सोनमाटी में विज्ञान टिप्पणी (देशांतर/कृष्ण किसलय,विज्ञान लेखक)
चंद्रमा पर पानी को बर्फ की शक्ल में देखने और उसे चिह्निïत करने का श्रेय भारत के ही वैज्ञानिक उद्यम के हिस्से में है। वर्ष 2008 में भारत ने अपना पहला चंद्रयान-1 भेजा था, जिसने सौ किलोमीटर की दूरी से चांद के लगभग हर हिस्से पर नजर रखते हुए परिक्रमा की थी। उसके द्वारा भेजी गई तस्वीरों से पता चला कि चांद के ध्रुव क्षेत्र में पानी की भारी मात्रा बर्फ की शक्ल में मौजूद हो सकती है। मगर इसकी अंतिम पुष्टि होना अभी बाकी था। इसकी पुष्टि चंद्रयान-1 के साथ भेजे गए अमेरिका के मून मिनरॉलजी मैपर (एम-3) ने की है। एम-3 ने एकत्रित डाटा का विस्तृत और समय साध्य अध्ययन कर अब जाकर यह निष्कर्ष दिया है कि चांद पर पानी मौजूद है। चांद की ऊपरी पतली परत में हाइड्रोजन, ऑक्सिजन की मौजूदगी तथा उनके रासायनिक संबंध परअमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अध्ययन का निष्कर्ष पिछले दिनों पीएनएएस जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
सुदूर अंतरिक्ष यात्रा का पहला पड़ाव बनेगा चांद
भारत द्वारा चांद पर पानी वाले क्षेत्र की खोज करने के बाद वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांड के रहस्यों को समझने के लिए अंतरिक्ष यात्रा का पहला पड़ाव पृथ्वी से करीब 3.84 लाख किलोमीटर दूर चांद को बनाए जाने की दिशा मेंंकार्य आरंभ कर दिया है। यह तय है कि निकट भविष्य में पृथ्वी के बाद चांद ही अंतरिक्ष यात्रा का पृथ्वी के बाद दूसरा प्रक्षेपण बेस बनने जा रहा है, जहां मंगल और अन्य ग्रहों तक पहुंचने के लिए ईंधन का इंतजाम होगा। माना जा रहा है कि अंतरिक्ष यात्रा के लिए चांद से ईंधन अंतरिक्ष यान में लेकर आगे की उड़ान भरने की तकनीक का विकास नासा के वैज्ञानिकों ने कर लिया है। अब चुनौती चांद से अंतरिक्ष यात्रा के अगला मुकाम को हासिल करने की है।
चांद पर पानी की खोज गणित में शून्य के योगदान जैसा
नासा के अध्ययन में चांद के जिन इलाकों में बर्फ के रूप में पानी की बात पुख्ता हुई है, उन इलाकों की मिट्टी बन गए धूल सने बर्फ को अलग किया जा सकता है या नहीं, इस पर नासा ने अभी कुछ नहींकहा है। फिर भी इतना तो तय है कि चांद पर मौजूद पानी में हाइड्रोजन और आक्सीजन के परमाणुओं का रासायनिक बंधन धरती के पानी जैसा ही है। चंद्रमा पर पानी होने की पुष्टि अंतरिक्ष विज्ञान में भारत की अपूर्व उपलब्धि है। ठीक वैसी ही, जैसीकि गणित में शून्य के प्रयोग और विज्ञान के विकास में इसके उपयोग के योगदान को दुनिया भर में भारत के नाम के साथ स्वीकार किया जाता है।
चंद्रयान-1 ने दिया अनुमान को पुष्ट करने वाला अकाट्य प्रमाण
करीब चार दशकों से चांद से उसके मिट्टी-पत्थरों के धरती पर लाए गए नमूनों की जांच करने वाले शोधकर्ता चार दशकों से यही कहते रहे कि चांद पर सुदूर भूतकाल में कभी कुछ-न-कुछ पानी जरूर रहा होगा, मगर उनके वैज्ञानिक अनुमान को सही बताने के लिए उनके पास अकाट्य साक्ष्य नहींथा। इस बात का अकाट्य साक्ष्य मिला भारत के चंद्रयान-1 द्वारा की गई खोज से यानी चांद के ध्रुव क्षेत्र की ली गई तस्वीरों से। इसके बाद ही वर्ष 2009 में अमेरिका ने चांद पर अपना आर्बिटर (लूनर रिकानेस) भेजा था, जिसने चांद के चट्टानों की जोड़ों में पानी और उत्तरी ध्रुव पर बर्फ के होने की बात बताई।
(तस्वीर संयोजन : निशांत राज)
– कृष्ण किसलय, समूह संपादक, सोनमाटी मीडिया ग्रुप,
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