कोरोना वैक्सीन में कामयाबी/ महिला सहित चार अंतरराष्ट्रीय तस्कर गिरफ्तार/ शाहाबाद महोत्सव/ अवधकिशोर मिश्र का निधन

चार वैज्ञानिकों का काम कोरोना वैक्सीन में कामयाब, मगर इंटरपोल ने चेताया

कोरोना वैक्सीन के लिए भारत ने कई कंपनियों से वैक्सीन खरीद का अनुबंध किया है। हालांकि भंडारण में ज्यादा ठंड की जरूरत की वजह से फाइजर की वैक्सीन के लिए करार अभी नहींहुआ है। इस बीच इंटरपोल ने पूरी दुनिया के लिए यह चेतावनी जारी की है कि कोविड-19 वैक्सीन के आने के साथ क्रिमिनल नेटवर्क सक्रिय हो सकता है,जिसके जरिये फर्जी वैक्सीन की ब्रिकी इंटरनेट और फिजिकल स्तर पर हो सकती है। हालांकि कोरोना महामारी की दहशत में कई देशों नेदुश्मनी और तनाव को भूल इससे संबंधित वैज्ञानिक आंकड़ों को साझा किया। कोविड-19 से निजात दिलाने की जिन चार वैज्ञानिकों की पहल अग्रणी मानी गई, उनमें दो जगजाहिर तनाव वाले देश तुर्की और ग्रीस के भी हैं।
छोटे अपार्टमेंट में रहने और साइकिल से काम पर जाने वाले तुर्की के डा. उर शाहीन की पत्नी ओजलो टुरैसी भी वैज्ञानिक हैं। इस दंपत्ति ने पहले ट्यूमर इम्युन थेरेपी पर और बाद में एम-आरएनए पर शोध किया। जर्मनी की भौतिक विज्ञानी पिता की बेटी ओजलो टुरोसी की उर शाहीन से मुलाकात मेडिसिन की पढ़ाई के दौरान हुई थी। दोनों में आरंभ से ही शोध का जुनून था। इम्युनोलाजी के मशहूर वैज्ञानिक ग्रीस के अल्बर्ट ब्रूला ने सहयोगी वैज्ञानिकों को शोध की पूरी छूट दी और कोविड-19 की वैक्सीन बनाने में सफल रहे। उन्होंने सरकार से राजनीतिक दबाब से दूर रहने के लिए पैसा नहीं लिया।
यूनिवर्सिटी आफ पेनसिलवेनिया की प्रो. कैटलिन कारिको का शोध-अनुदान तो सरकार ने 1995 में बंद कर दिया था। फिर भी अपने अत्यंत सीमित साधन में उन्होंने अपना शोध श्रमपूर्वक जारी रखा। फाइजर और माडर्ना कंपनियों की कोरोना वैक्सीन कारिको की शोध तकनीक एम-आरएनए पर आधारित है। यह तकनीक कोशिका में प्रोटीन बनाती है, जिससे तंत्रिका तंत्र को प्रोटीन मिलता है। इस तकनीक में वास्तविक वायरस की जरूरत नहीं होती है। इससे वैक्सीन ज्यादा जल्दी बनाया जा सकता है और शरीर प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है। 1985 में हंगरी वासी कारिको 1200 डालर में कार बेचकर इंजीनियर पति के साथ अमेरिका आई थीं। अब विरोध करने वाले उन्हें रसायन का नोबेल पुरस्कार देने की मांग कर रहे हैं।

सोनमाटी समाचार नेटवर्क (प्रस्तुति : निशान्त राज)

अंतरराष्ट्रीय सोना और हथियार गिरोह के महिला सहित चार तस्कर गिरफ्तार

पटना (कार्यालय प्रतिनिधि)। डीआरआई की सूचना पर आरपीएफ द्वारा महिला की ली गई तलाशी में उसकी कमर में बंधे बेल्ट से डेढ़ किलो सोना बरामद हुआ। महिला अफरोज आमिर उल्लाह के साथ मोहम्मद शमद को भी गिरफ्तार किया गया। दोनों के पास से बरामद सोना की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत एक करोड़ रुपये से ज्यादा है। महिला के पास से दो और युवक के पास से एक सोना का बिस्किट मिला है। मुंबई में रहने वाले दोनों एक बड़े अंतरराष्ट्रीय सोना तस्कर सिंडिकेट गिरोह के लिए काम करते हैं। सोना तस्कर गिरोह के दोनों वाहकों की गिरफ्तारी पटना रेलवे स्टेशन पर खड़ी रेलगाड़ी नार्थ ईस्ट एक्सप्रेस की ए-वन बोगी से हुई। उधर पूर्णिया से प्राप्त समाचार के अनुसार, पुलिस ने बस स्टैंड से कोलकाता निवासी हथियारों के अंतरराष्ट्रीय तस्करों अनवर और रिजवान एतयाना को 11 कट्टों के साथ गिरफ्तार किया, जो बस से पश्चिम बंगाल जा रहे थे। पूछताछ में पुलिस को तस्करों ने बताया कि पूर्णिया के मोहम्मद शहाबुद्दीन नामक शख्स से उन्होंने हथियार लिया था, जो 5-6 हजार रुपये में बेची जाती है। दोनों पश्चिम बंगाल के कुख्यात हैं।

शाहाबाद महोत्सव : देश-प्रदेश में क्षेत्रीय अस्मिता स्थापना का उपक्रम

डेहरी-आन-सोन (कार्यालय प्रतिनिधि/विशेष संवाददाता)। शाहाबाद महोत्सव क्षेत्र विशेष की गौरवपूर्ण स्थानीय अस्मिता की स्थापना का सर्वसमाज उपक्रम है। शाहाबाद के चारों जिलों रोहतास, भोजपुर, कैमूर और बक्सर की सम्मिलित संस्कृति का राष्ट्रीय ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय महत्व रहा है। सोन, गंगा, कर्मनाशा जैसी प्राचीन वाग्मय की महत्वपूर्ण नदियों की त्रिवेणी में अवस्थित शाहाबाद प्रक्षेत्र हजारों सालों से आदमी के विभिन्न समुदायों की सभ्यता-संस्कृति की संघर्ष-संधि का प्रज्ञा-द्वीप रहा है। मानवीय चिंतन-दर्शन की आध्यात्मिक ऊंचाई में, विदेशी दासता से मुक्ति के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय सहभागिता के साथ संगीत, वास्तुकला, साहित्य, शिक्षा, अभियांत्रिकी, चिकित्सा, राजनीति, विज्ञान, पत्रकारिता आदि में इस प्रक्षेत्र का शीर्ष ऐतिहासिक और सार्वदैशिक उल्लेखनीय योगदान रहा है। इस प्रक्षेत्र पर राज्य और केेंद्र सरकार दोनों को विशेष ध्यान देने की अत्यंत जरूरत है। धार्मिक पर्यटन, विरासत पर्यटन और इको पर्यटन की दृष्टि से शाहाबाद प्रक्षेत्र बहुत संभावनाशील है। यह बातें गोपालनारायण सिंह विश्वविद्यालय परिसर में आनलाइन संयोजित शाहाबाद महोत्सव में वक्ताओं ने कही। समारोह को सांसद गोपाल नारायण सिंह, विश्वविद्यालय के सचिव गोविंदनारायण सिंह आदि ने संबोधित किया। संचालन वरिष्ठ पत्रकार नरेंद्र कुमार सिंह ने किया। संयोजक अखिलेश कुमार सिंह नेे प्रस्तावना में बताया कि महोत्सव टीम ने शाहाबाद प्रक्षेत्र के धरोहर स्थलों, प्रमुख गांवों की यात्रा कर जागरूकता अभियान भी चलाया।
आईटी कार्यशाला और एड्स जागरूकता कार्यक्रम :
विशेष संवाददाता से प्राप्त समाचार के अनुसार, जमुहार स्थित जीएनएसयू के सूचना विभाग में वेब एप्लीकेशन डेवलपमेंट पर पांच दिवसीय कार्यशाला में वाराणसी के पीएच सूचना तकनीक के विशेषज्ञ संजीव कुमार और रितीक कुमार ने विद्यार्थियों को नई व्यावहारिक जानकारियां दीं। सूचना विभाग के अध्यक्ष डा. अभिषेक श्रीवास्तव ने बताया कि विभाग के अध्यापकों डा. सुमित कुमार, सतीश कुमार गुप्ता, केएल अंबष्ट, चंदा कुमारी, अमन रौठ के साथ विद्यार्थियों में स्किल (दक्षता) और साल्यूशन (समाधान) के लिए आयोजित इस पांच दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ जीएनएसयू के कुलसचिव डा. राधेश्याम जायसवाल ने किया। जीएनएसयू के ध्वज संस्थान एनएमसीएच की ओर से एड्स दिवस पर एड्स जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन कर एहतियात और उपाय की जानकारी दी गई।

नहीं रहे साहित्यकार-शिक्षक अवधकिशोर मिश्र

डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-कार्यालय प्रतिनिधि। शहर के अग्रणी साहित्यकार-शिक्षक अवधकिशोर मिश्र का 93 वर्ष की उम्र में दिल्ली अस्पताल में हो गया। वह कोविड-19 के शिकार हो गए थे और पिछले दो हफ्ते से उनका सघन इलाज चल रहा था। उच्च विद्यालय, डेहरी-आन-सोन के प्रधानाध्यपक रहे श्री मिश्र हिन्दी, अंग्रेजी और संस्कृत के विद्वान होने के साथ अरविंद दर्शन के आधिकारिक ज्ञाता भी थे। उन्होंने की कई पुस्तकेें लिखी थीं। वह नवभारत टाइम्स, पटना के संपादक और राज्यसभा सांसद रहे स्वर्गीय दीनानाथ मिश्र के समधी थे।

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