– सरकार ने वित्तीय घाटे को 2018-19 के लिए जीडीपी के 3.5 फीसदी तक बढ़ाने का विकल्प चुना, अधिक वित्तीय घाटा सरकार की विश्वसनीयता और एफडीआई के लिए ठीक नहीं।
– कस्टम ड्यूटी बढ़ने से मोबाइल, टीवी महंगे होंगे।
– सरकार ने स्वास्थ्य, शिक्षा सेस को 1 फीसदी बढ़ाकर 3% से 4% कर दिया है। इससे हर बिल में वृद्धि होगी।
बड़े रेलवे स्टेशनों के विकास का काम शुरू। बेंगलुरु रेल नेटवर्क का विस्तार 160 किमी तक करने की योजना। 12000 वैगन, 5160 कोच और 700 लोकोमोटिव्स बनाएगा रेलवे। मुंबई में 90 किलोमीटर रेल पटरी का विस्तार होगा। बुलेट परियोजना के लिए जरूरी मानव संसाधन को वड़ोदरा रेल यूनिवर्सिटी में प्रशिक्षण दिया जाएगा। मुंबई लोकल के दायरे को बढ़ाया जाएगा। 3600 किमी रेल पटरियों का होगा नवीनीकरण। इस साल 700 नए रेल इंजन तैयार किए जाएंगे। पूरे भारतीय रेल नेटवर्क को ब्रॉडगेज में तब्दील किया जाएगा। पटरी, गेज बदलने के लिए खर्च किया जाएगा रेलवे को जारी किए गए फंड का बड़ा हिस्सा। रेलवे के लिए 1 लाख 48 हजार करोड़ रुपये का आवंटन। रेलवे को लेकर उनकी सरकार का पहला लक्ष्य सुरक्षा है। जेटली ने कहा कि सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए रेल बजट का बड़ा हिस्सा पटरी और गेज बदलने के काम में इस्तेमाल किया जाएगा। 5000 किलोमीटर लाइन के गेज परिवर्तन का काम चल रहा है। वित्त मंत्री ने बताया, ‘छोटी लाइनों को बड़ी लाइनों में बदलने काम पूरा किया जा रहा है। इस दिशा में पूरी तेजी से काम कर रहे हैं।’
500 शहरों में पेयजल की व्यवस्था दुरुस्त की जाएगी। 19428 करोड़ रुपये होंगे खर्च। महिला कर्मियों के लिए पीएफ कटौती 8 पर्सेंट होगी। हाथ में आएगी ज्यादा सैलरी। स्वच्छ भारत मिशन के तहत गरीब परिवारों के लिए 2 करोड़ नए शौचालय बनाने का लक्ष्य। जनजातियों के विकास के लिए 32000 करोड़ रुपये की राशि का होगा आवंटन। 50 फीसदी से अधिक आदिवासी वाले ब्लॉकों में नवोदय की तर्ज पर बनेंगे एकलव्य आवासीय विद्यालय। शिक्षा में सुधार के लिए अगले 4 साल में 1 लाख करोड़ रुपये होंगे खर्च। देश भर में 24 नए सरकारी मेडिकल कॉलेजों एवं अस्पतालों की स्थापना होगी। शिक्षकों के लिए एकीकृत बीएड कोर्स की होगी शुरुआत।
-कृष्ण किसलय/बजट पूर्वानुमान 31.01.2017
– किस-किस नई योजनाओं का होगा ऐलान? किसके लिए होगी क्या-क्या राहत? सरकार राजस्व वृद्धि के लिए उठा सकती है कठोर कदम भी
– 171 करोड़ रुपये का था स्वतंत्र भारत का प्रथम बजट, 2001 में टूटी शाम में बजट पेश करने की 53 साल पुरानी परंपरा, 2017 में खत्म हुआ रेल बजट आम बजट में शामिल
आजादी के बाद भारत ने मौजूदा केेंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली सहित देश के 25 वित्त मंत्री देखे हैं। 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार का यह आखिरी आम बजट है। पूरे देश के लोगों की निगाह इस बार के देश के 88वें बजट पर है कि सरकार किन-किन नई योजनाओं का ऐलान करने जा रही है और किसके लिए क्या-क्या राहत देने जा रही है? ‘माना जा रहा है कि पिछले महीनों में जीएसटी कलेक्शन कम होने से सरकार राजस्व वृद्धि करने के लिए कठोर कदम भी उठा सकती है।
कई इनडायरेक्ट टैक्स खत्म होने के बाद सिर्फ सीमा शुल्क (कस्टम्स ड्यूटी) बड़ा सेगमेंट है, जिस पर सरकार का संपूर्ण नियंत्रण है। कर राजस्व में कमी को पाटने के लिए सरकार इस रास्ते को अपना सकती है। ‘मेक इन इंडिया’ के जरिए मैन्युफैक्चरिंग को गति देने के लिए भी सीमा शुल्क में बढ़ोतरी कर सकती है। मोबाइल, सोलर पैनल् जैसी वस्तुओं पर अतिरिक्त शुल्क लगाकर सरकार ने इस दिशा में बढ़ना भी शुरू कर दिया है। मौजूदा वित्त वर्ष के लिए वित्तीय घाटे का लक्ष्य 3.2% तय है। अगले वित्त वर्ष 2018-19 के लिए इसे 3% की जगह 3.2% पर रखने का लक्ष्य हो सकता है।
साढ़े सात महीने के लिए 171 करोड़ रुपये का था स्वतंत्र भारत का प्रथम बजट
स्वतंत्र भारत का पहला बजट तत्कालीन वित्त मंत्री आरके शानमुखम शेट्टी ने 26 नवंबर 1947 को पेश किया था। वह बजट साढ़े सात महीने के लिए 15 अगस्त 1947 से 31 मार्च 1948 तक के लिए पेश किया गया था। उस बजट में 171.85 करोड़ रुपये का राजस्व जुटाने का लक्ष्य रखा गया था। आज देश की राजधानी दिल्ली में इतनी कीमत में एक बंगला भी नहींमिलेगा। तब राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 24.59 करोड़ रुपये का रखा गया था। इस बजट में इस पर सहमति हुई थी कि भारत और पाकिस्तान सितंबर 1948 तक एक ही करंसी का इस्तेमाल करेंगे। अर्थशास्त्र व न्यायशास्त्र के जानकार श्री शेट्टी ने बजट पेश करते हुए अपने भाषण में कहा था कि मैं आजाद भारत का पहला बजट पेश कर रहा हूं। यह ऐतिहासिक मौका है और मुझे खुशी है कि इस बजट को पेश करने का अवसर मुझे मिला है। इस सम्मान के साथ ही मुझे उस जिम्मेदारी का भी आभास है, जो देश के वित्तीय कस्टोडियन के तौर पर मिली है।
टूटी बजट को शाम में पेश करने की परंपरा, पेश हुआ सुबह 11 बजे
पहला बजट शाम को 5 बजे पेश किया गया था। शाम को बजट पेश करने की ब्रिटिश काल से चली आ रही परंपरा को 2001 में तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने तोड़ी और सुबह 11 बजे बजट पेश किया। 2017 से पहले वर्किंग-डे पर ही बजट पेश किया जाता था। मोदी सरका की कई योजनाएं पूववर्ती यूपीए सरकार के दौर की ही है।
मनमोहन सरकार की अधिसंख्य योजनाएं मोदी सरकार में भी जारी
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना के तहत सरकार प्रतिदिन 100 दिन के रोजगार की गारंटी देती है। इस स्कीम को मोदी सरकार ने जारी रखा और इसके कोष इजाफा भी किया। वर्ष 2017 के बजट में केंद्र सरकार ने इस स्कीम के लिए 48000 रुपये का कोष आवंटित किया था। मोदी सरकार ने ग्रामीण इलाकों में विद्युतीकरण के विस्तार के लिए दीनदयाल विद्युत ग्रामीण योजना चलाई है। यह यूपीए सरकार में लाई गई राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना का ही विस्तार है। ग्रामीण इलाकों में गरीब तबके के लोगों के लिए पक्के मकान की व्यवस्था करने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना भी पहले से यूपीए सरकार के दौर में भी थी। तब उसका नाम इंदिरा गांधी आवास योजना था। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत शहरी इलाकों में सरकार आवास निर्माण व खरीद के लिए मदद करती है, जिसमें ृऋण पर ब्याज में छूट मिलती है और निर्धारित राशि भी मदद के रूप में मिलती है। यूपीए सरकार के कार्यकाल में इस स्कीम का नाम राजीव गांधी आवास योजना था। मोदी सरकार में एलपीजी गैस सिलिंडर पर मिलने वाली सब्सिडी सीधे ग्राहकों के बैंक खातों में ट्रांसफर की जा रही है, जिस स्कीम का नाम मोदी सरकार ने पहल रखा है। हालांकि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के नाम से मनमोहन सरकार के कार्यकाल में यह व्यवस्था शुरू हो चुकी थी।
बजट में बदलता रहा है इनकम टैक्स स्लैब
बजट में इनकम टैक्स का स्लैब बदलता रहा है। वित्त वर्ष 2012-13 में आम करदाताओं के लिए टैक्स छूट की सीमा 2 लाख रुपये की गई, वरिष्ठ नागरिकों को कोई राहत नहीं देते हुए पुरुष व महिला करदाताओं के लिए टैक्स छूट की सीमा में अंतर को खत्म कर दिया गया और नया सेक्शन जोड़कर बैंक बैलेंस पर ब्याज से हुई 10000 रुपये तक की कमाई को कर-मुक्त कर दिया गया। वित्त वर्ष 2017-18 में 50 लाख रुपये से ज्यादा की आमदनी पर 10 प्रतिशत का नया सरचार्ज लगाया गया। सबकी निगाहें लोकसभा में पेश होने वाले आम बजट की ओर है कि सरकार का फैसला इस बार क्या होता है और इनकम टैक्स में क्या राहत देती है?
मोदी सरकार का आखिरी पूर्ण बजट
चुनाव से एक साल पहले पेश होने वाला बजट किसी भी सरकार का आखिरी पूर्ण बजट होता है। बजट कैपिटल व रेवेन्यू के अंतर्गत विभाजित होगा, जिसमें कैपिटल एक्सपेंडिचर का इस्तेमाल सड़क निर्माण, ऋण माफ ी जैसे कदमों के लिए होता है और रेवेन्यू एक्सपेंडिचर का इस्तेमाल वेतन व प्रशासनिक खर्चों के लिए होगा। सरकार की आय में उसके द्वारा लिया गया कर्ज शामिल नहीं होता है। बजट से पहले सरकार आर्थिक सर्वे पेश कर चुकी है, जिसमें देश के आर्थिक विकास के आंकड़े और विकास दर के अनुमान की जानकारी दी जा चुकी है।
क्या होगी कस्टम ड्यूटी, पेट्रोलियम पर टैक्स
इस बार जीएसटी लागू होने के चलते डायरेक्ट टैक्स पर ही मुख्य तौर पर बात होगी। इनडायरेक्ट टैक्स के मामले में पेट्रोल पर लगने वाले टैक्स और कस्टम ड्यूटी को लेकर घोषणा होगी। जीएसटी को लागू होने के बाद मोदी सरकार का यह पहला बजट है। करीब एक दर्जन केंद्रीय और राज्यस्तरीय अप्रत्यक्ष करों का जीएसटी में विलय हो गया है। इसके अलावा रेल बजट भी देश के आम बजट में ही शामिल होगा, जिसकी अंग्रेजी राज से जारी परंपरा खत्म कर उसका विलय आम बजट में ही किया जा चुका है।