ्रष्ट नेताओं तथा अफसरों की जेब में जा रहा।प्रदेश में कानून व्यवस्था भी पूरी तरह से चरमरा गई है। आधे से ज्यादा पुलिस प्रशासन के अधिकारी शराब और बालू माफियाओं से पैसे उगाही में लगे हैं। श्री किशोर ने कहा कि अगर शराबबंदी कानून सही है तो इसे यूपी में भी लागू होना चाहिए। शराबबंदी से हर साल 20 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है जबकि इस पैसे से शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा काम किया जा सकता है।
बिहार से पलायन रोकने की बात कही :
प्रशांत किशोर ने बिहार को पलायन की पीड़ा से मुक्त करने और पारदर्शी शासन लागू करने की बात भी कही। जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा है कि जन सुराज की सरकार बनने के बाद एक साल के भीतर बिहार से पलायन की गति को रोका जा सकता है। उन्होंने नॉर्वे, स्वीडन जैसे देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि इन देशों में लोग नौकरियों के लिए रेलवे के एग्जाम नहीं देते, बल्कि उन्हें अच्छी शिक्षा और रोजगार के लिए सुलभ पूंजी मिलती है। यही मॉडल जन सुराज भी बिहार में लागू करेगा। उन्होने कहा कि अगर बिहार से मजदूरों का पलायन रोकना है, तो सबसे पहले यहां से पूंजी और बुद्धिजीवियों का पलायन रोकना होगा। हमारी पार्टी इस दिशा में काम कर रही हैं, और एक ठोस मॉडल तैयार कर बिहार में पलायन को रोका जा सकेगा। कहा कि बिहार से बैंक हर साल लाखों करोड़ ले जाते हैं, लेकिन यहां ऋण नहीं देते। बिहार के बैंकों में हर साल 4.61 लाख करोड़ जमा होता है, लेकिन बैंक यहां 1.61 लाख करोड़ का कर्ज ही बांटता है। शेष पैसे को अन्य राज्यों में ऋण के रूप में बांटता है। यदि यह राशि बिहार में बंटे तो युवाओं को रोजगार के लिए बड़ी पूंजी उपलब्ध हो सकती है।
इस दौरान राजनीतिक दलों पर भी हमला बोला। पीके ने कहा कि वर्तमान में सियासी दल बिहार में नौकरियों के झूठे सपने दिखा रही हैं। कोई राजनीतिक दल पांच लाख नौकरियों की बात कर रहा है, तो कोई 10 लाख, जबकि वास्तविकता यह है कि बिहार में सरकारी नौकरियों की संख्या सिर्फ 23 लाख है, जो बिहार की जनसंख्या के दो प्रतिशत से भी कम है। 98 प्रतिशत लोगों के पास सरकारी नौकरी नहीं है और ना ही उनके पास इस विकल्प की कोई उम्मीद है। ऐसे में जो लोग ये कहते हैं कि सरकारी नौकरी देकर पलायन रोक देंगे, वे बिहार के लोगों को मूर्ख बना रहे हैं।

उन्होंने जन सुराज के बिहार के सर्वांगीण विकास की योजनाओं से लोगों को अवगत कराया, जिसमें युवाओं का बिहार से हो रहे पलायन को रोककर बिहार में उसे रोजगार देने, वृद्धा पेंशन को बढ़ाकर दो हजार रुपये किये जाने, चार प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराने तथा बच्चों को प्राइवेट स्कूल में निःशुल्क शिक्षा दिलाने, नवोदय विद्यालय के तर्ज पर स्कूल खोलने तथा किसानों को नगदी फसल के लिए निःशुल्क मजदूर उपलब्ध कराने जैसी योजना है।

कार्यक्रम का आयोजन प्रख्यात हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. उमेश सिंह की अगुवाई में हुआ, संचालन अनुमंडल विधिज्ञ संघ के अध्यक्ष मनोज अज्ञानी ने किया। मौके पर डॉ. अमिताभ सिंह, डॉ. बीरेंद्र कुमार, डॉ. मनोज अग्रवाल, डॉ. कंचन सिंह, डॉ. मनोज कुमार सिंह, डॉ. जे.एस. कश्यप, रोहतास जिला पेट्रोलियम डीलर एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रमोद कुमार सिंह, उपाध्यक्ष उदय शंकर पांडेय, हरेंद्र कुमार सिंह, राजेंद्र कुमार सिंह, चंदन सिंह, मनोज कुमार सिंह, विकास सिंह, आलोक कुमार सिंह, रत्ना सिन्हा, प्रियंका सिंह, अभिषेक सांकृति, हीरालाल कुशवाहा, अतेंद्र सिंह, आर.के. सिंह, संतोष सिंह, उपेंद्र ओझा, मो० दिलशाद आलम सहित चिकित्सकों, अधिवक्ताओं, समाजसेवियों, स्वर्णकारों, व्यापारियों और पार्टी के सदस्य मौजूद रहे।
(रिपोर्ट, तस्वीर: निशांत राज)