बिहार में कक्षा छह से खुले स्कूल/ सफाईबाज होगी 04 मार्च को रीलीज/ फेसबुक संगीत संगोष्ठी

स्कूल तो खुल गए, मगर फिलहाल बोर्ड परीक्षा की बाधा

प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन की

सासाराम (रोहतास)-कार्यालय प्रतिनिधि निशान्त राज। कोई 11 महीनों बाद राज्य सरकार के निर्देशानुसर बिहार के सभी 38 जिलों में कक्षा-6 से कक्षा-8 तक के विद्यालय भी खुल गए, जिससे विद्यालयों का छोटे बच्चों के बिना सूना पड़ा माहौल खुशनुमा हो गया है। विद्यालयों ने इन विद्यार्थियों के लिए कोविड-19 से संबंधित एहतियातों का भरसक पालन करते हुए पढ़ाई की कक्षाएं आरंभ कर दी हैं। प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन ने दावा किया है कि सूबे के सभी विद्यालयों में कोरोना महामारी से बचने के मानकों का पालन किया जा रहा है।
प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव डा. एसपी वर्मा ने सभी निजी विद्यालयों के संचालकों और अभिभावकों को शुभकामना दी है और राज्य सरकार के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया है। उन्होंने कहा है कि सरकार द्वारा प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन की आठ सूत्री मांगों में चार को पूरा कर दिया है। बिहार सरकार के शिक्षा विभाग पर शिक्षा के अधिकार के तहत पढ़ाए गए विद्यार्थियों से संबंधित राशि बकाया है। एक वर्ष से फीस आदि के अभाव में निजी विद्यालयों की हालत पहले से ही खस्ता है। अब बिहार बोर्ड की बारहवीं परीक्षा के मद्देनजर उन विद्यालयों के संचालन में बाधा पहुंच रही है, जिनके भवन को बिना किसी शुल्क विद्यालय परिसर को परीक्षा के लिए ले लिया गया है।
प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशनके राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद शमायल अहमद ने कहा है कि निजी विद्यालयों को सरकारी परीक्षा के लिए इस तरह अधिग्रहित किया जाता रहा तो निजी विद्यालयों की पढ़ाई बाधित बनी रहेगी और विद्यार्थी पढ़ाई में पीछ रहेंगे। बिहार बोर्ड परीक्षा के लिए पंजीकरण के नाम पर विद्यार्थियों से निर्धारित शुल्क वसूलती है, मगर पानी, बिजली की व्यवस्था सहित भवन के लिए निजी विद्यालयों को कोई शुल्क नहीं देती। उन्होंने मुख्यमंत्री से इस दिशा में संज्ञान लेने की अपील की है। प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन के रोहतास जिला अध्यक्ष रोहित वर्मा ने निजी विद्यालयों में 06 से ऊपर की कक्षाओं में पढ़ाई के सरकार के निर्देश पर प्रसन्नता व्यक्त की है, मगर बिहार शिक्षा बोर्ड की परीक्षा के कारण भवन उपयोग के बाधित रहने के कारण क्षोभ भी प्रकट किया है।

सफाईबाज : चार मार्च से देश के सिनेमाघरों में

दिल्ली (सोनमाटी समाचार नेटवर्क)। नोएडा स्थित इंदिरा गांधी कला आडिटोरियम में बालीवुड के कलाकारों द्वारा हिन्दी फिल्म सफाईबाज का पोस्टर जारी किया गया और यह घोषणा की गई कि यह फिल्म 04 मार्च को देश के सिनेमाघरों में रिलीज की जाएगी। फिल्म की कहानी सफाईकर्मियों के जीवन पर आधारित है, जिनकी जिंदगी का हर दिन उस सफाई कार्य में बीतता है, जिस गंदगी को हम फैलाते हैं। जब ये गंदगी के गटर में सफाई कार्य के लिए उतरते हैं, तब उन्हें पता नहीं होता कि वे जिन्दा वापस भी लौटेंगे? ऐसा चुनौतीपूर्ण कार्य करने के बावजूद इनके प्रति समाज का रवैया घृणा की दृष्टि वाली होता है। फिल्म में राजपाल यादव, ओंकार दास मणिपुरी, जानी लिवर, उपासना सिंह, श्यामसुंदर ओझा, रितु सिंह, मनप्रीत कौर, आशीष आवाना, रवि किशन, सुरेंद्र पाल, मनोज पंडित आदि भूमिकाओं में हैं। इसमें कई सिने जगत के पुराने परिचित कलाकार हैं तो कई नए कलाकार भी। फिल्म के लेखक-निर्देशक डा. अवनीश सिंह और अजीत चौबे क्रिएटिव डायरेक्टर हैं। गीत डा. नीता सिंह के हैं।

संगीत : मानसिक विकास का एक सशक्त माध्यम

पटना (सोनमाटी समाचार नेटवर्क)। भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वाधान में फेसबुक पेज (अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका) पर आनलाइन हेलो फेसबुक संगीत सम्मेलन का संयोजन किया गया, जिसका संचालन वरिष्ठ चित्रकार सिद्धेश्वर ने किया। संगीत सम्मेलन के आयोजन के औचित्य पर सिद्धेश्वर ने कहा कि कोरोना काल जैसे कठिन समय में संगीत ने समाज के बड़े तबके में उत्साह और ऊर्जा का संचार कर खुश रखने में मदद की है। मुख्य अतिथि सत्यम मिश्रा (बेतिया) ने निर्धारित विषय (संगीत ही जीवन है) पर चर्चा करते हुए कहा कि संगीत ने मनुष्य जीवन को संस्कारवान बनाने और उसके मानसिक विकास में हजारों सालों तक सशक्त कला माध्यम बना रहा है। संगीत में प्रत्येक व्यक्ति को आकर्षित करने की अद्भुत क्षमता है। इसीलिए महान दार्शनिक प्लेटो ने संगीत के महत्व पर यह कहा था कि सफल शिक्षक का संगीतज्ञ होना आवश्यक है। आनलाइन संगोष्ठी की अध्यक्षता प्रो. शरदनारायण खरे (मध्य प्रदेश) ने की। कहा कि संगीत जीने की कला सिखाता है। संगीत प्रकृति की संरचना में निहित है। इसीलिए यह मनुष्य के अंतर्मन में स्वाभाविक तौर पर गुंफित रहता है। संगीत के सात सुर साहित्य के नौ रस के साथ मिलकर जीवन को चेतनामय बनाते हैं। मीना कुमारी परिहार, खुशबू मिश्रा, वीणाश्री हेंब्रम, डा. नूतन सिंह, मधुरेश नारायण और सुमन कुमारी ने भी मनुष्य के जीवन में संगीत के जुड़ाव और महत्व पर प्रकाश डाला।

Share
  • Related Posts

    सेंट माइकल्स स्कूल के छात्रों ने जाना कृषि विज्ञान का भविष्य

    पटना – कार्यालय प्रतिनिधि। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना में मंगलवार को एक विशेष शैक्षणिक भ्रमण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें पटना स्थित सेंट माइकल्स…

    Share

    जीएनएसयू में तीन दवसीय हस्तशिल्प कार्यशाला का आयोजन

    डेहरी-आन-सोन (रोहतास) विशेष संवाददाता। हस्तशिल्प के संवर्धन एवं विकास हेतु भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय के अधीन संचालित हस्तशिल्प सेवा केंद्र, पटना के तत्वावधान में शुक्रवार से तीन दिवसीय कार्यशाला…

    Share

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

    You Missed

    शाहाबाद टूरिज्म सर्किट बनाने की भी हुई मांग, राजनेताओं और बुद्धिजीवों का हुआ जुटान

    शाहाबाद टूरिज्म सर्किट बनाने की भी हुई मांग, राजनेताओं और बुद्धिजीवों का हुआ जुटान

    बिहार के बुनकर कमलेश कुमार राष्ट्रीय हथकरघा पुरस्कार के लिए चयनित

    बिहार के बुनकर कमलेश कुमार राष्ट्रीय हथकरघा पुरस्कार के लिए चयनित

    जन सुराज का डेहरी में जनसंवाद कार्यक्रम

    जन सुराज का डेहरी में जनसंवाद कार्यक्रम

    सेंट माइकल्स स्कूल के छात्रों ने जाना कृषि विज्ञान का भविष्य

    सेंट माइकल्स स्कूल के छात्रों ने जाना कृषि विज्ञान का भविष्य