प्रशांत किशोर : जदयू की बारगेन क्षमता बढ़ाने और कद्दावर वजूद की चुनौती

– समाचार विश्लेषण –
कृष्ण किसलय

पटना (विशेष प्रतिनिधि)। देश में चुनावी रणनीतिकार के रूप में चर्चित प्रशांत कुमार जदयू के साथ अपनी राजनीतिक पारी की आगाज कर चुके हैं। वह 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की ऐतिहासिक जीत के चुनावी रणनीतिकार के रूप में चर्चित हुए थे और 2015 में उन्होंने बिहार में जदयू के लिए भी चुनाव की रणनीति तैयार की थी। संयुक्त राष्ट्र से पहले जुड़े रहे प्रशांत किशोर मूल रूप से बिहार के हैं और राज्य की राजनीति में उतरने के पीछे उनकी यह पृष्ठभूमि ही है। उन्होंने देश में पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए काम किया था। प्रशांत किशोर भाजपा से अलग होने के बाद नीतीश कुमार से संपर्क में आए और राजद-कांंग्रेस के साथ गठबंधन बनाने में भी इनकी भूमिका थी। 2015 में बिहार चुनाव में बड़ी जीत मिलने के बाद नीतीश कुमार ने इन्हें बिहार विकास परिषद का प्रमुख ( कैबिनेट मंत्री का दर्जा) बनाया था। हालांकि प्रशांत किशोर ने बाद में त्यागपत्र दे दिया था।

मतदाताओं के रुझान का अध्ययन करता है सिटीजन फार एकाउंटेबल गवर्नेंस ग्रुप

प्रशांत किशोर ने सिटीजन फार एकाउंटेबल गवर्नेंस ग्रुप बनाया है, जो लेटेस्ट तकनीक और डेटा के इस्तेमाल से मतदाताओं के रुझान का अध्ययन करता है। राजनीति में सपनों के सौदागर माने जाने वाले बिहार के बक्सर में जन्मे प्रशांत किशोर के पिता डॉक्टर हैं। वे अपनी आरंभिक पढ़ाई बिहार में करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए हैदराबाद गए और वहां अपनी पढ़ाई पूरी कर यूनाइटेड नेशन्स के यूनिसेफ में ब्रांडिंग का काम करना शुरू किया। यूनिसेफ में आठ साल तक काम करने के बाद वह 2011 में भारत वापस लौटे और गुजरात सरकार के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम वाइब्रेंट गुजरात की ब्रांडिंग का जिम्मा संभाला। इसी दौरान इनकी पहचान गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई और फिर इन्होंने नरेंद्र मोदी के लिए काम करना शुरू किया था।

राजनीतिक ध्रुवीकरण शुरू होने से बदलने लगे सियासी हालात
2014 में बिहार में लोकसभा चुनाव में 40 सीटो में भाजपा नेतृत्व गठबंधन (एनडीए) को 31 सीटें मिलीं, जिसमें भाजपा की 22, रामविलास के लोजपा की छह और उपेंद्र कुशवाहा के रालोसपा की तीन सीटें हैं। लालू प्रसाद के राजद की चार, कांग्रेस की दो, जदयू की दो और राकांपा की एक सीट हैं। इससे क्षुब्ध नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर दशकों बाद बिहार को दलित मुख्यमंत्री (जीतनराम मांझी) का मौका दिया, मगर राजनीतिक ध्रुवीकरण शुरू हो गया और सियासी हालात बदलने लगे। 2015 के विधानसभा चुनाव में कट्टर राजनीतिक विरोधी रहे लालू प्रसाद और नीतीश कुमार ने हाथ मिला लिया।

राजनीतिक अस्थिरता वाले निर्णय से साफ-सुथरी राजनीतिक छवि पर प्रश्नचिन्ह
243 सीटों वाली विधानसभा में महागठबंधन को 178 और भाजपा गठबंधन को 58 सीटें मिलीं। राजद-जदयू ने 101-101 और कांग्रेस ने 41 पर चुनाव लड़ा था, जिनमें राजद को 80, जदयू को 71 और कांग्रेस को 27 सीटें मिली। भाजपा ने 160 सीटों पर लड़कर 53, लोजपा ने 40 पर लड़कर 02, रालोसपा ने 23 पर लड़कर 02 और हम ने 20 पर लड़कर 01 सीट प्राप्त की। महागठबंधन को 41.7 फीसदी वोट मिले और 120 सीटों पर वोट का अंतर 7.6 फीसदी था।

कोई 20 महीनों तक महागठबंधन की सरकार चलाने के बाद जुलाई 2017 में नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, मगर अगले ही दिन भाजपा की छत्रछाया में जाकर फिर से मुख्यमंत्री बन गए। उनके इस राजनीतिक अस्थिरता वाले निर्णय से उनकी छवि साफ-सुथरी राजनीतिक छवि पर प्रश्नचिन्ह लग गया कि क्या सियासत का मतलब सत्ता पर किसी भी प्रकार कब्जा जमाना ही होता है?

जदयू में शामिल होने का संदेश है कि होंगे नीतीश कुमार के राजनीतिक उत्तराधिकारी
अब प्रशांत किशोर के जदयू में औपचारिक तौर पर शामिल हो जाने के बाद यह संदेश गया है कि वह जदयू में नीतीश कुमार के राजनीतिक उत्तराधिकारी होंगे। अभी तक प्रशांत किशोर और नीतीश कुमार के वार्ता के दौरान कोई तीसरा या जदयू का वरिष्ठ नेता भी नहीं होता था, जिससे उनकी स्थिति बड़ी मानी जाती रही थी। मगर अब माना जा रहा है कि जदयू में उनकी हैसियत बहुत मजबूत होगी और नीतीश कुमार की ओर से राजनीतिक फैसला लेने की भी जिम्मेदारी उन्हें मिल सकती है। यह भी संभव है कि वह सरकार में शामिल हों। प्रशांत किशोर ऐसे समय में जदयू में आए हैं, जब 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए एनडीए में अधिकाधिक सीट पाने की होड़ जारी है और नीतीश कुमार के सामने ऊंचा सियासी कद और मजबूत वजूद को लेकर सवाल खड़ा है। जाहिर है, प्रशांत किशोर के सामने एनडीए में जदयू की बारगेन क्षमता व सियासी वजूद बढ़ाने की चुनौती है, जो लोकसभा चुनाव के मद्देनजर एक अग्निपरीक्षा भी है।

( संलग्न तस्वीरें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जदयू अध्यक्ष वशिष्ठनारायण सिंह व प्रशांत किशोर और टिप्पणीकार कृष्ण किसलय
– तस्वीर : निशांत राज)

-कृष्ण किसलय

समूह संपादक
सोनमाटीडाटकाम (न्यूजपोर्टल)
और सोनमाटी (प्रिंट संस्करण)

 

 

  • Related Posts

    टीबीटी 2024 अवार्ड के लिए नौ शिक्षकों को किया गया चयन

    दाउदनगर (औरंगाबाद ) कार्यालय प्रतिनिधि। जिले के सरकारी स्कूलों के नौ शिक्षकों का द बिहार टीचर्स-हिस्ट्री मेकर्स टीबीटी के द्वारा राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान के लिए चयन किया गया है।…

    बिहार की राजनीति जाती पर नहीं विकास के आधार पर होनी चाहिए: भगवान सिंह कुशवाहा

    डेहरी-आन-सोन (रोहतास) कार्यालय प्रतिनिधि। बिहार की राजनीति जाति आधारित नहीं बल्कि पूरी तरह से विकास के आधार पर होनी चाहिए। क्योंकि बिहार अब विकास के रास्ते पर चल पड़ा है, जो…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

    You Missed

    भारतीय स्टार्टअप इको सिस्टम ने विश्वं में तृतीय स्थान पर : डॉ. आशुतोष द्विवेदी

    भारतीय स्टार्टअप इको सिस्टम ने विश्वं में तृतीय स्थान पर : डॉ. आशुतोष द्विवेदी

    बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के शिविर में किया गया बच्चों का पूरे शरीर का जाँच

    बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के शिविर में किया गया बच्चों का पूरे शरीर का जाँच

    किसानों को जलवायु अनुकूल कृषि अपनाने का आह्वान

    किसानों को जलवायु अनुकूल कृषि अपनाने का आह्वान

    धान-परती भूमि में रबी फसल उत्पादन हेतु उन्नत तकनीक की जानकारी दी गई

    नारायण कृषि विज्ञान संस्थान में आयोजित किया गया मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण

    नारायण कृषि विज्ञान संस्थान में आयोजित किया गया मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण

    लोजपा (आर) की बैठक, आगामी चुनाव योजना पर हुई चर्चा