परंपरा : 82 वर्ष पूर्व शुरू हुई प्रतिमा-पूजा, हिमालय की गोद में भी नवरात्र पर्व / पत्रकार की मां का निधन, महिला वार्ड पार्षद की चेन छिनी

डालमियानगर में 1938 में पहली बार रखी गई दुर्गा-मूर्ति

डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-विशेष प्रतिनिधि। रावण-दहन के साथ 10 दिनों के उपवास-अनुष्ठान और चार दिनों की प्रतिमा-प्राण-प्रतिष्ठा वाला उत्सवी पर्व दशहरा उल्लासपूर्वक संपन्न हुआ। बिहार के सोन नद अंचल के लिए दशहरा पहले पारिवारिक अनुष्ठान वाला कलश स्थापना का पर्व हुआ करता था, जिसमें सादगी होती थी। 20वींसदी के आरंभ में दुर्गा प्रतिमा की पूजा सोन अंचल के लिए अपरिचित-सा था। 21वींसदी में तो इसमें आस्था के साथ अर्थ-तकनीक के ऐश्वर्य और मेला जैसे परिवेश का व्यापक संगम हो चुका है। प्रतिमा-दर्शन की सामूहिक भागीदारी ऐसी होती है कि सोन तट पर बसा डेहरी-डालमियानगर चार दिनों तक मिनी कुंभ-स्थल में परिवर्तित हो जाता है, जहां पंडालों के शिल्प-सौंदर्य, सजावट और प्रतिमा-दर्शन के लिए दूर-दराज के गांवों से लोग लाखों की संख्या में रात-दिन शहर की सड़कों पर उमड़ आते हैं। डालमियानगर बंगाली क्लब के समानांतर तकनीक युक्त भव्य प्रतिमा स्थापना की नींव छह-सात दशक पहले डालमियानगर के बाद शहर (डेहरी-आन-सोन) के सदर चौक (बाबूगंज) में रखी गई थी, जिसके उत्तर पाश्र्व में कुम्हारों-मूर्तिकारों की पुरानी बस्ती धनटोलिया हुआ करती थी। पुराने जमाने में शेरशाहसूरी पथ (पुरानी जीटी रोड) से दक्षिण से मिलने वाला एक रास्ता देहरी घाट (एनिकट) तक और दूसरा रास्ता नाचघर की ओर जाता था। धनटोलिया आज त्रिगुन डिहरी, राजपुतान मुहल्ला और नाचघर डिहरी सिटी (अंबेदकर चौक) बन चुका है।

इस बार डेहरी थाना क्षेत्र में डालमियानगर बंगाली क्लब, न्यू एरिया (जोड़ा मंदिर, बाबानगरी पूजा समिति), स्टेशन रोड (युवा किंग कला मंच), पाली पुल (काली शोणाक्षी मंदिर) सहित 54 पूजा पंडाल थे, जिसके लिए प्रशासन को सुरक्षा व्यवस्था करनी पड़ी। हालांकि शांत समिति (पूजा समिति) की बैठक में अग्निशमन कार्यालय से अनापत्ति प्रमाणपत्र प्राप्त करने के निर्देश के बावजूद अधिसंख्य पंडाल प्रबंधकों ने ऐसा नहींकिया। जलजमाव के कारण पड़ाव मैदान में रावण दहन नहीं हुआ। 35 साल पहले बंद हो गए रोहतास इंडस्ट्रीज के कारखानों के चालू रहने के समय कंपनी प्रबंधन की ओर से डालमियानगर मैदान में विशाल रावण पुतला का दहन होता था और देश के नामचीन मंडली की रामलीला भी होती थी। अब रामलीला नहीं होती, पर स्थानीय लोगों के सहयोग तो अपेक्षाकृत छोटे पुतले से रावण-दहन का कार्यक्रम जारी है।

बंगाल वासियों ने डाली प्रतिमा पूजन की परंपरा
मूर्ति पूजा के सामूहिक सामाजिक उपक्रम का आरंभ सोन तट पर बसाए गए उपनगर रोहतास नगर के रोहतास शुगर लिमिटेड के क्लब (सामुदायिक भवन) में हुआ। उपनगर का आधिकारिक नाम रोहतास नगर लोगों की जुबान पर नहींचढ़ सका। डालमिया बंधुओं द्वारा बसाए गए उपनगर का नाम डालमियानगर कहा जाने लगा और यही नाम प्रचलित और दस्तावेज-बद्ध हो गया। डालमियानगर के चीनी कारखाना (रोहतास शुगर लिमिटेड) में बंगाल वासी अधिकारियों-कर्मचारियों की बड़ी संख्या थी और चीनी निर्माता कंपनी का मुख्यालय भी बंगाल की राजधानी कोलकता में था। मूर्ति-पूजा के लिए बंगाल की ख्याति समाजसुधारक राजा राममोहन राय से बहुत पहले से 18वींसदी से ही रही है। डालमियानगर क्लब (सामुदायिक भवन) में 1938 में पहली बार बंगाल वासी अधिकारियों-कर्मचारियों ने दुर्गा प्रतिमा की स्थापना की। तब से डालमियानगर क्लब की पहचान बंगाली क्लब में बदल गई। बंगाली क्लब में आज भी बंगाल पद्धति से पूजा-अर्चना की जाती है, इस पूजा-विधि में भतुआ की बलि चढ़ाने की परंपरा है। यह बंगाल की पशुबलि की शाक्त परंपरा है, जो समय के साथ पर्यावरण मित्र अहिंसक परंपरा में बदल गई।

बंगाली क्लब पूजा समिति के अध्यक्ष रोहतास इंडस्ट्रीज कांपलेक्स के प्रभारी अधिकारी एआर वर्मा और सचिव अशोक कुमार सरकार हैं। एआर वर्मा ने सोनमाटीडाटकाम को बताया कि रोहतास इंडस्ट्रीज के वरिष्ठ स्थानीय अधिकारी को बंगाली क्लब में आरंभ से ही पदेन अध्यक्ष का सम्मान दिया जाता रहा है। बताया कि बंगाली क्लब की पूजा के लिए बंगाली पुरोहित तपन भट्टाचार्य (भारत सेवा श्रम के अध्यक्ष) गया से डालमियानगर आते हैं।

हिमालय की गोद में भी नवरात्र पर्व
मसूरी (उत्तराखंड) से प्रात संवाद के अनुसार, उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से करीब 20 किलोमीटर दूर हिमालय की मध्य पर्वतश्रृंख्रला के एक शिखर पर स्थित कैम्पीटफाल (मसूरी) के एक आश्रम में नवरात्र पर्व मनाया गया। इस आश्रम (हिमालय की गोद में) के साधु ओम राम के निर्देशन और साधु निरंजन राम के संयोजन में प्रतिदिन सामूहिक पूजा-अर्चना के साथ भंडारा का कार्यक्रम हुआ और वस्त्र भेंटकर कुमारी कन्याओं का पूजन किया गया। इस वार्षिक कार्यक्रम में कैम्पटीफाल (मसूरी) के आश्रम से जुड़े पड़ोसी गांवों की महिला-पुरुषों के साथ देहरादून, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार से श्रद्धालुओं ने भाग लिया। डेहरी-आन-सोन से दयानिधि श्रीवास्तव, राजकुमारी देवी (शंकर लाज) और पटना से प्रदीप कुमार भी सपरिवार शामिल हुए।

तस्वीरें न्यू एरिया में जोड़ा मंदिर और बाबानगरी की

(रिपोर्ट, तस्वीर : कृष्ण किसलय, निशांत राज)

पत्रकार की मां का निधन, महिला वार्ड पार्षद के गले से चेन छिनी

डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-कार्यालय प्रतिनिधि। वरिष्ठ पत्रकार उपेन्द्र मिश्र की 82 वर्षीय मां मालती कुंवर का निधन हो गया, जिनका दाहसंस्कार सोन तट पर किया गया। मालती कुंवर अपने पीछे दो पुत्रों उपेन्द्र मिश्र, वसंत मिश्र और दो बेटियों का भरा-पूरा परिवार छोड़ गई हैं। विधायक सत्यनारायण सिंह यादव, चैंबर्स आफ कामर्स के अध्यक्ष बबल कश्यप, विभिन्न संगठनों के लोगों के साथ पत्रकारों ने भी आवास पर पहुंचकर अपनी संवेदना व्यक्त की।
एक अन्य संवाद के अनुसार, नील कोठी मुहल्ला वासी पूर्व महिला वार्ड पार्षद विभा सिन्हा की गले से झपट्टाबाज सोने की चेन छिन ले गए। नगर परिषद की सशक्त समिति के वरिष्ठ सदस्य बह्म्ïोश्वर श्रीवास्तव की पत्नी पूर्व वार्ड पार्षद विभा सिन्हा सुबह में पूजा कर अपने आवास की ओर जा रही थीं। थाना चौक नीलकोठी गली के निकट झपट्टाबाजों ने विभा सिन्हा को धक्का देकर गिरा दिया और उनके गले से चेन खींचकर मोटरसाइकिल से भाग निकले। घटना की प्राथमिकी नगर थाना में दर्ज कराई गई है।
(रिपोर्ट : निशांतकुमार राज)

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