चित्रगुप्त मंदिर : सम्मान समारोह के साथ समाप्त होगा चार दिवसीय प्रतिमा प्राण-प्रतिष्ठा
कार्यक्रम
डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-कार्यालय प्रतिनिधि। 25 फरवरी से आरंभ हुआ चार दिवसीय चित्रगुप्त प्रतिमा प्राण-प्रतिष्ठा समारोह 28 फरवरी को सर्वसमाज प्रीतिभोज के साथ समाप्त होगा। चित्रगुप्त मैदान में स्थित कायस्थों के कुलपुरुष महाराज चित्रगुप्त मंदिर की पुरानी मूर्ति का 27 फरवरी की सुबह सोन नद में विसर्जन के बाद नई प्रतिमा का अनावरण किया गया। चित्रगुप्त समाज कल्याण ट्रस्ट की ओर से 28 फरवरी को आयोजित सम्मान समारोह में चित्रगुप्त समाज के अग्रणी लोगों, मुख्य-विशेष अतिथियों को सम्मानित किया जाएगा। सम्मान समारोह के बाद चित्रगुप्त समाज की महिलाओं का संक्षिप्त सांस्कृतिक कार्यक्रम होगा। शहर (डेहरी-डालमियानगर) के समस्त कायस्थ समाज की ओर से आयोजित इस चार दिवसीय धार्मिक अनुष्ठान का आरंभ 25 फरवरी को कलश शोभायात्रा के साथ हुआ। शोभायात्रा में गरजते बादल और कड़कती बिजली के बीच हुई अनापेक्षित बारिश के बावजूद शहर के कायस्थ समाज की महिलाएं बड़ी संख्या में पहली बार पीली साड़ी पहन, कंधे पर चुनरी ओढ़ हाथों में मृण्य-कलश लेकर करीब तीन किलोमीटर (आना-जाना) नंगे पांव चलकर शामिल हुईं। 26 फरवरी की देर संध्या सामूहिक आरती हुई। वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता श्रवणकुमार अटल पत्नी के साथ तीन दिन की धर्म-विधि सम्मत पूजा के यजमान बने।
इस आयोजन में वरिष्ठ चिकित्सक डा. रागिनी सिन्हा, डा. उदय कुमार सिन्हा, सनबीम स्कूल के निदेशक राजीव रंजन, संवेदना अस्पताल की निदेशक डा. मालिनी राय, प्राचार्य अनुभा सिन्हा, वरिष्ठ विज्ञान लेखक-संपादक कृष्ण किसलय, वरिष्ठ अधिवक्ता मिथिलेश कुमार, सोन कला केेंद्र के अध्यक्ष दयानिधि श्रीवास्तव, सचिव निशांत राज, समाजसेवी विकास सिन्हा, चेस क्लब के प्रो. रणधीर सिन्हा, वार्ड पार्षद बरमेश्वर नाथ, अधिवक्ता ओमप्रकाश अटल, वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता श्रवण कुमार अटल, नवीन सिन्हा, सुनील सिन्हा, अभियंता आलोक श्रीवास्तव, अमित वर्मा, कायस्थ महासभा के राष्ट्रीय सचिव राकेशचंद्र सिन्हा, मनोरंजन प्रसाद सिन्हा, जयंत श्रीवास्तव, कृष्णवल्लभ सहाय, गायक राजू सिन्हा, पवित्र वर्मा, मनोज कुमार श्रीवास्तव, रूपेश राय, अनूप श्रीवास्तव, सिद्धार्थ श्रीवास्तव, मनीष कुमार वर्मा, जितेंद्र सिन्हा, पूर्व वार्ड पार्षद वीभा सिन्हा, शालिनी सिन्हा, डा. सुजाता सिन्हा, रत्ना सिन्हा, राजकुमारी देवी, प्रभा सिन्हा, पिंकी सिन्हा, निरूपमा सिन्हा, पूनम सिन्हा, सुषमा सिन्हा, मीनाक्षी श्रीवास्तव, गायिका प्रीति राज, मनोरमा देवी, मधु सिन्हा, लक्ष्मी श्रीवास्तव, नीरा सिन्हा, श्वेतमा सिन्हा, कविता काकम्बदवार, रूबी रंजन, रीता वर्मा सहित डेहरी-डालमियानगर से सैकड़ों महिलाएं-पुरुष शामिल हुए।
(रिपोर्ट, तस्वीर : निशांत राज)
एनिकट में मनाई गई लखपतियादेवी की पांचवीं पुण्यतिथि
डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-कार्यालय प्रतिनिधि। एनिकट पार्क में लखपतिया देवी की पांचवी पुण्यतिथि समारोह को संबोधित करते हुए भाजपा के जिला अध्यक्ष सुशील कुमार सिंह ने कहा कि सभी समाज और समुदाय मां के कर्जदार के होते हैं। अपनी मातृशक्ति के स्मरण से समाज-समुदाय मजबूत बनता है। लखपतिया देवी के पुत्र विधायक सत्यनारायण सिंह यादव ने कहा कि मां द्वारा दिए गए आशीर्वाद-संस्कार ने उन्हें सार्वजनिक जीवन में सक्रिय बनाया और वह समाजसेवा, क्षेत्र विकास के कार्यो में संलग्न हैं। बताया कि एनिकट में छह एकड़ भूमि पर पर्यटन पार्क के निर्माण-विकास के लिए प्रयत्नशील है। पुण्यतिथि समारोह में लखपतिया देवी के पति पूर्व मुखिया जगदीश यादव, वरिष्ठ चिकित्सक डा. उदय कुमार सिन्हा, कारपोरेट कारोबारी अरुणकुमार गुप्ता, नगरपरिषद के पूर्व मुख्य पार्षद शंभू राम, सोनघाटी पुरातत्व परिषद के कोषाध्यक्ष दयानिधि श्रीवास्तव, अधिवक्ता बैरिस्टर सिंह, सोन कला केेंद्र के संस्थापक सलाहकार चंद्रगुप्त मेहरा, कोषाध्यक्ष राजीव सिंह, डेहरी चेस क्लब के स्वयंप्रकाश मिश्र सुमंत आदि उपस्थित थे।
तिलौथू में विपिनविहारी सिन्हा स्मृति समारोह
तिलौथू (रोहतास)-सोनमाटी प्रतिनिधि। सोन नद के तट पर तुतला नदी संगम पर अवस्थित प्राचीन गांव तिलौथू में तिलौथू राजपरिवार के सदस्य पूर्व उद्योगमंत्री विपिनविहारी सिन्हा की स्मृति में व्याख्यान समारोह सोन अराधना के रूप में मनाया गया। समारोह का आयोजन राधा-शांता महाविद्यालय की ओर से किया गया। इस अवसर पर मानसपाठ के साथ तार्किक आध्यात्मिक व्याख्या के लिए मानसमुक्ता यशोमति सिंह विशिष्ट अतिथि, वीरकुंवरसिंह विश्वविद्यालय के कुलपति डा. देवीप्रसाद तिवारी समारोह उद्घाटनकर्ता और सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश वीपी सिंह मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किए गए। विपिनबिहारी सिन्हा के पुत्र वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता (सोशल एक्टीविस्ट) रणजीत सिन्हा ने कहा कि विपिन बाबू राज्य और इलाके के राजनीतिक-सांस्कृतिक-सामाजिक स्पंदन के रूप में निरंतर सक्रिय रहे। वह लोकभाषा भोजपुरी और आंचलिक पत्रकारिता के प्रबल पोषक थे।