धरोहर संरक्षण हर नागरिक का सामाजिक दायित्व : महाबली सिंह
डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-कार्यालय प्रतिनिधि। बिहार के पूर्व मंत्री एवं काराकाट संसदीय क्षेत्र के सांसद महाबली सिंह ने कहा कि पुरातत्व और पुरा-सामग्री का संरक्षण महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्य है। धरोहर ऐसी सार्वजनिक-सामूहिक संपत्ति हैं, जिसमें समाज, राज्य और देश की स्मृति-अस्मिता-संस्कृति निहित होती है। धरोहर वास्तव में हमारी विशेष आंचलिक, प्रादेशिक और राष्ट्रीय पहचान हंै। यह संतोष की बात है कि सोनघाटी पुरातत्व परिषद इस दिशा में सक्रिय है और जागरुकता पैदा करने का कार्य कर रहा है। भावी पीढ़ी के लिए धरोहर को बचाए रखना तो हर नागरिक का सामाजिक दायित्व है। यह बात उन्होंने सोनघाटी पुरातत्व परिषद के प्रतिनिधि मंडल के साथ सिंचाई भवन अतिथिगृह में संक्षिप्त विमर्श के दौरान कही। सांसद महाबली सिंह ने यह आश्वासन दिया कि रोहतास-औरंगाबाद जिलों के अति प्राचीन धरोहरों-स्थलों के संरक्षण के साथ सोन नद अंचल का प्रमाणिक इतिहास सामने आ सके, इसके लिए वह केेंद्र-राज्य सरकारों, संबंधित सरकारी उपक्रमों और अकादमिक संस्थानों के स्तर पर संभव पहल करेंगे।
सोनघाटी पुरातत्व परिषद के प्रतिनिधिमंडल में शामिल सदस्यों कृष्ण किसलय (सचिव), अवधेशकुमार सिंह (संयुक्त सचिव), दयानिधि श्रीवास्तव (कोषाध्यक्ष), उपेन्द्र कश्यप (उप सचिव), निशान्तकुमार राज (कार्यकारी सदस्य) की ओर से ज्ञापन सौंपकर सांसद से चिह्निïत अति प्राचीन पुरातात्विक स्थलों का संरक्षण, सर्वेक्षण और खुदाई की मांग की गई। सौंपे गए ज्ञापन में यह भी बताया गया है कि धरोहरों के भूमिगत अंतरराष्ट्रीय तस्करी कारोबार में भारतीय धरोहरों की हिस्सेदारी 40 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है और तीन दशकों में भारत से करीब 50 हजार मूर्तियां तस्करी के जरिये विदेशों में भेजी गईं। नई पीढ़ी में अपनी विरासत, अपने सांस्कृतिक वैभव के प्रति जागरुकता पैदा करने और नष्ट होते धरोहरों के प्रति सुरक्षा भाव कायम रखने के लिए स्कूल स्तर पर धरोहर-स्थल भ्रमण और उत्प्रेरक पाठ्यक्रम होना चाहिए।
वरिष्ठ विज्ञान लेखक, संपादक और स्थानीय इतिहास के अन्वेषणकर्ता कृष्ण किसलय ने सांसद को जानकारी दी कि घरी, अर्जुन बिगहा गांव में सिंघुघाटी समय के समान मिट्टी की मूर्ति, मनका (टेराकोटा), पत्थर की कुदाल, पत्थर का पहिया, मौर्यकाल-पूर्व के मृदभांड, प्राचीन ईंट, रिंगवेल (पनसोखा), ढलवा लौह अयस्क, लेरुआ गांव में गांधार-मथुरा शिल्पकला से अलग पत्थर की मूर्ति, डिहरी एनिकट झारखंडी मंदिर में बहुत गहरा कुआं आदि इस बात के जीवंत प्रमाण हैं कि सोनघाटी (सोन नद अंचल क्षेत्र) में हजारों साल से, बुद्धकाल से बहुत पहले से मानव सभ्यता और आबादी की गतिविधियां अपनी निरंतरता में मौजूद रही हैं। पुरा-सामग्री और लोकोक्तियों-गीतों के संग्रहकर्ता अवधेशकुमार सिंह ने अर्जुन बिगहा गांव के बारे में बताते हुए वहां की पुरातात्विक-ऐतिहासिक महत्व की वस्तुओं की तस्वीरें दिखाईं। सोन अंचल के दाउदनगर की लोकसंस्कृति को ऐतिहासिक संदर्भ के साथ कलमबद्ध करने वाले लेखक-पत्रकार उपेन्द्र कश्यप ने कहा कि सोनघाटी में धरोहरें ठौर-ठौर पर हैं, जिनके संरक्षण, इतिहास को लिपिबद्ध करने के लिए समाज के साथ जनप्रतिनिधि को भी आगे आने की जरूरत है। दयानिधि श्रीवास्तव और निशांतकुमार राज ने सांसद को बताया कि सोनघाटी पुरातत्व परिषद की टीम अगले सर्वेक्षण-भ्रमण के तहत सोन नदी के पूर्वी तट के औरंगाबाद जिले के बारुण, नवीनगर, दाउदनगर प्रखंड और सोन नदी के पश्चिमी तट के रोहतास जिले के डिहरी, तिलौथू, नौहट्टा प्रखंड के कई स्थलों का दौरा करेगी।
(रिपोर्ट : निशांतकुमार राज, तस्वीर : अरुण शर्मा)
विश्वकर्मा पूजा संपन्न, शाम में सम्मान-सह-सांस्कृतिक समारोह
डालमियानगर (रोहतास)-कार्यालय प्रतिनिधि। ज्ञान इन्फ्राबिल्ड प्राइवेट लिमिटेड की ओर से रेल अस्पताल रोड स्थित शाहाबाद रिसोर्ट में विश्वकर्मा पूजा और सम्मान समारोह का आयोजन किया गया है। यह जानकारी मीडिया के प्रतिनिधियों को प्रेस-कान्फ्रेेंस का आयोजन कर बिहार विधान परिषद के पूर्व सदस्य, लोजपा नेता हुलास पांडेय और रामानुज पांडेय ने दी। उन्होंने बताया कि तकनीक-शिल्प के आदि पुरुष विश्वकर्मा का पूजन-समारोह दिन में पाली रोड स्थित पांडेय पैलेस में होगा। शाम में शाहाबाद रिसोर्ट में सम्मान समारोह और सांस्कृतिक कार्यक्रम होगा। बताया कि 17 सितम्बर को स्वच्छता को आंदोलन का रूप देने वाले देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन भी है, इसलिए समारोह में पर्यावरण संरक्षण और अन्य क्षेत्र में अग्रणी कार्य करने वालों के साथ शहर के कई सफाईकर्मियों को सम्मानित किया जाएगा।
(रिपोर्ट, तस्वीर : सोनमाटीडाटकाम टीम)