सोनमाटी के न्यूज पोर्टल पर आपका स्वागत है   Click to listen highlighted text! सोनमाटी के न्यूज पोर्टल पर आपका स्वागत है
इतिहासधर्म/संस्कृतिसमाचार

अयोध्या में राममंदिर निर्माण शुरू, गूंजने लगी रामधुन / संगीतपरिवेश विस्तार कर रहींकात्यायन बहनें

प्रधानमंत्री ने रखी पहली ईंट, तीन मंजिला बनेगा मंदिर

फैजाबाद/सासाराम/डेहरी-आन-सोन (सोनमाटी समाचार नेटवर्क)। करीब पांच सदी पहले 1528 में तोड़े गए राममंदिर को फिर से बनाने का सपना पूरा हुआ। 05 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर निर्माण की पहली ईंट रखकर भूमिपूजन किया। इसके साथ ही मंदिर निर्माण शुरू हुआ और अयोध्या नगरी में रामधुन गुंजने लगा। तीन मंजिल का राममंदिर तीन से चार साल में तैयार होगा। राममंदिर निर्माण के नायक विश्व हिंदू परिषद के स्व. अशोक सिंघल की इच्छानुरूप गुजरात सोमनाथ मंदिर के वास्तुविद चंद्रकांत द्वारा तैयार माडल के आधार पर मंदिर निर्माण हो रहा है, जिसकी जिम्मेदारी स्व. सिंघल ने चंद्रकांत को सौंपी थी। असम के मूर्तिकार रंजीत मंडल 2013 से यहां रहकर मूर्ति बना रहे हैं, जिन्हें श्रीसिंघल ले आए थे। रंजीत मंडल द्वारा राम के बचपन से राज्याभिषेक तक को दर्शाने वाली मूर्तियां मंदिर में लगेंगी। इस भूमिपूजन कार्यक्रम के अवसर पर 1992 में मंदिर के लिए प्राणों की आहुुति देने वाले कार-सेवकों के परिजन सम्मानित किए गए। कारसेवकों ने विवादित बाबरी मस्जिद ढांचा गिराया तो हुए खूनी संघर्ष में रामभक्त उर्मिला चतुर्वेदी ने अनाज न खाने का फैसला लिया। 27 सालों से फलाहार पर रहने वाली जबलपुर की 87 साल की उर्मिला चतुर्वेदी ने अपना भूख-व्रत तोड़ दिया।

कार्यक्रम में आडवाणी, मुरलीमनोहर, कल्याण शामिल नहीं

कोविड-19 के चलते 175 लोग बुलाए गए, जिनमें अयोध्या से बाहर के देशभर के 135 लोग थे। राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख नायकों में एक लालकृष्ण आडवाणी, मुरलीमनोहर जोशी और कल्याण सिंह भूूमिपूजन में शामिल नहींहुए। इन्हें कोरोना के मद्देनजर नहींआने की सलाह दी गई थी। मगर मंदिर आंदोलन की एक अग्रणी नेता उमा भारती कार्यक्रम में शामिल हुईं। ये चारों बाबरी ढांचा विध्वंस के कोर्ट-आरोपी भी हैं। सात दशक से जारी रामजन्मभूमि विवाद का 09 नवंबर को सुप्रीमकोर्ट के फैसले के बाद पटाक्षेप हुआ। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के साथ चार न्यायाधीशों एसए बोबड़े, डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण, अब्दुल नजीर की खंडपीठ ने माना कि विवादित जमीन पर रामलला विराजमान रहे हैं। मगर यह भी माना कि 06 दिसम्बर 1992 को कारसेवकों द्वारा बाबरी ढांचा गिराना कानून का उल्लंघन था।
तीखी प्रतिक्रियाएं : आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट किया है कि बाबरी मस्जिद थी, है और रहेगी। इंशाअल्लाह। जबकि पाकिस्तान के रेलमंत्री शेख रशीद ने कहा कि भारत धर्मनिरपेक्ष देश नहीं रहा, राम-नगर में तब्दील हो गया है।

इतिहास के आईना में अयोध्या विवाद

वर्ष 1528 में मुगल बादशाह बाबर के सिपहसालार मीर बाकी ने अयोध्या में विवादित स्थल पर तीन गुंबदों वाला बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया था। तब हिंदुओं ने दावा किया था कि यह जगह भगवानराम की जन्मभूमि है। हिंदू पक्ष ने कहा था कि मुख्य गुंबद के नीचे भगवानराम का जन्म स्थान था यहां प्राचीन मंदिर था। वर्ष 1853 में पहली बार अयोध्या राम मंदिर के निकट दंगा हुआ। वर्ष 1859 में अंग्रेजी शासन ने हिन्दू-मुस्लिम तनाव के मद्देनजर विवादित स्थल के पास बाड़ लगा दी। मुसलमानों को ढांचे के अंदर इबादत और हिंदुओं को बाहर चबूतरे पर पूजा करने की इजाजत दी गई। भारत को अंग्रेजी शासन से आजादी मिलने के बाद वर्ष 1949 में नया विवाद शुरू हो गया। 23 दिसंबर 1949 को भीतरी हिस्से यानी मस्जिद में राममूर्ति पाई गई। हिंदुओं ने कहा, भगवानराम प्रकट हुए हैं। मुसलमानों ने आरोप लगाया, किसी ने रात में चुपके से मूर्तियां रख दीं। उत्तर प्रदेश की सरकार ने मूर्तियों को हटाने का आदेश दिया। फैजाबाद के जिलाधिकारी केके नायर ने दंगा भड़कने के भय से सरकार के आदेश को पूरा करने में असमर्थता जताई। सरकार ने विवादित स्थल पर तब ताला लगवा दिया। वर्ष 1950 में फैजाबाद सिविल कोर्ट में दाखिल की गई एक अर्जी में रामलला की पूजा और दूसरी अर्जी में विवादित ढांचा में भगवानराम की मूर्ति रखने की इजाजत मांगी गई। वर्ष 1959 में अयोध्या निर्मोही अखाड़ा ने न्यायालय में तीसरी अर्जी दायर कर अपनी मांग रखी। न्यायालय में वर्ष 1961 मेंयूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने विवादित स्थल पर कब्जा दिलाने और मूर्ति हटाने की चौथी अर्जी दी। वर्ष 1984 में विवादित ढांचा स्थल पर मंदिर निर्माण के लिए विश्व हिंदू परिषद ने समिति का गठिन की। वर्ष 1986 में यूसी पांडे की याचिका पर फैजाबाद के जिला जज केएम पांडेय ने फरवरी 1986 में विवादित ढांचा से ताला हटाने का आदेश दिया और हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत दी।

रिपोर्ट, तस्वीर : निशांत राज/अर्जुन कुमार (संपादन, इनपुट : कृष्ण किसलय)

कात्यायन सिस्टर्स को ज्ञानज्योति केेंद्र की ऊर्जा

दाउदनगर (औरंगाबाद)-कार्यालय प्रतिनिधि। पुरानाशहर स्थित कात्यायन सिस्टर्स संगीत शिक्षण संस्था दो बहनों के सतत श्रम और जूझारू क्षमता के बल-बूते शहर में संगीत के परिवेश निर्माण में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। इसमें ज्ञानज्योति शिक्षा केेंद्र के निदेशक डा. चंचल कुमार का भी संरक्षण-आशीष-सहयोग बतौर भ्राता-धर्म रहा है। ज्ञानज्योति शिक्षण केन्द्र और कात्यायन सिस्टर्स के बीच एक अनाम रिश्ता पिछले 12 सालों से रक्षाबंधन के दिन आकार ग्रहण करता रहा है। जब चंचल कुमार छात्र थे, तब गुरु विजय कुमार चौबे के घर ट्यूशन पढऩे जाते थे। गुरु की दोनों बेटियां रक्षाबंधन के दिन मायूस हो रहती थीं, क्योंकि उनका भाई नहींथा। बेटियों की कसक को पिता ने शिष्य से साझा किया। चंचल कुमार ने गुरु-गृह की बेटियों के अनाम रिश्ते को बहन नाम दिया और उनसे अपनी कलाई पर राखी बंधवाई। विजय कुमार चौबे ने अपनी दोनों पुत्रियों के लिए कात्यायन सिस्टर्स (बहन) नाम से संगीत शिक्षण संस्था की स्थापना की। इस संस्था को प्रमोट करने में डा. चंचल कुमार संभव सहयोग प्राप्त रहा है।

रिपोर्ट, तस्वीर : निशांत राज

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Click to listen highlighted text!