आखिर किस माडल में बदल रहा माडल स्कूल ?
डालमियानगर (रोहतास)-विशेष प्रतिनिधि। सीबीएसई मान्यता प्राप्त माडल स्कूल में पठन-पाठन की व्यवस्था पूरी तरह ठीक नहीं है, वित्तीय दायित्व के निवर्हन में अनियमितता है और स्कूल को 21वीं सदी के समय के अनुरूप बेहतर बनाने के बजाय इसे 19-20 वीं सदी की जागीरदारी वाली मानसिकता में चलाया जाता रहा है। एक अभिभावक के आवेदन पर पटना उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देश में भी यही अर्थ ध्वनित है। माडल स्कूल में सीबीएसई मानक के अनुरूप बेहतर पढ़ाई होने का दावा भर भले किया जाता हो, मगर सवाल है कि विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्यों के बच्चों मेे से कई स्थानीय इंग्लिश स्कूल या अन्य विद्यालयों में क्यों पढ़ते रहे हैं? शिक्षक-नियुक्ति की शर्त है कि वह ट्यूशन नहीं पढ़ाएगा, मगर इस स्कूल के प्राय: सभी शिक्षक ट्यूशन पढ़ाते हैं। माडल स्कूल के 11वीं के एक छात्र के अभिभावक ने रोहतास इंडस्ट्रीज कांप्लेक्स के पटना स्थित आफिशिएल लिक्विडेटर (परिसमापक) के जरिये उच्च न्यायालय से स्कूल प्रबंध समिति को निर्देश देने की याचना बीते वर्ष की थी। अभिभावक की मांग है कि माडल स्कूल में 11-12वीं की पढ़ाई के लिए समुचित संख्या में योग्य स्नातकोत्तर शिक्षक हों, प्रशासनिक व्यवस्था ठीक हो और वित्तीय अनियमितता दूर करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएं। इस मामले में जनवरी में उच्च न्यायालय के कंपनी जज ने रोहतास के जिलाधिकारी को दो महीने में विधि-सम्मत निष्पादन का निर्देश दिया था। इसकी जानकारी नहीं है कि जिलाधिकारी ने क्या रिपोर्ट कोर्ट में पेश की?
पूरी तरह अभिभावकों के धन से ही संचित-संचालित होने वाले इस विद्यालय में अविचारित वित्तीय खर्च का यह आलम देखिए। यह जानते हुए भी कि दूसरे (रोहतास इंडस्ट्रीज) की संपत्ति होने के कारण स्कूल परिसर कभी भी नीलाम हो सकता है, इसके बावजूद रंग-रोगन, मरम्मत में बहुत बड़ी रकम खपा दी गई। माडल स्कूल की प्रारंभिक कक्षाओं में एनसीआरटीई की पुस्तकें नहीं पढ़ाई जातीं, जबकि दूसरे प्रकाशन की पुस्तकों की कीमत दो-तीन गुनी अधिक होती है। कई अभिभावकों ने इस संबंध में विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्यों से वार्ता की, मगर कोई फल नहीं निकला। डालमियानगर माडल स्कूल 1957 से रोहतास उद्योगसमूह कांप्लेक्स के भवन, भूमि में संचालित हो रहा है। रोहतास इंडस्ट्रीज के बंद हो जाने पर 1996 में इसकी संपत्ति समापन (लिक्विडेशन) में चली गई तो माडल स्कूल का संचालन कोर्ट (कंपनी जज) के निर्देश पर प्रशासन की देखरेख में अभिभावकों की तीन साल के लिए निर्वाचित प्रबंध समिति द्वारा होने लगा। माडल स्कूल में सीबीएसई के मानकों का पालन हो रहा है या नहीं अथवा प्रबंधन या प्राचार्य द्वारा क्या सही, क्या गलत कदम उठाए जा रहे है? इसे देखना और ध्यानाकृष्ट कराना अभिभावकों और उनके द्वारा निर्वाचित सदस्यों का कार्य है। स्कूल में विद्यार्थियों के नामांकन और परीक्षा में शामिल होने में पैसे के खेल का आरोप लंबे समय से लगता रहा है। जैसीकि जानकारी छनकर आई है, नामांकन के एक मामले की जांच सीबीएसई (पटना) कर रही है। आठ साल पहले परीक्षा में शामिल करने के लिए पैसे लेने का आरोप विद्यालय प्रबंध समिति के समक्ष रखा गया था।
विद्यालयकर्मियों के अवैधानिक निलंबन और बर्खास्तगी में कोई खेल होने का आरोप भी लगता रहा है। राकेश विश्वकर्मा पिछले 13 सालों से शिक्षक पद पर नौकरी वापसी के लिए संघर्षरत हैं। इनका कहना है, उन्हें बिना किसी स्वतंत्र खुली जांच के विद्यालय से निष्कासित किया गया। राकेश विश्वकर्मा विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष, सचिव, सदस्यों के साथ सरकार के श्रमप्रवर्तन अधिकारी, पुलिस और प्रशासन से लगातार गुहार करते रहे हैं। तीन साल में विद्यालय प्रबंध समिति के बदल जाने, प्रस्ताव-ध्यानाकर्षण के मुद्दों की अनसुनी-अनदेखी करने और सरकारी प्रशासनिक अधिकारियों के स्थानांतरित होने की वजह से वह 13 सालों से घिरनी की तरह इधर से उधर नाच रहे हैं। उनकी विद्यालय में नियुक्ति 10 जनवरी 1991 को हुई और 27 जुलाई 2007 को निष्कासन किया गया। डेहरी के अनुमंडलाधिकारी ने 2016 में विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष, सचिव, प्राचार्य से राकेश विश्वकर्मा के निष्कासन से संबंधित स्पष्ट प्रतिवेदन देने का आदेश दिया, स्मारपत्र दिए और यहां तक कि मानवता के आधार पर सेवा बहाल करने का प्रशासनिक पत्र भी दिया। मगर विद्यालय प्रबंधन फिक्रमंद नहीं हुआ। राकेश विश्वकर्मा बताते हैं, निष्कासित एक शिक्षक को नौकरी पर फिर से बहाल किया गया तो उन्होंने 27 जुलाई 2016 को इस नजीर को रखते हुए विद्यालय प्रबंधन से नौकरी पर वापस लिए जाने की मांग की। विद्यालय प्रबंध समिति के लोग और प्राचार्य आरोप-अनियमितता पर लीपापोती वाली सफाई तो देते रहे हैं, मगर इनके पास सवालों और वैधानिक प्रक्रिया की पूर्ति के मद्देनजर सटीक उत्तर नहीं हैं। मौजूदा प्रबंध समिति की भी तीन साला मियाद खत्म होने की ओर है। बंद रोहतास इंडस्ट्रीज के अभियंता आरएस मिस्त्री के इस एकलौते पुत्र ने सोनमाटीडाटकाम को बताया कि उनके पास नौकरी करने की उम्र सिर्फ तीन साल बची हुई है। उन पर अविवाहित दो बेटों और एक बेटी का बोझ है। राकेश विश्वकर्मा रूंधे कंठ कहते हैं, नौकरी छीन जाने के बाद 2010 में संसाधनहीन घर की परवरिश की चिंता के हूक में उनके माता-पिता की मौत हो गई।
(रिपोर्ट : कृष्ण किसलय, तस्वीर : गूगल से)
ओमकार मोटर्स का दाउदनगर में नया आउटलेट
दाउदनगर (औरंगाबाद)-कार्यालय प्रतिनिधि। टाटा मोटर्स के अधिकृत विक्रेता ओमकार मोटर्स ने दाउदनगर में अपना नया आउटलेट खोल दिया। सासाराम (रोहतास) मुख्यालय स्थित ओमकार मोटर्स की दाउदनगर शाखा का शुभारंभ टाटा मोटर्स के बिहार-झारखंड क्षेत्र के प्रबंधक प्रशांत शेखर ने किया। ओमकार मोटर्स के अध्यक्ष डा. एसपी वर्मा और प्रबंध निदेशक राहुल वर्मा ने बताया कि टाटा मोटर्स के उत्पाद अपनी मजबूती, बेहतर तकनीक और जनसुलभ कीमत पर उपलब्ध होने के कारण लोकप्रिय हैं। टाटा मोटर्स के उत्पादों को ग्राहकों के करीब पहुंचाने और सर्विसिंग, लोन आदि से संबंधित सहूलियत देने के उद्देश्य से ही ओमकार मोटर्स ने दाउदनगर शाखा शुरू की है।
उधर, भाजपा के औरंगाबाद जिला प्रवक्ता अश्विनी तिवारी ने प्रेस बयान जारी कर काराकाट लोकसभा क्षेत्र, औरंगाबाद जिला में ओला-बारिश से होने वाले खेती के नुकसान का आकलन कराए जाने और किसानों को समुचित मुआवजा दिए जाने की मांग राज्य सरकार से की है। अश्विनी तिवारी ने कहा है कि फसल नुकसान का आकलन सक्षम तकनीकी टीम, अधिकारी द्वारा किया जाना चाहिए, ताकि वस्तुस्थिति सामने आ सके और किसानों को वास्तिविक मुआवजा मिल सके। (रिपोर्ट : निशांत राज)
डा. दरबारी और डा. तैयब का निधन, शोकसभाएं
डालमियानगर (कार्यालय प्रतिनिधि)। रोहतास इंडस्ट्रीज अस्पताल के मुख्य चिकित्सा सलाहकार रहे वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ सर्जन डा. दरबारी सिंह का 94 वर्ष की आयु में निधन हो गया। दरभंगा मेडिकल कालेज से शिक्षा प्राप्त करने के बाद 1957 में डालमियानगर अस्पताल में सेवा शुरू करने वाले सर्जन डा. दरबारी सिंह 1979 में मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी बने। 1984 में डालमियानगर कारखानों के बंद होने के बाद वह पुनर्वास आयुक्त द्वारा डालमियानगर अस्पताल के मुख्य चिकित्सा सलाहकार भी बनाए गए। उनके निधन पर आरआई प्रशासनिक भवन में रोहतास इंडस्ट्रीज कांप्लेक्स के प्रभारी अधिकारी एआर वर्मा की अध्यक्षता में शोकसभा की गई, जिसमें एमपी सिंह, सीआर घोष, श्रीनिवास सिंह, उमेश प्रसाद सिन्हा सहित रोहतास उद्योगसमूह (समापन में) के कार्यरत कर्मियों ने भाग लेकर संवेदनाएं व्यक्त कीं। उधर, शहर के वरिष्ठ चिकित्सक डा. तैयब अंसारी का भी 90 वर्ष की उम्र में इंतकाल हो गया। उन्होंने 1961 में दरभंगा मेडिकल कालेज से एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त करने के बाद अपने गृहनगर डेहरी-आन-सोन में ही अपने को एक सफल चिकित्सक के रूप में स्थापित किया। उनके निधन पर शहर के लोगों ने संवेदनाएं प्रकट कीं।
संजय गुप्ता बनाए गए डेहरी नगर भाजपा अध्यक्ष
डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-कार्यालय प्रतिनिधि। रौनियार समाज के अग्रणी युवा कार्यकर्ता संजय गुप्ता को डेहरी नगर भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया है। इस आशय का पत्र जारी कर भाजपा के जिला अध्यक्ष सुशील कुमार सिंह ने संगठन के संबंधित पदाधिकारियों को सूचित कर दिया है। सुशील कुमार ने संजय गुप्ता से दो हफ्ता में अपनी कार्यकारिणी का गठन करने और बूथ कमेटियों का गठन करने का निर्देश दिया है। संजय गुप्ता रौनियार वैश्य महासभा के राष्ट्रीय युवा उपाध्यक्ष के रूप में भी सक्रिय रहे हैं। संजय गुप्ता के नगर भाजपा अध्यक्ष बनाए जाने पर अखिल भारतीय मध्यदेशीय वैश्य सभा के रोहतास जिला अध्यक्ष सुरेश कुमार गुप्ता, युवा किंग क्लब के पदाधिकारी संदीप गुप्ता और डेहरी-डालमियानगर रौनियार वैश्य समाज के संरक्षक नंदलाल गुप्ता ने बधाई देते हुए यह अपेक्षा प्रकट की है कि वह भाजपा नगर अध्यक्ष के रूप में अपनी संगठन क्षमता का बेहतर प्रदर्शन करेंगे। (रिपोर्ट : निशांत राज)