चुनाव : काराकाट में उतरेंगी ज्योति और स्नेह की भी नजर, समीक्षा : एनबीटी से कृष्ण किसलय की पुस्तक

पटना/ डेहरी-आन-सोन (बिहार)-विशेष प्रतिनिधि। पूर्व केेंद्रीय मंत्री और एनडीए से दो महीने पहले अलग हुए रालोसपा सुप्रीमो और काराकाट के सांसद उपेन्द्र कुशवाहा टिकट बेचने और 90 लाख रुपये लेने के आरोप में घिरे हुए हैं? इस बीच डिहरी विधानसभा क्षेत्र की पूर्व विधायक और राष्ट्र सेवा दल की नेता ज्योति रश्मि ने काराकाट संसदीय क्षेत्र से चुनाव लडऩे की तैयारी कर ली है। राष्ट्र सेवा दल के अध्यक्ष और डिहरी विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक प्रदीप जोशी ने ज्योति रश्मि के काराकाट संसदीय क्षेत्र से चुनाव लडऩे का ऐलान कर दिया है। ज्योति रश्मि 2010 में डिहरी विधानसभा क्षेत्र से पूर्व मंत्री इलियास हुसैन को हराकर विधायक बनी थीं।

स्नेह लता भी हो सकती हैं उम्मीदवार
कांग्रेस-राजद के साथ गठबंधन में रालोसपा को कितनी सीटें मिलेंगी, यह तय नहींहो सका है। मगर यह माना जा रहा है कि रालोसपा के लिए काराकाट और उजियारपुर की संसदीय सीटें तय हैं। चूंकि बदले हुए सियासी समीकरण में काराकाट संसदीय क्षेत्र से उपेन्द्र कुशवाहा ऊहापोह की स्थिति में हैं, इसलिए संभव है कि इस सीट पर वह अपनी पत्नी स्नेह लता को उतारें और खुद उजियारपुर से चुनाव लड़ें।

स्नेह लता रालोसपा की राज्य सचिव सीमा कुशवाहा के साथ इस क्षेत्र का दौरा भी कर रही हैं। उपेंद्र कुशवाहा को लेकर विकास कार्य, जनता से संपर्क, पहले भी विधानसभा क्षेत्र की एक टिकट बेचने की अफवाह आदि के मद्देनजर तरह-तरह की बातें काराकाट संसदीय क्षेत्र में चर्चा में हैं। यह भी हो सकता है कि यह सीट राजद के खाते में चला जाए। इसलिए यह लगता है कि उपेंद्र कुशवाहा अपने के उजियारपुर से ज्यादा सुरक्षित मान रहे हैं। रालोजपा को 2014 में गठबंधन में बिहार से तीन संसदीय सीटें काराकाट, सीतामढ़ी और जहानाबाद मिली थीं। रालोजपा ने सौ फीसदी रिजल्ट दिया और तीनों सीटों काराकाट (उपेन्द्र कुशवाहा), सीतामढ़ी (रामकुमार शर्मा), जहानाबाद (प्रो. अरुण कुमार) पर जीत हासिल की। मगर इसके बाद प्रो. कुमार रालोसपा या उपेंद्र कुशवाहा का साथ छोड़कर राष्ट्रीय समता पार्टी के संरक्षक बन गए।
(तस्वीर : निशान्त राज)

 

पुस्तक समीक्षा : एनबीटी ने पेश किया ब्रह्मांड की खोज पर आधारित कृष्ण किसलय की कृति– सुनो मैं समय हूं
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चित्र में ये शामिल हो सकता है: 2 लोग

बिहार राज्य में आंचलिक पत्रकारिता के ध्वज-धारक कृष्ण किसलय पत्रकारिता के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित पहचान बन चुके हैं। संप्रति वे रोहतास जिले के सोन नदी तट नगरी डेहरी-आन-सोन के अग्रणी समाचार-विचार पत्र सोनमाटी और न्यूज-व्यूज वेबपोर्टल सोनमाटीडाटकाम (sonemattee.com) के समूह संपादक हैं। अपनी लेखकीय प्रतिभा और सापेक्ष विचार संप्रेषण के लिए किसलय जी अनेक प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित हो चुके हैं। ब्रह्मांड पर वैज्ञानिक खोजों और नूतन-पुरातन ज्ञान आधारित शोधपूर्ण 184 पृष्ठ (कीमत 105 रुपये) की सद्य प्रकाशित उनकी कृति (सुनो मैं समय हूं) इन दिनों चर्चा का विषय है।
अपनी विषय-वस्तु पर वैज्ञानिक संकल्पनाओं, शोधपरक प्रामाणिक जानकारी के साथ खगोल, भूगोल, भौतिकी, जीव विज्ञान, नृविज्ञान, पुराविज्ञान पर आधारित इस पुस्तक की रचना उन्होंने किशोर विद्यार्थियों में विज्ञान के प्रति अभिरुचि जगाने और बनाए रखने के उद्देश्य से की है। अपने इस उद्देश्य में वे सफल भी रहे हैं। 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के साथ सभी वर्गों के पाठक भी इसमें गहरी रुचि प्रदर्शित कर रहे हैं।

चित्र में ये शामिल हो सकता है: पाठपुस्तक का प्रकाशन भारत सरकार की देश की सबसे बड़ी और प्रतिष्ठित स्वशासी प्रकाशक संस्था नेशनल बुक ट्रस्ट (एनबीटी) ने किया है। अपने भूमण्डल, खगोल और जीवन के प्रति आदमी हजारों सालों से जिज्ञासु रहा है। ऐसी विषय-वस्तु पर आधारित पुस्तकें हिन्दी भाषा में प्रकाशित हो चुकी हैं। यहां तक कि संभवत: नेशनल बुक ट्रस्ट भी इस विषय पर पहले पुस्तक प्रकाशित कर चुका है। इसके बावजूद दुबारा ऐसे ही विषय पर एनबीटी ने कृष्ण किसलय की इस कृति का प्रकाशन कर इस तथ्य पर मुहर लगा दी है कि इस पुस्तक में अधिक प्रामाणिक और 21वीं सदी में प्रकाश में आए अद्यतन तथ्यों को भी पिरोया गया है।

ईश्वर ने सृष्टि बनाई तो फिर ईश्वर को किसने बनाया?
ब्रह्मांड कब पैदा हुआ? कहां फैल रहा है? इसके विस्तार का अंत कब होगा? ईश्वर ने सृष्टि बनाई तो फिर ईश्वर को किसने बनाया? नियम से विकसित हुए ब्रह्मांड में ईश्वर का क्या
काम? जीवन पृथ्वी पर पनपा या आकाश से टपका? क्या एलियन है आदमी? सभी जीवों में एक ही जैव पदार्थ तो पृथ्वी पर आदमी का एकछत्र राज्य क्यों?

इन प्रश्नों का प्रमाणिक उत्तर किशोर मन को देने की कोशिश है यह पुस्तक। इसके लिए दर्जनों चित्र कोलकाता के प्रतिष्ठित चित्रकार कला स्नातक अरूप गुप्ता ने बना कर इसे और अधिक रुचिकर और जिज्ञासु बना दिया है।

फ़ोटो का कोई वर्णन उपलब्ध नहीं है.

प्रतिष्ठितों की प्रतिक्रिया

बिहार के रोहतास जिला के इतिहास पर शोध पुस्तक लिख चुके डा. श्यामसुन्दर तिवारी ने इस सन्दर्भ में कहा है कि यह गौरव की बात है। देश में प्रकाशन विभाग के बाद एनबीटी सबसे बड़ा प्रकाशक है। इस अद्र्धसरकारी संस्थान से किताब छपना महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

काव्य संग्रह (आवाज भी देह है) के कवि-लेखक संजय कुमार शांडिल्य का कहना है कि एनबीटी राष्ट्रीय महत्व की उपयोगी पुस्तकों के प्रकाशन के लिए प्रसिद्ध है। कम मूल्य पर प्रमाणिक किताबों को देश भर के पाठकों तक पहुंचाने का कार्य यह करता रहा है। यहां से प्रकाशित होना किसी लेखक के लिए गौरव का भी विषय है।

समीक्षा : कल्याण कुमार सिन्हा, संपादक, विदर्भआपलाडाटकाम (vidarbhaapla.com), नागपुर (महाराष्ट्र)

इनपुट : उपेंद्र कश्यप ( समन्वय कंन्टेंट समन्वय संपादक, सोनमाटी),

तस्वीर : निशान्त राज (प्रबंध संपादक, सोनमाटी)

 

 

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