तमिलभाषियों के लिए जरूरी नहीं हिन्दी, मूल्य-संस्कार अब भी बेहतर

दाउदनगर (औरंगाबाद)-विशेष प्रतिनिधि। चेन्नई केन्द्रीय विद्यालय में शिक्षक एवं साहित्यकार महेंद्र कुमार ने कहा कि सबसे पहले मैं उस जन्मभूमि को नमन करता हूं, जहां खेला, पला और बढ़ा। बताया कि चेन्नई में भाषा समस्या नहीं रही। तमिल भाषियों को हिंदी की जरूरत नहीं है, इसलिए हिन्दी को प्राथमिकता नहीं देते। यह धारणा गलत है कि तमिलभाषी हिंदी जानते-समझते हुए भी हिंदी नहीं बोलना चाहते हैं। देश-दुनिया के स्तर पर तेजी से बदलाव के बावजूद सामाजिक मूल्यों-संस्कारों का निर्वहन वहां बेहतर है। कहा जा सकता है कि वहां मूल्य-संस्कार अब भी मजबूत बने हुए हैं। हालांकि मैंने जब ज्वाइन किया था, तब कोई 06 महीने तक नहीं बोला था। तब मैंंने वहां के बच्चों से फीडबैक लिया।
विचलित कर सकती है, पर जीवन को हरा नहीं सकती परिस्थिति
दाउदनगर के पुरानी शहर के माली टोला निवासी महेंद्र कुमार ने अपने जीवन का अनुभव बांटते हुए बताया कि मैंंने दो बार आत्महत्या करने की कोशिश की थी। दोनों बार बच गया। परिस्थिति विचलित करती हैं, लेकिन वह जीवन को हरा नहीं सकती। 11 वर्ष तक नशा में रहा। सोचने की ताकत, भाषा, ज्ञान छिन गया, सिर्फ शरीर नहीं छीना था। हिंदी के कथाकार पंकज मित्र ने नशा छुड़ाने का प्रयास किया। 1988 में भागलपुर इप्टा का पदाधिकारी बना। 1989 में प्रतिवेदन लिखने की जिम्मेदारी दी गयी। एक माह में भी नहीं लिखा सका। पंकज मित्र ने कहा या तो आगे बढ़ो या नशा को चुनकर खुद को ख़त्म कर लो। उनकी आँख में आंसू थे। मैंने नशा छोड़ दिया और आगे बढ़ चला। दीपक को घड़े के अंदर रखा दें तो उसकी रोशनी उसी में कैद हो जाती है। रोशनी अधिक दूर तक चाहिए तो उसे बाहर रखना होगा। हमारी सोच, भावना, जज्बा, परिश्रम, संघर्ष ही भाग्य लिखता-बनाता है। हां, यह जरूर है कि परिस्थिति अनुकूल हो तो सफलता दूर तक जाती है। स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी और अब्दुल कलाम आजाद मेरे आदर्श हैं। उन्होंंने कहा कि सोशल मीडिया का सार्थक इस्तेमाल कर शहर का सम्मान बढाने का काम पहचानोडॉटकॉम कर रहा है। जो व्यक्ति शहर से बाहर नाम-प्रतिष्ठा अर्जित कर रहा है, उसको सम्मानित करने की पहल बेहतर काम है।
बताया संस्था पहचानोडाटकाम का उद्देश्य
यश-ई स्कूल के निदेशक शम्भू कुमार ने संस्था (पहचानोडाटकाम) का उद्देश्य बताते हुए कहा कि बहुत लोग हैं जो बाहर में नामचीन हैं, किंतु जब शहर आते हैं तो उनको कोई पहचानने वाला नहीं होता है। यह मंच उनकी पहचान नई पीढ़ी से कराएगा, जिससे उनके अनुभव और मार्गदर्शन का लाभ भी नई पीढ़ी को मिलेगा।

अपनों के बीच सम्मान का खास महत्व
पत्रकार-लेखक उपेंद्र कश्यप ने कहा कि पहचान का संकट उनके लिए नहीं है, जो अपनी पहचान बना चुके हैं। मगर बेशक अपनो के बीच सम्मान का अगल महत्व है। पहचानोडॉटकॉम ने जो काम प्रारंभ किया है, वह काबिलेतारीफ है। इन्होंने डीआरडीओ में वैज्ञानिक संजय कुमार और डाक विभाग के दिल्ली में सर्वोच्च पद पर आसीन रहे सुजीत चौधरी के बारे में भी जानकारी दी। पत्रकार सत्येंद्र कुमार ने भी संबोधित करते हुए कहा कि पहचानोडाटकाम ने की पहल श्रेयस्कर है।
विजय कुमार चौबे ने कहा कि अपने घर में और अपने लोगों से सम्मानित होने की अनुभूति ही अलग होती है। वार्ड पार्षद बसन्त कुमार ने कहा कि दाउदनगर को एक नया आयाम देने का सामूहिक प्रयास इस मंच के माध्यम से किया जा रहा है।
ब्रजेश कुमार ने प्रशस्ति-पत्र पढा। अनुजकुमार पांडेय ने सरस्वती और स्वामी विवेकानंद के फोटो फ्रेम भेंट किया। ऋषभ महेंद्र ने तमिल में संबोधित कर कहा कि मैं वहां बिहार की ही पहचान बताता हूं। कार्यक्रम का समापन अभिनीत कात्यायन के इस गायन से हुआ-
खुदा का जिक्र करें या तुम्हारी बात करें। हमें तो इश्क से मतलब इसी की बात करें।।
फरिश्ते तुम भी नहीं हो फ़रिश्ते हम भी नहीं, हम आदमी हैं तो फिर आदमी की बात करें।

(रिपोर्ट व तस्वीर : उपेंद्र कश्यप)

 

 

हसपुरा बाजार में सौ सालों से लगातार जीवंत बनी हुई है दुर्गापूजा की परंपरा

हसपुरा (औरंगाबाद)-सोनमाटी संवाददाता। हसपुरा बाजार मेन बाजार में दुर्गापूजा की परम्परा के सौ वर्ष होने पर शताब्दी समारोह का आयोजन किया गया और दुर्गापूजा समिति से लम्बे अर्से से जुड़े कलाकारों एवं सम्बन्धित लोगों को सम्मानित किया गया। समारोह का उदघाट्न दीप प्रज्ज्वलित कर गोह विधानसभा क्षेत्र के विधायक मनोज शर्मा एवं औरंगाबाद नगर अध्यक्ष उदय कुमार गुप्ता ने संयुक्त रूप से किया। अरुण प्रसाद गुप्ता, नवल प्रसाद केशरी, नन्हेंलाल खत्री, दारोगा प्रसाद, संगीतकार अशोक कुमार, अरविंद कुमार वर्मा, विजय कुमार अकेला, सुरेश प्रसाद आर्य और अन्य को अंगऽवस्त्र और माता की चुनरी देकर सम्मानित किया गया।

कलाकारों-कार्यकर्ताओं का मनोबल बनाए-बढाए रखने की जरूरत
विधायक मनोज शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि हसपुरावासी बधाई के पात्र हैं, जिन्होंने इस परंपरा को इतनी दीर्घ अवधि तक जिंदा रखा है। आज समाज में जरूरत है संगीतकार-कलाकार को सम्मान देकर उनके मनोबल को बढ़ाने रखने का। तभी हम स्वस्थ समाज की कल्पना कर सकते हैं। पूजा और पारंपरिक कर्मकांड दरअसल अपनी प्राचीन संस्कृति के जड़ों से जुड़े के उपक्रम है, जिसे सिंचित रखने की जरूरत है। नगर अध्यक्ष उदय कुमार गुप्ता ने कहा कि भारतीय संस्कृति को हसपुरावासी बचाए रखकर महत्वपूण कार्य किया है, जिसमें पूजा समिति से जुड़े रहे लोगों और यहां के नागरिकों का योगदान है।
डोमा साव ने शुरू की थी नौटंकी
नाटक के वरिष्ठ कलाकार अशोक जैन ने बताया कि हसपुरा में डोमा साव द्वारा नौटंकी की शुरुआत की गयी, जो फिर नाटक की धारा में बदल गई। लगातार 35 वर्षो तक हमने नाटक किया। गांव-गांव से नाटक देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ता था। आज वैसा माहौल नहींहै और याद करते हैं तो लगता है कि काश वे दिन फिर लौट आते।

आनंदत संगीत महाविद्यालय की गायन-वादन प्रस्तुति
आनंद संगीत महाविद्यालय की ओर से नेहा कुमारी, अंशु कुमारी, कोमल कुमारी, कविता कुमारी, समृद्धि, आंचल, वाशु, प्रकाश अताउल्लाह, विपिन, आदित्य द्वारा गायन-वादन के कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम का संचालन पंचायत समिति सदस्य अनिल आर्य ने किया। कार्यक्रम में दुर्गापूजा समिति के अध्य्क्ष मुकेश कुमार गुप्ता, उपाध्यक्ष संजय कुमार साधु, सचिव दिलीप कुमार शौण्डिक, उपसचिव महेंद्र प्रसाद कारु, कोषाध्यक्ष धीरज कुमार केशरी, पूजा मंत्री केदार प्रसाद साहू और टीम ने योगदान दिया।

रिपोर्ट व तस्वीर : शम्भूशरण सत्यार्थी

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