18 तक स्कूल-कालेज बंद, मुख्यमंत्री का जांच बढ़ाने का निर्देश
पटना (कार्यालय प्रतिनिधि)। बिहार में कोविड-19 वायरस के बढ़ते जा रहे मामलों के मद्देनजर राज्य सरकार ने अब स्कूल-कालेज बंद रख्रने की अवधि 11 अप्रैल से बढ़ाकर 18 अप्रैल तक कर दी है। 30 अप्रैल तक राज्य के सभी दुकान-प्रतिष्ठान शाम सात बजे तक ही खुलेंगे। हालांकि यह नियम रेस्तरां और होटल पर लागू नहीं है, मगर इनकी क्षमता की 25 फीसदी का ही उपयोग होगा। सिनेमा हाल में सीट क्षमता के 50 फीसदी दर्शक ही बैठेंगे। आम लोगों के लिए धार्मिक स्थल बंद रहेंगे। सरकारी और निजी दफ्तरों में 33 फीसदी कर्मियों की ही उपस्थिति होगी। मास्क और सैनिटाइजर का उपयोग सार्वजनिक स्थानों पर जरूरी है। यह जानकारी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उच्चस्तरीय बैठक करने के बाद प्रेस कान्फ्रेन्स के जरिये दी। नीतीश कुमार ने बताया कि राज्य के सभी जिलों को कोरोना वायरस जांच में तेजी लाकर रोज एक लाख लोगों की जांच करने का निर्देश दिया गया है।
देशभर में बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के नए मामले :
नई दिल्ली (सोनमाटी समाचार नेटवर्क)। प्रेस इन्फार्मेशन ब्यूरो द्वारा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के हवाले से दी गई जानकारी के अनुसार, दस राज्यों महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात और राजस्थान में नए कोरोना मामलों का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। कोरोना के नए सक्रिय मामले सिर्फ पांच राज्यों महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और केरल में ही 73 प्रतिशत है। देश में अब तक कुल स्वस्थ हो चुके मरीजों की संख्या एक करोड़ 19 लाख से ऊपर पहुंच चुकी है। देश में प्रतिदिन औसतन 38 लाख टीके की खुराक लगाई जा रही है। कोरोना का टीका लगवाने वालों की संख्या 9.43 करोड़ से अधिक पहुंच गई है।
बिहार में 7504 कोरोना के सक्रिय मरीज :
बिहार में 09 अप्रैल तक कोरोना के कुल सक्रिय मरीजों की संख्या 7504 पहुंच गई। पटना, गया, भागलपुर, जहानाबाद, मुजफ्फरपुर और सीवान में 03 अप्रैल से 8 अप्रैल के बीच 4555 नए संक्रमितों की पहचान हुई है। बिहार में महाराष्ट्र से आने वाली रेलगाडिय़ों पर विशेष नजर रखी जा रही है। 09 अप्रैल को महाराष्ट्र से आई एक ट्रेन के यात्रियों की जांच में 17 पाजिटिव पाए गए।
कोरोना वैक्सीन पर कब्जे के लिए अमीर देशों का दुष्प्रचार!
-सोनमाटी समाचार नेटवर्क-
भारत सरकार ने देश में कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर इसकी वैक्सीन आक्फोर्ड-एस्ट्राजेनेका का निर्यात कुछ समय के लिए रोक रखा है। इस कारण कई अमीर देश भारत से खफा हैं और भारत के विरुद्ध मनोवैज्ञानिक दबाव बढ़ा रहे हैं। अमीर देश यह कह रहे है कि भारत सरकार के इस निर्णय से करीब 92 गरीब देशों को समय से वैक्सीन की आपूर्ति प्रभावित हो रही है।
भारत में सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया में बनाई जा रही आक्फोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन पर अमीर देशों का कोई अधिकार नहीं है। यह वैक्सीन भारत और दुनिया के 92 गरीब देशों के लिए ही बनी है। एक साल पहले आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के अंतर्गत जेनर इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने कोरोनो वायरस वैक्सीन विकसित करने का अग्रणी कार्य किया था और दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया ने इस वैक्सीन के उत्पादन का लाइसेंस हासिल किया था। गेट्स फाउंडेशन से आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने यूके की मल्टीनेशनल फार्मा ग्रुप एस्ट्राजेनेका के साथ विशेषाधिकार के समझौता पर हस्ताक्षर कर रखा है। विशेषाधिकार समझौते के कारण यह सीरम इंस्टीट्यूट को एस्ट्राजेनेका से नया करार करना पड़ा कि सीरम इंस्टीट्यूट भारत सहित 92 गरीब देशों के लिए भी वैक्सीन का निर्माण करेगा। इन 92 देशों में दुनिया की आधी आबादी रहती है, जिसमें भारत की जनसंख्या हिस्सेदारी 35 फीसदी है। प्रावधान किया गया कि सीरम इंस्टीट्यूट भारत में घरेलू आपूर्ति के लिए 50 फीसदी टीका और 50 फीसदी टीका भारत से बाहर के देशों में निर्यात के लिए बनाएगा।
जब वैक्सीन के पेटेंट को लेकर भारत और दक्षिण अफ्रीका ने विश्व व्यापार संगठन से अपील की, तब ब्रिटेन, कनाडा, ब्राजील आदि देश पेटेंट के विरोध में खड़े हो गए। ब्राजील ने तो यहां तक कहा कि दुनियाभर में वैक्सीन की तेजी से आपूर्ति के लिए इसके फार्मास्यूटिकल एकाधिकार और पेटेन्ट को कुछ समय के लिए निलंबित कर देना चाहिए। ‘द गार्डियनÓ में प्रकाशित लेख के अनुसार, ब्रिटेन अपनी आबादी के आधे वयस्क नागरिकों को वैक्सीन की खुराक दे चुका है, जबकि भारत में आबादी की तीन फीसदी ही वैक्सीनेशन हुआ है। भारत से धनी देशों सऊदी अरब, कनाडा, ब्रिटेन, अमेरिका को करोड़ों वैक्सीन आपूर्ति की जा चुकी है।