— कृष्ण किसलय —
बिहार में रोहतास जिला अंतर्गत डिहरी विधानसभा क्षेत्र का उपचुनाव-परिणाम कोई साधारण घटना नहींहै। यह सियासत में असत्य के, छद्म के, झूठ के, पर्दाढंकी तानाशाही के एक लंबे अध्याय के अंत का असाधारण इतिवृत है। यह जीत उस शर्मनाक और गैरबराबरी वाली सोच की धूल-धूसरित पराजय है, जिसमें निर्वाचित जनप्रतिनिधि दौलत की काली गठरी इकट्ठी कर अपने को राजा और जनता को अपने पांव के नीचे झुकने वाली, ढोर-डंगरों की तरह हांकी जाने वाली रियाया समझता है। उपचुनाव का जनादेश गैर सांप्रदायिक होने के आवरण में उग्र जातिवाद, घोर परिवारवाद का पोषण करने वाली सियासत के राष्ट्रवादी प्रतिरोध का परिणाम है। दशकों से राजनीतिक तौर पर संगठित माई समीकरण (मुस्लिम-यादव) की प्रतिक्रिया में अन्य जातियों के गोलबंद होने का परिणाम है। और, परिणाम है महिलाओं-युवाओं के हित में लागू केेंद्र-राज्य सरकारों के कार्यक्रमों के प्रति उनके सुविचारित मतदान का भी।
जीत के अभूतपूर्व मंत-अंतर में निहित जनसंदेश
डिहरी विधानसभा क्षेत्र से पांच बार विधायक निर्वाचित हुए पूर्व पथ निर्माण मंत्री इलियास हुसैन अलकतरा घोटाला में सजायाफ्ता होने के बाद अयोग्य हो गए और रिक्त हुई सीट के लिए उपचुनाव कराना पड़ा। इलियास हुसैन ढाई दशक से यही कहते रहे कि उन्हें अलकतरा घोटाले के झूठे केस में फंसाया गया। हालांकि कोर्ट से सजायाफ्ता होने और जेल जाने के बाद उनका यह कुतर्क बेकार हो गया। असम कनेक्शन वाले इलियास हुसैन ने समाजवाद का चोला पहनकर चार दशक पहले संसदीय राजनीति की यात्रा शुरू की थी। अलकतरा घोटाला जन-धन लूट की उनकी तांडव-यात्रा की एक पराकाष्ठा है, जो उनके मंत्री बनते ही शुरू हो गई थी। इनके विरूद्ध अलकतरा घोटाला का एक कांड डिहरी थाना में भी दर्ज हुआ। भ्रष्टाचार उजागर करने वाले और चाटुकार कार्यकर्ता की तरह इर्द-गिर्द नहींघूमने वाले पत्रकारों के बारे में इलियास हुसैन की टिप्पणी होती थी कि वे (पत्रकार) ब्लैकमेल करते हैं, पैसे न देने पर विरोध में छापते हैं।
जीत के बहुत बड़े और एक अभूतपूर्व मत-अंतर (करीब 34 हजार) में यही जनसंदेश निहित है कि डिहरी विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने बड़ी खामोशी से तय कर लिया था कि अलकतरा घोटाला के बावजूद सियासी पार्टी की सामाजिक न्याय की आड़ में जातिवादी ताकत की जुगाड़ से सत्ता में बने रहने वाले सजायाफ्ता मोहम्मद इलियास हुसैन के उत्तराधिकारी बेटे फिरोज हुसैन को नहींचुनना है, भले ही बेशक वह बेदाग और नई पीढ़ी का पढ़ा-लिख चेहरा हों। चुनाव के दौरान नेता और उनके कार्यकर्ता अपने-अपने हवाई दावे करते रहे, मगर जमीन पर लड़ाई लडऩे वाली पहले से मन बना रखी जनता ने समय पर अपना फैसला खरा-खरा सुना दिया।
जीत के अभूतपूर्व मंत-अंतर में निहित जनसंदेश
डिहरी विधानसभा क्षेत्र से पांच बार विधायक निर्वाचित हुए पूर्व पथ निर्माण मंत्री इलियास हुसैन अलकतरा घोटाला में सजायाफ्ता होने के बाद अयोग्य हो गए और रिक्त हुई सीट के लिए उपचुनाव कराना पड़ा। इलियास हुसैन ढाई दशक से यही कहते रहे कि उन्हें अलकतरा घोटाले के झूठे केस में फंसाया गया। हालांकि कोर्ट से सजायाफ्ता होने और जेल जाने के बाद उनका यह कुतर्क बेकार हो गया। असम कनेक्शन वाले इलियास हुसैन ने समाजवाद का चोला पहनकर चार दशक पहले संसदीय राजनीति की यात्रा शुरू की थी। अलकतरा घोटाला जन-धन लूट की उनकी तांडव-यात्रा की एक पराकाष्ठा है, जो उनके मंत्री बनते ही शुरू हो गई थी। इनके विरूद्ध अलकतरा घोटाला का एक कांड डिहरी थाना में भी दर्ज हुआ। भ्रष्टाचार उजागर करने वाले और चाटुकार कार्यकर्ता की तरह इर्द-गिर्द नहींघूमने वाले पत्रकारों के बारे में इलियास हुसैन की टिप्पणी होती थी कि वे (पत्रकार) ब्लैकमेल करते हैं, पैसे न देने पर विरोध में छापते हैं।
जीत के बहुत बड़े और एक अभूतपूर्व मत-अंतर (करीब 34 हजार) में यही जनसंदेश निहित है कि डिहरी विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने बड़ी खामोशी से तय कर लिया था कि अलकतरा घोटाला के बावजूद सियासी पार्टी की सामाजिक न्याय की आड़ में जातिवादी ताकत की जुगाड़ से सत्ता में बने रहने वाले सजायाफ्ता मोहम्मद इलियास हुसैन के उत्तराधिकारी बेटे फिरोज हुसैन को नहींचुनना है, भले ही बेशक वह बेदाग और नई पीढ़ी का पढ़ा-लिख चेहरा हों। चुनाव के दौरान नेता और उनके कार्यकर्ता अपने-अपने हवाई दावे करते रहे, मगर जमीन पर लड़ाई लडऩे वाली पहले से मन बना रखी जनता ने समय पर अपना फैसला खरा-खरा सुना दिया।
महीनों के मंथन के बाद अमल में आया भाजपा का प्रयोग सफल
इस क्षेत्र के मतदाताओं ने विकल्प की तलाश में मंडलवाद के माई समीकरण को वर्ष 2005 में अभूतपूर्व मत-अंतर से ध्वस्त कर दिया था और राष्ट्र सेवा दल के प्रत्याशी प्रदीप कुमार जोशी का चयन किया था। जबकि विधानसभा क्षेत्र में राष्ट्रवाद की प्रबल पोषक भाजपा की सक्रिय मौजूदगी थी। वर्ष 2010 में भी राष्ट्र सेवा दल की प्रत्याशी ज्योतिरश्मि जोशी ने हिंदू कार्ड खेलकर बाजी मार लेने में सफल रही थीं, क्योंकि तब भी मतदाताओं के पास अपेक्षाकृत श्रेष्ठ विकल्प नहीं था। राष्ट्र सेवा दल की राजनीतिक लाइन टिकाऊ इसलिए नहीं हुई कि उसने अपनी सूप-सूत्र-संस्कृति से आगे निकलकर अपने थिंकटैंक का विस्तार नहीं किया। इस क्षेत्र से राजपूत, कुशवाहा, वैश्य समुदाय के उम्मीदवार के सफल नहीं होने के मद्देनजर भाजपा ने महीनों के बड़े मंथन और आकलन के बाद यादव बहुल समाज के प्रत्याशी ओबरा के पूर्व विधायक सत्यनारायण सिंह यादव को मैदान में उतारने का प्रयोग किया। जो सफल हुआ। नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार की पतवार के भरोसे डिहरी विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा ने अपनी नाव को सियासी समन्दर के तूफानी हलचल में शानदार ध्वजारोहण के साथ पार कर लिया। इस जीत से माना जाना चाहिए कि इस विधानसभा क्षेत्र में दशकों से जड़ जमाए मुस्लिम तुष्टिकरण कार्ड की राजनीति और इसके प्रतिरोध में हिंदूत्व कट्टरता की बहने वाली अंतरधारा का भी अंत हो गया। यह जीत इसलिए ऐतिहासिक है कि देश के लोकतंत्र के इतिहास में पहली बार भारतीय जनता पार्टी ने डिहरी विधानसभा में जीत दर्ज की है।
अब विकास की नई अलख की उम्मीद
चूंकि सत्यनारायण सिंह अब ओबरा (औरंगाबाद) की तरह मंडलवादी जाति विशेष की राजनीति के नहीं, बल्कि पूरे विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचित जनप्रतिनिधि हैं, इसलिए वे क्षेत्र की जनता के स्वाभिमान वाले कार्यों को आगे बढा़एंगे और धीरज के साथ सबकी आवाज सुनेंगे। वह अपने जनसंपर्क का लोकतांत्रिक दायरा बनाए रखेंगे और पूर्ववर्ती विधायक इलियास हुसैन की तरह नेता के नाराज होने के डर या मनचाही खुशी के पोषण मात्र के लिए ईमान की बात नहीं कहने वाले, अपने इर्द-गिर्द स्वाभाविक तौर पर जमा होने वाले चाटुकार कार्यकर्ताओं की दलान नहीं बनने देंगे। जम्हूरियत को ठेंगे पर रखने वाले इलियास हुसैन की सामंती सोच से बहुत-बहुत अलग विकास की नई अलख जगाएंगे और क्षेत्र की समूची जनता को उससे जोडऩे का प्रयास करते हुए सामाजिक सरोकार के सौहार्दपूर्ण बागीचे की नई रचना करेंगे। इसी अपेक्षा के साथ क्षेत्र की जनता की ओर से और सोनमाटी समूह परिवार की ओर से भी उन्हें शुभकामनाएं!
(तस्वीर : निशांत राज)
— कृष्ण किसलय,
समूह संपादक, सोनमाटी मीडिया समूह
फोन 9708778136, 9523154607