(प्रसंगवश/कृष्ण किसलय) : अंधविश्वास से मुक्ति दिलाने में विज्ञान की सर्वोच्च भूमिका

-0 प्रसंगवश 0-
अंधविश्वास से मुक्ति दिलाने में विज्ञान की सर्वोच्च भूमिका
-कृष्ण किसलय
(संपादक, सोनघाटी)

तीन साल पहले वर्ष 2019 में नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया ने मेरी (कृष्ण किसलय) की विज्ञान के इतिहास की पुस्तक ‘सुनो मैं समय हूं’ का प्रकाशन किया था। पुस्तक में 13.7 अरब साल पहले पैदा हुए ब्रह्म्ïड (संपूर्ण सृष्टि) के शून्य ऊर्जा से अब तक के अति-अति विराट विस्तार और पृथ्वी पर 03 अरब साल पूर्व जीवन के सूक्ष्मजीव के रूप में उद्भव से आदमी के विकास तक की खोजों से संबंधित प्रामाणिक जानकारी क्रम-बद्ध है। इसमें वैदिक-प्राच्य युग की आरंभिक समझ और तत्व चिंतन का भी संदर्भवश उल्लेख है। पुस्तक ‘सुनो मैं समय हूं’ की हर साल नई आवृत्ति प्रकाशित (री-प्रिंट) हो रही है और संयोग से नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया की ओर से इसके हिंदी संभाग के संपादक पंकज चतुर्वेदी द्वारा लेखक को भेजी गई मानार्थ प्रतियां फरवरी के अंतिम सप्ताह में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर प्राप्त होती रही हैं। इस बार कवर पेज पर ‘कोयल : समग्र शिक्षा, राजस्थान 2020-21’ का लोगो मुद्रित है।
विज्ञान केवल समीकरण और सिद्धांत नहीं है, बल्कि जिज्ञासा, सृजनात्मकता और नवाचार है। विज्ञान के पद्चिह्नï समय के सोपान पर कड़ी मेहनत, अटूट लगन और महामेधा से उत्कीर्ण होते रहे हैं। विज्ञान के विकास, विज्ञान-दृष्टि के विस्तार और समाज में विज्ञान संचार के लिए ऋषियों-दार्शनिकों-वैज्ञानिकों को तर्क-सम्मत, विज्ञान-सम्मत सच बयान करने के लिए अथक तपस्या और कठिन श्रम ही नहीं करना पड़ा है, बल्कि जान की कुर्बानी तक देनी पड़ी है।
चार सदी पहले दार्शनिक वैज्ञानिक ब्रूनो को वर्ष 1600 में 17 फरवरी को आग में जिंदा जलाकर मारने का प्राण-दंड दिया गया। वैज्ञानिक गैलीलियो को घर में आजीवन नजरबंद रहने की यातना भोगनी पड़ी। हालांकि गैलीलियो की मृत्यु के 350 साल बाद 1992 में रोम के चर्च ने अपने कृत्य के लिए सार्वजनिक माफी मांगी और अपने परिसर में गैलीलियों की मूर्ति स्थापित की। भारत में भी आदि-विज्ञान संचारक चार्वाक को धर्मराज युधिष्ठर के सामने पीट-पीटकर मार डाला गया था। दार्शनिक मुनि चार्वाक का यह मानना था कि देह से अलग आत्मा का अस्तित्व नहीं है और कर्मकांड व्यर्थ है। साढ़े-तीन चार हजार साल पहले किसी व्यक्ति का ऐसा कहना बहुत बड़ा साहस था। जबकि समाज गुजरी 20वीं सदी तक इह-लोक से अधिक पर-लोक सुधारने पर जोर देता रहा है। प्रसिद्ध दार्शनिक-चिंतक डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (भूतपूर्व राष्ट्रपति) ने अपनी पुस्तक ‘इंडियन फिलासफी’ में दार्शनिक चार्वाक के तार्किक दर्शन सिद्धांत की चर्चा की है।
प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक सीवी रमन को 1930 में नोबल पुरस्कार से सम्मानित होने की गौरव-स्मृति में वर्ष 1986 से भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस देशभर में मनाया जाता है। उन्होंने 28 फरवरी, 1928 को प्रकाश के क्षेत्र में जो मीलस्तंभ खोज कार्य किया, उसे ‘रमन प्रभाव’ नाम से जाना जाता है। उन्हें मिला नोबल सम्मान पूरे एशिया का भौतिकी का प्रथम नोबल पुरस्कार था। विज्ञान दिवस का उद्देश्य समाज में विज्ञान के प्रति जागरूकता का प्रसार, विज्ञान-दृष्टि का विस्तार और इसके प्रति लोगों में अभिरूचि का निर्माण करना है। विज्ञान-दृष्टि के विस्तार का परिणाम है कि दैवीय पुष्पवर्षा, आकाशवाणी, ईश्वर का अवतार, देवताओं का वरदान-श्राप जैसी घटनाएं बंद हो गईं। नाभि, मुख, कान, नाक, सिर से पैदा होने की कहानी तिरोहित हो गई। आसमानी किताब भेजने का कारोबार और स्वर्ग से अप्सराओं का, जन्नत से हूरों का आना-जाना बंद हो गया। न्यूटन के ऊर्जा संबंधी वैज्ञानिक कार्य ने ईश्वर को किसी स्वर्गलोक से सृष्टि-संचालन करने और डार्विन के जीव-विकास के सिद्धांत ने आदमी (राजा) को ईश्वर के प्रतिनिधि के रूप में सत्ता-केेंद्र में होने के विशेषाधिकार से बेदखल कर दिया। नई पीढ़ी असलियत और आस्था के अंतर को आज खूब समझती है। सच यही है कि अंधविश्वास, बीमारी, दरिद्रता आदि से मुक्ति दिलाने में विज्ञान और तकनीक की जैसी सर्वोच्च भूमिका रही है, वैसी धर्म, दर्शन, अध्यात्म और राजनीति की नहीं।

संपर्क : सोनमाटी-प्रेस गली, जोड़ा मंदिर, न्यू एरिया, डालमियानगर-821305, जिला रोहतास (बिहार) फोन 9523154607 व्हाट्सएप 9708778136

इस पुस्तक का इंटरनेशनल स्टैंडर्ड बुक नंबर (आईएसबीएन) 978-81-237-8728-2 है। कुल 184 पेज की इस सचित्र पुस्तक की कीमत रु.105/- रखी गई है। इसकी जानकारी नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया की वेबसाइट www.nbtindia.gov.in या [email protected] से प्राप्त और एनबीटी, इंडिया के फोन नंबर 011-26707700 (दिल्ली), 0612-2546967 (पटना) पर पूछ-ताछ की जा सकती है।

  • Related Posts

    पत्रकार उपेंद्र कश्यप को मिला डाक्टरेट की मानद उपाधि

    दाउदनगर (औरंगाबाद) कार्यालय प्रतिनिधि। फोर्थ व्यूज व दैनिक जागरण के पत्रकार उपेंद्र कश्यप को ज्वलंत और सामाजिक मुद्दों पर रिपोर्टिंग करने, सोन का शोक, आफत में बेजुबान, सड़क सुरक्षा और…

    मत्स्य पालन में वैज्ञानिक सुझाव समाहित करने की आवश्यकता

    पटना – कार्यालय प्रतिनिधि। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना में सोमवार को वैज्ञानिक विधि से मत्स्य पालन विषय पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।…

    One thought on “(प्रसंगवश/कृष्ण किसलय) : अंधविश्वास से मुक्ति दिलाने में विज्ञान की सर्वोच्च भूमिका

    1. बेहतरीन पुस्तक ।नई पीढ़ी के लोगों को यह पुस्तक अवश्य पढ़नी चाहिए।
      विज्ञान ने ही दुनिया को नया आयाम दिया है।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

    You Missed

    कार्यालय और सामाजिक जीवन में तालमेल जरूरी : महालेखाकार

    व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा में हुई थी आभूषण कारोबारी सूरज की हत्या

    व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा में हुई थी आभूषण कारोबारी सूरज की हत्या

    25-26 नवंबर को आयोजित होगा बिहार संवाद कार्यक्रम

    25-26 नवंबर को आयोजित होगा बिहार संवाद कार्यक्रम

    विधान परिषद के सभागार में ‘सुनो गंडक’ का हुआ लोकार्पण

    विधान परिषद के सभागार में ‘सुनो गंडक’ का हुआ लोकार्पण

    शिक्षा के साथ-साथ अपनी संस्कृति और माटी से भी कसकर जुड़े रहना चाहिए : रामनाथ कोविन्द

    शिक्षा के साथ-साथ अपनी संस्कृति और माटी से भी कसकर जुड़े रहना चाहिए : रामनाथ कोविन्द

    भारत के राष्ट्रपति जीएनएसयू के तृतीय दीक्षान्त समारोह में होंगे शामिल

    भारत के राष्ट्रपति जीएनएसयू के तृतीय दीक्षान्त समारोह में होंगे शामिल