बिहार में महामारी कानून एक साल के लिए लागू, 31 मार्च तक सभा-समारोह से घोषित तौर पर ठप
कोरोना वायरस के आतंक का गहरा असर बिहार पर भी है, जहां इसे कानून बनाकर 17 मार्च से एक साल के लिए महामारी घोषित किया गया है। 31 मार्च तक यह राज्य घोषित तौर पर हलचल से ठप हो चुका है, क्योंकि इस अवधि तक सभा-समारोह से यह महरूम रहेगा। लोग भय से घरों में जैसे कैद हो गए हैं। सरकार ने भी अपील की है कि लोग सक्रियता सीमित रखें, एहतियात बरतें और घर में रहें। बिहार के नेपाल और उत्तर प्रदेश बार्डर पर सघन चेकिंग के निर्देश दिए गए हैं। पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में पहले ही कोरोना को संक्रमण महामारी घोषित किया जा चुका है। राज्य के सरकारी कार्यालयों में कर्मियों को एक दिन बीच कर दफ्तर आने का निर्देश है। सरकारी और निजी सभी स्कूल, कालेज, कोचिंग संस्थान, सिनेमाघर, समारोह भवन-स्थल, पार्क-जू, सभागार आदि 31 मार्च तक बंद कर दिए गए हैं।
खेलकूद, सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रतिबंधित : खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रम इस अवधि तक स्थगित हो गए हैं। राज्य के सभी विश्वविद्यालयों और संस्थानों को भी निर्देश दिया गया है कि वे 31 मार्च के बाद ही परीक्षा का कार्यक्रम बनाएं। हालांकि राज्य में सीबीएसई और आईसीएसई पाठ्यक्रम की परीक्षाएं चल रही हैं, जिन्हें रोका नहींगया है। मगर राज्य सरकार ने सीबीएसई और आईसीएसई से आंतरिक परीक्षाएं नहींलेने का आग्रह किया है। 22 मार्च को होने वाला बिहार दिवस समारोह भी रद्द कर दिया गया। 13 मार्च को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय बैठक में ऐसा फैसला लिया गया और उसी शाम वीडियो कांफ्रेेंसिंग के जरिये राज्य के सभी जिलों के जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को राज्य सरकार के इस फैसले को सख्ती से पालन कराने का निर्देश दिया गया।
पंचायत उपचुनाव भी स्थगित : सरकार के फैसले के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने सभी जिला पंचायती राज निर्वाचन अधिकारियों को पंचयात उपचुनाव की प्रक्रिया स्थगित करने का आदेश जारी कर दिया। राज्य में पंचायत उपचुनाव की अधिसूचना 19 फरवरी को जारी की गई थी और 20 से 27 फरवरी तक नामांकन के पर्चे दाखिल किए गए थे। 29 को पंचायत उपचुनाव की नामांकन की जांच-प्रक्रिया पूरी की गई थी और दो मार्च को नाम वापसी की प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई थी।पंचायत उपचुनाव में मतदान और मतगणना का ही मुख्य काम रह गया है। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 18 मार्च से चुनाव होना था। समझा जा रहा है कि राज्य चुनाव आयोग स्थिति सामान्य होने के बाद ही मतदान और मतगणना की नई तिथि निर्धारित करेगा। 31 मार्च तक राज्य के सभी डेढ़ लाख आंगनबाड़ी केंद्र भी बंद होंगे। बिहार के सरकारी स्कूलों के मिड-डे मील का पैसा डीएनटी के जरियेबच्चों के माता-पिता के खातों में ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
आइसोलेटेड वार्ड बढ़ाने के निर्देश : दुनिया में लाखों लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं और हजारों की जान जा चुकी हैं। भारत में इस वायरस से संक्रमण के 81 मामलों की पुष्टि हुई है। चूंकि कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैलता है, इसलिए भीड़-भाड़ नहींहोने के लिए ही सारे प्रावधान किए गए हैं और सावधानी बरती गई है। राज्य के दफ्तरों में जहां सरकारी कर्मचारियों को एक दिन के अंतराल पर आने के लिए कहा गया है, वहीं राज्य के स्वास्थ्य विभाग के सभी पदाधिकारियों, चिकित्सकों, तकनीकी स्टाफ और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की छुट्टी रद्द कर दी गई है। सभी अस्पतालों और मेडिकल कालेजों के सभी स्तर के कर्मचारियों की छुट्टी निरस्त कर दी गई है। राज्य के सरकारी और निजी अस्पतालों में आइसोलेटेड वार्ड और सीटें दोनों बढ़ाने का निर्देश दिया गया है।
कड़ी धूप में संक्रमण का खतरा कम : बिहार (डेहरी-आन-सोन) के वरिष्ठ हृदयरोग विशेषज्ञ डा. श्यामबिहरी प्रसाद के अनुसार, सबसे पहले फेफड़े को प्रभावित करने वाला कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति के खांसने-छींकने से एक मीटर दूरी तक के लोग को चपेट में ले सकता है। कोरोना वायरस की कोशिका का व्यास करीब 500 माइक्रो मीटर होने से सामान्य मास्क पहन कर इससे बचा नहींजा सकता। यह वायरस कड़ी धूप में दो घंटे में खत्म हो जाता है। गुनगुना पानी पीने और सूर्य की रोशनी में रहने से इसके संक्रमण का खतरा काफी कम हो सकता है। साबुन के बजाय अल्कोहल सैनिटाइजर से हाथ को बीच-बीच में सैनिटाइज करते रहना फायदेमंद हो सकता है। यूनिसेफ गाइडलाइन के हवाले से उन्होंने बताया है कि यह वायरस हवा से नहीं फैलता, जीव (व्यक्ति) से जीव (व्यक्ति) में संक्रमित होता है। धातुसतह पर 12 घंटा, कपड़ा पर नौ घंटा, हथेली में दस मिनट तक जीवित बना रहता है।
बिहार विधानसभा चुनाव का काउंटडाउन शुरू
बिहार में इस साल के आखिरी में होने वाले विधानसभा चुनाव का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। सभी राजनीतिक दलों की चुनावी तैयारी जोर-शोर से जारी है। प्रदेश की फिजां में जदयू की जल-जीवन-हरियाली यात्रा, राष्ट्रीय जनता दल की बेरोजगारी हटाओ यात्रा, लोजपा की बिहार फस्र्ट-बिहारी फस्र्ट यात्रा और वामपंथी दलों की सीएए-एनआरसी के विरुद्ध जन-गण-मन यात्रा ने सियासी गहमागहमी कायम हो चुकी है। यह भी पूरी तौर पर जाहिर हो चुका है कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) ही बिहार विधानसभा चुनाव के प्रमुख मुद्दे होंगे। दिल्ली में हुई दंगा की घटना बेशक बिहार के चुनावी माहौल पर असर डालने वाली है। दिल्ली दंगा के मद्देनजर हर सियासी दल मुस्लिम वोटबैंक को अपने-अपने तरीकों से अपने-अपने पक्ष में करने का जोरदार प्रयास करेगा।
मुस्लिम वोटबैंक पर एआईएमआईएम भी दावेदार : चुनाव में अभी महीनों देरी है, मगर यह देखने वाली बात होगी कि अगड़ा-पिछड़ा-वंचित की सियासत में बंटे बिहार में मुस्लिम वोटबैंक का पलड़ा किधर झुकता है? और, यह भी कि एनडीए-महागठबंधन के दो मुख्य ध्रुवों में बंटी बिहार की राजनीति में क्या कोई नया समीकरण बनने जा रहा है? देश में मुस्लिम राजनीति करने वाली ओवैसी की पार्टी आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमिन (एआईएमआईएम) ने भी राज्य के एक सीमांत क्षेत्र में उपचुनाव में जीत का आगाज कर बिहार के मुस्लिम वोटबैंक पर अपनी सशक्त दावेदारी ठोक दी है। बिहार में पहली बार एआईएमआईएम का खाता खुलने से उसकी जीत को राजद से मुस्लिम मतदाताओं के मोहभंग होने की पहचान मानी जा रही है। बिहार में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या पौने दो करोड़ है। एआईएमआईएम ने पांच विधानसभा क्षेत्रों में हुए उपचुनाव में अपना एकमात्र प्रत्याशी किशनगंज विधानसभा सीट पर उतारा, जिसने जदयू और कांग्रेस प्रत्याशियों को पराजित किया।
भाजपा ने नीतीश को माना है मुख्यमंत्री का चेहरा : हालांकि भाजपा ने पहले से ही कह रखा है कि बिहार विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा और वह ही मुख्यमंत्री के उम्मीदवार होंगे। फिर भी इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि उथल-पुथल के नए मौजूदा दौर में एक सियासत का नया समीकरण भी आकार ले सकता है। महागठबंधन में शामिल हम के नेता पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने कहा है कि नीतीश कुमार से बिहार में और कोई बड़ा चेहरा नहींहै। वह एनडीए से नाता तोड़कर महागठबंधन में आते हैं तो उनका स्वागत है। जबकि कांग्रेस के कई नेताओं की ओर से भी यह कहा गया है कि नीतीश कुमार के साथ समाजवादी पृष्ठभूमि वाले कांग्रेस नेता साथ हो सकते हैं।
राजद को शिकस्त देने को विधानसभा में प्रस्ताव पारित : एनडीए के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर स्पष्ट संदेश दे दिया कि एनआरसी राज्य में लागू नहीं होगा और एनपीआर 2010 के प्रारूप में संशोधन के साथ ही लागू किया जाएगा। नीतीश कुमार का यह कदम राज्य में सबसे मजबूत विपक्षी लालू प्रसाद यादव के दल राजद को जबर्दस्त तरीके से जवाब देने की कोशिश है। विधानसभा में विपक्ष के नेता और मुख्यमंत्री पद के चेहरा तेजस्वी यादव (लालू यादव के पुत्र) ने सीएए, एनआरसी और एनपीआर पर सदन में चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री को चुनौती दी कि आप (नीतीश कुमार) जो बोल रहे हैं, उसे लिखित में बंटवा दीजिए, समय बर्बाद मत करिए। विधानसभा में पारित हुआ प्रस्ताव फिलहाल तेजस्वी यादव को निरुत्तर बनाने वाला कदम है। नीतीश कुमार के इस नए दांव पर तेजस्वी यादव को यह कह कर संतोष करना पड़ा है कि यह राजद की जीत है।
अल्पसंख्यक को संदेश देने की कोशिश : नीतीश कुमार का यह कदम अल्पसंख्यक मतदाताओं को भी संदेश देने की कोशिश है। बिहार में माई (मुस्लिम-यादव) समीकरण के जरिए लालू प्रसाद यादव लंबे अरसे तक राज्य की सत्ता पर कायम रहे थे। नीतीश कुमार ने माई समीकरण को तोडऩे के लिए मुस्लिम समाज में पसमांदा सियासत की शुरुआत की और लालू यादव के वोटबैंक में सेंध लगाई। बिहार में 17 फीसदी मुस्लिम आबादी में दो-तिहाई पसमांदा समाज की संख्या है। भाजपा के साथ गठबंधन (एनडीए) में रहते हुए भी पसमांदा वोटबैंक नीतीश कुमार के साथ रहा है। सीएए और एनपीआर की सियासत से नीतीश कुमार के इस वोटबैंक के टूटने की आशंका जताई जा रही है। नीतीश कुमार द्वारा विधानसभा में पारित कराए गए प्रस्ताव का सहयोगी दल भाजपा ने समर्थन नहींकिया और उसके सभी 54 विधायक सदन से गैरहाजिर रहे। भाजपा एनआरसी के मुद्दे पर नीतीश कुमार की ओर से इतना बड़ा कदम उठाने को लेकर हतप्रभ है।
भाजपा फिक्रमंद, बरत रही बयान में सावधानी : भाजपा को इस बात की ज्यादा फिक्र है कि कोई उल्टा बयान गठबंधन (एनडीए) में खटास पैदा कर सकता है। महाराष्ट्र में शिवसेना से अलगाव के बाद भाजपा नहीं चाहेगी कि बिहार में जदयू का सियासी नाता उससे टूट जाए। वरिष्ठ भाजपा नेता कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने टिप्पणी की है कि हम केंद्र के नियमों के साथ हैं, लोकतंत्र में प्रस्ताव लाने का सबको अधिकार है। बिहार के प्रस्ताव को केंद्र सरकार देखेगी कि कितना जायज है? एनडीए की सहयोगी दल लोक जनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान ने नीतीश कुमार के कदम का समर्थन किया है। बिहार में लोजपा का अपना प्रभाव और वोटबैंक है।
कृष्ण किसलय (पटना से)
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