(कृष्ण किसलय) अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की मंगल पर आदमी उतारने, बस्ती बसाने की योजना

-० प्रसंगवश ०-
अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की मंगल पर आदमी उतारने, बस्ती बसाने की योजना
– कृष्ण किसलय (संपादक, सोनमाटीडाटकाम)

लाल ग्रह मंगल आदिकाल से ही विश्व की सभी सभ्यताओं में उत्सुकता का विषय रहा है, क्योंकि यह साल में एक-दो महीने ही नंगी आंख से दिखाई देता है। सवा सौ साल पहले 19वींसदी में ब्रिटेन के विज्ञान कथाकार हरबर्ट जार्ज वेल्स की पुस्तक ‘वार आफ द वल्र्डसÓ (1898) पढ़कर पाठक उत्तेजना में आ जाते थे कि क्या सचमुच मंगल ग्रह के प्राणी पृथ्वी पर आक्रमण करेंगे? चालीस साल बाद 1938 में अमेरिका के अभिनेता जार्ज ओरसन वेल्स ने अपनी प्रभावकारी आवाज में इसका रेडियो रूपांतर प्रस्तुत किया कि मंगलवासी पृथ्वी पर आक्रमण कर चुके हैं। फिर 15 साल बाद 1953 में हालीवुड की बहुचर्चित फिल्म ‘इनवेडर्स फ्राम मार्सÓ बनी। जब 1957 में अंतरिक्ष यानों का अभियान आरंभ हुआ तो मंगल के बारे में ठीक-ठीक जानकारी मिलनी शुरू हुई। हजारों सालों के अंधविश्वास और पौराणिक किस्सा-कहानियों के भ्रमजाल से पर्दा उठा।

मंगल पर अमेरिका के चार स्पेसक्राफ्ट :

(परसवरेन्स : नासा फोटो)

पृथ्वी की तरह अपनी धुरी पर झुके पड़ोसी ग्रह मंगल पर खगोल वैज्ञानिकों ने सबसे अधिक शोध किए हैं। सबसे पहले 17वींसदी के दूसरे दशक में पहली बार दूरबीन से अवलोकन कर गैलीलियो ने इसके बारे में जानकारी दी। ढाई सदी बाद बेहतर दूरबीन बनने पर 1877 में एलिक हाल ने मंगलके दो उपग्रहों के बारे में बताया। उसी वर्ष जियोब्रेनी शेमवर्ली ने मंगल की सतह की लकीरें को कैनाली कहा, जो अंग्रेजी शब्दकोश में नहर के अर्थ के लिए शामिल हुआ। मंगल पर अमेरिका के ही चार स्पेसक्राफ्ट उतर सके हैं। अमेरिका के पांचवें लैंडर एक टन वजनी ‘परसेवरेंसÓ को मंगल की सतह पर उतारने के लिए अंतरिक्ष यान पृथ्वी से 30 जुलाई को रवाना हुआ है। कार के आकार का परसवरेन्स 25 कैमरा, दो माइक्रोफोन, ड्रिल मशीन और लेजर उपकरण से लैस है। यह सात महीनों में 48 करोड़ किलोमीटर की अंतरिक्ष यात्रा कर फरवरी 2021 में मंगल पर पहुंचेगा। सूर्य से 22.79 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर मंगल ग्रह सौरमंडल का 7वां सबसे बड़ा ग्रह है।

इस होड़-दौड़ में भारत भी :

(ड्रोन : नासा फोटो)

परसेवरेंस मंगल के मौसम, गहराई से खोदी गई मिट्टी का अध्ययन करेगा और जलस्थल की खोज करेगा। इसके साथ दो किलो का ड्रोन है, जो उड़ते हुए इसके संपर्क में बना रहेगा। अमेरिका का पहला लैंडर (वाइकिंग-1) मंगल पर 1976 में उतरा था। चौथे अमेरिकी लैंडर ‘इनसाइटÓ ने मंगल पर आंधी चलने की पार-लौकिक आवाज 2017 में रिकार्ड की थी। परसेवरेंस से पहले 23 जुलाई को चीन का भी लैंडर (तियानवे-1) भेजा गया, जो पानी खोजेगा और पत्थरों का विश्लेषण करेगा। इन दोनों से पहले 19 जुलाई को भेजा गया संयुक्त अरब अमीरात का पहला मंगल यान ‘होप आर्बिटरÓ सिर्फ परिक्रमा कर सूचनाएं पृथ्वी पर भेजेगा। वैज्ञानिकों की योजना मंगल पर आदमी भेजने और बस्ती बसाने की है। 20वीं सदी के महान वैज्ञानिक प्रो. स्टीफेन हाकिंग ने अपने आकलन में बताया है कि दो सदी बाद पृथ्वी जीवन के लिए अनुकूल अर्थात सभी जीवधारियों के रहने योग्य नहीं रहेगी। इसीलिए इस होड़-दौड़ में भारत भी है, जो 2013 में प्रथम सफल मंगल मिशन भेज चुका है।

(स्तंभकार विज्ञान विषयों के अग्रणी लेखक हैं)
संपर्क : सोनमाटी-प्रेस गली, जोड़ा मंदिर, न्यू एरिया, पो. डालमियानगर, जिला रोहतास (बिहार) फोन : 9523154607, 9708778136

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