गुरुनानक प्रकाशपर्व पर सच्चा सौदा सहायता
सासाराम/डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-कार्यालय प्रतिनिधि। सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानकदेव के 551वें प्रकाश पर्व के अवसर पर सिक्ख आफ सासाराम की ओर से शहर के अलग-अलग हिस्सों में जरूरतमंदों के बीच कपड़ा (कंबल, शाल आदि) और मास्क का वितरण किया गया। इस कार्य में सिक्ख आफ सासाराम के सरदार कमलजीत सिंह, सरदार जगजीत सिंह, सरदार सर्वजीत सिंह, सरदार सिमरनजीत सिंह, जसविंदर सिंह आदि शामिल थे। सासाराम गुरुद्वारा के साथ डेहरी-आन-सोन में भी गुरुदारा की ओर से जरूरतमंदों को भोजन कराया गया और मदद की गई। इस मौके पर जरूरतमंदों के एक मददगार जितेन्द्रपल सिंह (गुरुनानक इलेक्ट्रानिक, डेहरी-आन-सोन) के अनुसार, गुरु नानकदेव ने अपने बचपन में ही पिता के व्यापार में मिले मुनाफे की रकम से भूखों को भोजन कराकर सच्चा सौदा परंपरा की नींव डाली थी।
दिव्यांग छात्रा ने चंदा कर फिर की नेत्रहीन विद्यालय की मदद
सासाराम (रोहतास)-कार्यालय प्रतिनिधि। रोहतास जिला के डिहरी प्रखंड के अर्जुन बिगहा गांव की दृष्टिबाधित दिव्यांग छात्रा ने नेत्रहीन विद्यालय के लिए फिर धन संग्रह किया है। इसके लिए अमरा तालाब के निकट जगदवनडीह गांव स्थित ललन सिंह सेफरो आवासीय नेत्रहीन विद्यालय परिसर में दिव्यांग छात्रा मनीषा कुमारी का रोहतास जिला भाजपा बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष जीएन लाल के साथ विद्यालय परिवार ने अभिनंदन किया। मनीषा दिल्ली में रहकर ब्रेल लिपि के जरिये अपनी शिक्षा ग्रहण कर रही है। जीएन लाल के अनुसार, मनीषा ने अपनी ग्रामपंचायत के मुखिया, सरपंच, वार्ड सदस्य आदि से धन संग्रह कर 10 हजार रुपये की रकम ललन सिंह सेफरो आवासीय नेत्रहीन विद्यालय के भवन निर्माण के लिए दिया है। इससे पहले भी उसने अपने परिवार और पड़ोसी से भवन निर्माण के मद में धन संग्रह कर रकम सौंपी थी।
सामाजिक हिन्दी फिल्म बुलेट पेन की शूटिंग
कुदरा (कैमूर)-सोनमाटी संवाददाता। सामाजिक हिन्दी फिल्म बुलेट पेन की दो सप्ताह से जारी स्थानीय शूटिंग समाप्त हो गई। सम्राट सिने विजन के बैनरतले निर्माणाधीन यह फिल्म वेब सीरीज के लिए है। इसके निर्माता सुरेंद्र सिंह और निर्देशक रीतेश कुमार हैं। इस फिल्म की शूटिंग कुदरा के निकटवर्ती और कुदरा नदी पार रोहतास जिला के ताराचंडी, सासाराम में फजलगंज, बेलाढ़ी, करूप, अगरेर आदि स्थानों पर हुई। फिल्म में नजरेइनायत, शिरी तिवारी, अनुराधाकृष्ण रस्तोगी, सुरेंद्रकृष्ण रस्तोगी, सुषमा, सत्यम, आदित्य, अमन, अमित, राजेन्द्र, मनोज, रंजीत, राजेश, बिन्दु ठाकुर, वसंत आदि ने फिल्म-स्क्रीप्ट में निर्धारित अपना-अपना किरदार निभाया है। फिल्म के कैमरा मैन त्रिलोकी चौधरी हैं और इस फिल्मांकन की शूटिंग के स्थल सहायक सुनील, दिलीप और मुन्ना यादव हैं। फिल्म का कहानी कालेज-टाप लड़के की है, जो परिस्थितिवश कलम छोड़कर बंदूक और बुलेट पकड़ लेता है। ऐसा क्यों करता है वह? समाज को यही आगाह करने की कहानी वाली फिल्म है बुलेट पेन।
रिपोर्ट, तस्वीर : सुरेंद्रकृष्ण रस्तोगी
इलिज-रो विधि से बिना चीर-फाड़ घुटने का आपरेशन
डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-विशेष संवाददाता। जमुहार स्थित नारायण मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल में हड्ड़ी रोग विशेषज्ञ डा. कुमार अंशुमान ने डा. सुनील कुमार के साथ चिकित्सा पोस्ट-ग्रेजुएटों डा. राहुल, डा. गौरव, डा. प्रसून, डा. शशांक के सहयोग से चीर-फाड़ किए बिना ही इलज-रो विधि से घुटना का आपरेशन किया। इस आपरेशन के निश्चेतक एनेस्थिसिया विभाग के डा. इमाम अली थे। घुटनों की हड्डी के छिटक (डि-लोकेट) हो जाने की वजह से मरीज कई महीनों से दर्द से परेशान और चलने-फिरने में निरुपाय था। यह आपरेशन आयुष्मान भारत योजना के तहत किया गया।
कार्तिक-पू्र्णिमा पर लोगों ने लगाई आस्था की डूबकी
डेहरी-आन-सोन (रोहतास)/दाउदनगर (औरंगाबाद)-कार्यालय प्रतिनिधि। सोन नद तट की सबसे प्राचीन धार्मिक-सांस्कृतिक परंपरा का अनुसरण करते हुए लोगों ने कार्तिक-पूर्णिमा पर आस्था की डूबकी लगाई। सोन नद के पश्चिम में रोहतास जिला में दक्षिणवर्ती नौहट्टा प्रखंड के प्राचीनतम नदी तट के गांव बांदू से लेकर रोहतास, तिलौथू, डिहरी, नासरीगंज, बिक्रमगंज प्रखंडों के नदी तट घाटों पर स्नान कर महिलाओं-पुरुषों ने पूजा-अर्चना की। जबकि सोन नद के पूरब में औरंगाबाद जिला में दक्षिणवर्ती नबीनगर प्रखंड के प्राचीनतम नदी तट के गांव नाऊर से बारून, ओबरा, दाउदनगर प्रखंडों के नदी तट घाटों पर भी बड़ी संख्या में स्नान कर पूजा-अर्चना की गई।
बांदू गांव में सोन नद की धारा में डूबे दसशीशानाथ महादेव स्थल पर रोहतास के साथ झारखंड के पलामू जिला से आए श्रद्धालुओं ने भी जलाभिषेक किया। बांदू का दसशीशानाथ महादेव स्थल उत्तर भारत (उत्तरापथ) के साथ दक्षिण भारत (दक्षिणापथ) आने-जाने वाले भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे प्राचीन मार्ग पर अवस्थित है, जिसके सामने पूरब तट पर सोन में मिलने वाली नदी कोयल के संगम पर हड़प्पाकालीन गांव कबरा कलां है। दसशीशानाथ भारत के आर्य संस्कृति के पूर्ववर्ती रक्ष संस्कृति के वाहकों का स्थल रहा है, जो सोनघाटी के मूल बाशिंदे थे। सोनघाटी पुरातत्व परिषद द्वारा चिह्निïत सोन की घाटी के स्थल कबरा को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अपने पर्यवेक्षण में 3500 साल वर्ष से लगातार आबाद माना है।