बहुभाषी प्रकाशन संस्थान नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया ने किया है कृष्ण किसलय की पुस्तक सुनो मैं समय हूं का प्रकाशन
डेहरी-आन-सोन (बिहार)-कार्यालय प्रतिनिधि। आदमी की हजारों सालों की आदिम जिज्ञासाओं से संबंधित विज्ञान के इतिहास और सभ्यताओं के दार्शनिक सवालों के साथ करोड़ों-अरबों सालों से जारी ब्रहमांड के उद्भव-विकास-विस्तार की गुत्थी और जीवन उत्पति की आदिम पहेली को सिलसिलेवार समेटनी वाली अपनी विषय-वस्तु पर केेंद्रित अपनी तरह की पहली पुस्तक (सुनो मैं समय हूं) एक साल में दूसरी बार री-प्रिंट हो चुकी है। घोषित टैगलाइन (गुजरे हुए कल, वर्तमान और आने वाले कल का भी) वाली वरिष्ठ विज्ञान लेखक कृष्ण किसलय की पुस्तक (सुनो मैं समय हूं) का प्रकाशन भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय (उच्चतर शिक्षा विभाग) के अंतर्गत 1957 में स्थापित नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया (एनबीटी) ने किया है, जो हिंदी-अंग्रेजी सहित 30 से अधिक भाषाओं-बोलियों में किताबों का प्रकाशन करता है और जिसकी पुस्तक-बिक्री का नेटवर्क विदेशों तक विस्तृत है। वर्ष 2019 में एनबीटी की ओर से इस पुस्तक (सुनो मैं समय हूं) का पहला संस्करण हिन्दी में प्रकाशित हुआ। वर्ष 2019 के ही अंत मेंं यह पुस्तक री-प्रिंट भी हो गई। यानी जाहिर है, पाठकों की मांग पर दूसरी बार छापी गई। एनबीटी के हिंदी संपादक पंकज चतुर्वेदी द्वारा भेजी गईं पुस्तक की प्रथम आवृति (री-प्रिंट) की मानार्थ प्रतियां इसके लेखक (कृष्ण किसलय) को हस्तगत हो चुकी है।
आंचलिक इतिहास-पुरातत्व के अन्वेषक, विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के स्तंभकार और संपादक कृष्ण किसलय विज्ञान विषयों पर चार दशक से लेखन कर रहे हैं। इनका पहला विज्ञान लेख सुप्रसिद्ध पत्रकार एमजे अकबर के संपादन में प्रकाशित आनंद बाजार समूह की राष्ट्रीय हिन्दी साप्ताहिक (रविवार) में 1978 में प्रकाशित हुआ था। इनके दर्जनों खोजी और विशेष विज्ञान रिपोर्ट दैनिक जागरण में देहरादून और दिल्ली के राष्ट्रीय संस्करण में भी प्रकाशित हो चुकी हैं। दैनिक जागरण के साप्ताहिक विज्ञान पृष्ठ (खोज) में 72 श्रृखंला (किस्त) में प्रकाशित इनका विज्ञान स्तंभ (प्रलय की ओर सृष्टि) हिंदी विज्ञान पत्रकारिता (प्रिंट) के इतिहास में सबसे लंबा धारावाहिक है। बीते वर्ष 2019 (जुलाई, अक्टूबर, नवंबर) में दैनिक भास्कर समूह की साप्ताहिक उपहार पत्रिका (अहा! जिंदगी) ने विज्ञान-पर्यावरण विषयों पर ही इनकी तीन आवरणकथाएं (कवर स्टोरी) प्रकाशित की। हिंदी विज्ञान पत्रकारिता पर इनका शोध आलेख अमरेंद्र कुमार (स्वर्गीय) के संपादन में दिल्ली से प्रकाशित पुस्तक (पत्रकारिता : विधाएं और आयाम) में संकलित है और यह पुस्तक बिहार के दो विश्वविद्यालयों के भोजपुरी विभाग में संदर्भ ग्रंथ के रूप में 2012-13 में स्वीकृत की गई। कृष्ण किसलय बिहार की लोकभाषा (भोजपुरी) के प्रथम विज्ञान वार्ताकार भी हैं, जिनके आलेख का प्रसारण आकाशवाणी के पटना केेंद्र से आरती कार्यक्रम के अंतर्गत कोई चार दशक पहले 1983 में हुआ था। विज्ञान लेखन के लिए इन्हें भारत के विज्ञान लेखकों की शीर्ष-प्रतिष्ठ संस्था इंडियन साइंस राइटर्स एसोसिएशन, दिल्ली की राष्ट्रीय संगोष्ठी (देहरादून) में प्रोफेशनल साइंस जर्नलिज्म एवार्ड प्रदान किया गया।
कृष्ण किसलय ने विज्ञान पत्रकारिता के साथ हिन्दी की खोजी पत्रकारिता और आंचलिक पत्रकारिता (बिहार के सोन नद अंचल) के क्षेत्र में भी अनेक मीलस्तंभ कार्य किए हैं। वीरकुंवरसिंह से पहले और बीरसा मुंडा से भी पहले अंग्रेजी राज के प्रथम विद्रोही राजा नारायण सिंह की प्रामाणिक सत्यकथा को खोजकर राष्ट्रीय स्तर पर सामने लाने का श्रेय इन्हें जाता है। इन्होंने चार दशक पहले बालअपहर्ता गिरोह के अंतरप्रदेशीय जाल का पर्दाफाश भारत की अपने समय की सर्वाधिक प्रसारित पत्रिका मनोहर कहानियां में किया था और वह खोजी रिपोर्ट इतनी महत्वपूर्ण मानी गई कि उसका रूपांतर मित्र प्रकाशन की अंग्रेजी पत्रिका प्रोब इंडिया में प्रकाशित हुआ। इनके संपादन में प्रकाशित सोनमाटी (आंचलिक साप्ताहिक) दक्षिण भारत में पीएचडी से संबंधित शोध का हिस्सा बना और जिसकी चर्चा-प्रशंसा सारिका (टाइम्स आफ इंडिया समूह) ने, पत्र लिखकर हिन्दी के बड़े प्रसिद्ध विदानों-साहित्यकारों ने की। स्थानीय इतिहास, पुरातत्व और संस्कृति-संचार के अध्येता-अन्वेषक के रूप में सक्रिय रहे कृष्ण किसलय ने दो दशक पहले अति आरंभिक मानव सभ्यता चरण निर्धारण की दिशा में नई सोच को जोडऩे का कार्य किया। वह सोनघाटी पुरातत्व परिषद (पंजीकृत संस्था) की बिहार इकाई के सचिव के रूप में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती बिहार-झारखंड की सोन-घाटी सभ्यता के सिंधुघाटी से भी प्राचीन होने और सोन-घाटी से ही पूरे एशिया में मानव सभ्यता के प्रसरित होने की संकल्पना को नए तथ्य-साक्ष्य, शोध-खोज के आधार पर राष्ट्रीय क्षितिज पर स्थापित करने के प्रयास में संलग्न हैं।
नवभारत टाइम्स, अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक प्रभात आदि समाचारपत्रों में वाराणसी, देहरादून, चंडीगढ़, आगरा, मेरठ में रिपोर्टिंग, संपादन के महत्वपूर्ण, शीर्ष पद पर कार्य कर चुके नौकरी से सेवानिवृत डालमियानगर (डेहरी-आन-सोन, बिहार) निवासी कृष्ण किसलय फिलहाल राष्ट्रीय-प्रादेशिक पत्र-पत्रिकाओं में स्वतंत्र लेखन-पत्रकारिता का कार्य कर रहे हैं। तीन दशक पहले आंचलिक फिल्म-नाटकों में अभिनय कर चुके हिंदी नाटक की कई पुस्तकों के साथ कविता-कहानी के भी प्रतिष्ठित रचनाकार रहे कृष्ण किसलय चार दशक पुराना (1979 में स्थापित) देश के एक सर्वश्रेष्ठ लघु मीडिया ब्रांड सोनमाटी मीडिया समूह के आंचलिक पाक्षिक (सोनमाटी) और सोन अंचल केेंद्रित न्यूज-व्यूज वेबपोर्टल (सोनमाटीडाटकाम) के समूह संपादक हैं। वह कई स्थानीय संस्थाओं से जुड़कर सांस्कृतिक-सामाजिक संवद्र्धन की गतिविधियों में भी सक्रिय हैं।
(रिपोर्ट, तस्वीर : निशांत राज)
पुस्तक (सुनो मैं समय हूं) में —
लेखक : कृष्ण किसलय, चित्रकार : अरुप गुप्ता, कीमत : 105 रु, पेज 184
हजारों सालों के दार्शनिक चिंतन के ïïवैदिक-पौराणिक संदर्भ और आधुनिक विज्ञान के इतिहास, के साथ ब्रह्म्ïाांड के उद्भव, जीवन की उत्पति और पृथ्वी पर आदमी के अवतरण की अब तक अनकही प्रमाणित कहानी है यह पुस्तक (सुनो मैं समय हूं)। दिमाग को चकरा देने वाली है ब्रह्म्ïाांड की गुत्थी। आखिर विराट-विराट ब्रह्म्ïाांड का सटीक संचालन कैसे हो रहा है और यह कहां फैल रहा है? ईश्वर ने बनाई सृष्टि तो ईश्वर को किसने बनाया? नियम से विकसित हुए ब्रहांड में आखिर ईश्वर का क्या काम? वास्तव में आदमी तो तीन अरब साल पहले पैदा हुए एककोशीय जीव बैक्टीरिया का वंशज और बंदर का बेटा है। आदिम वनस्पति शैवाल 130 करोड़ साल पहले सूखी धरती पर आ चुका था और भारत में बिहार की सोन नद घाटी में बहुकोशीय जीवन का आरंभ सौ करोड़ साल से भी पहले हो चुका था। बिन्ध्य-कैमूर पर्वत क्षेत्र के तीन ओर रमडिहरा (रोहतास, बिहार), मैहर (मध्य प्रदेश) और चित्रकूट (उत्तर प्रदेश) में 60-65 करोड़ साल पुराने जीवाश्म प्राप्त हुए हैं।
‘ब्रह्म्ïाांडÓ खंड के विषय बिन्दु
1.भारत में हुआ विज्ञान का विकास। 2.वैज्ञानिक चिंतन हजारों साल पुराना। 3.दर्शन में विश्व गुरु, खगोल में विश्व पितामह। 4.तीन-चार सदियों में स्थापित हुए अधिसंख्य नियम। 5 विज्ञान की परिधि में आया ब्रह्म्ïाांड विमर्श। 6.विश्व उत्पति का आरंभिक चिंतन ऋग्वेद में। 7.सृष्टि उत्पति की गुत्थी पर सम्मेलन। 8.निरपेक्ष काल की धारणा ध्वस्त। 9.ब्रह्म्ïाांड के चार प्रमुख बल। 10.तीन प्रमुख बलों में आकर्षण के साथ विकर्षण के भी गुण. 11. ब्रह्म्ïाांड का इतना सटीक संचालन कैसे। 12.एक सीमा के बाद समाप्त हो जाती है आदमी की समझ। 13.सीमित से अनंत ब्रह्म्ïाांड के ज्ञान तक। 14. और ब्रूनों को जिंदा जला दिया गया। 15. जहां से हुई आधुनिक भौतिक विज्ञान की शुरुआत। 16.ब्रह्म्ïाांड अनुसंधान के विभिन्न चरण। 17. खगोल विज्ञान की पहली महत्वपूर्ण सूचना। 18. ब्रह्म्ïाांड 13-14 अरब साल पहले पैदा हुआ। 19. फैलते जाने के कारण ठंडा हुआ अत्यंत तप्त ब्रह्म्ïाांड। 20. बहुत-बहुत विराट है ब्रह्म्ïाांड। 21. हम जिस आकाशगंगा में हैं. 22. जीवाश्म जैसी है पुराने तारों की खोज। 23. दिमाग को चकरा देने वाली ब्रह्म्ïाांड की गुत्थी। 24. एक दिन थम जाएगा ब्रह्म्ïाांड का फैलना। 25. पल्सर तारा से मिला गुरुत्वाकर्षण तरंग का प्रमाण। 26. एक नहीं, अनेक हो सकते हैं बिग-बैंग। 27. ब्रह्म्ïाांड का 80 फीसदी पदार्थ अदृश्य। 28. आकाशगंगा को निगल जाएगा ब्लैकहोल। 29. मिल्की-वे के केन्द्र में सुपरमैसिव ब्लैकहोल। 30. आखिर क्या है डार्क मैटर। 31. जब पता चला प्रति-कण का अस्तित्व। 32. सूक्ष्म परमाणु की अद्भुत दुनिया। 33. परमाणु भी होता है विभाजित। 34. तीन कण तय करते हैं पदार्थ की अलग-अलग प्रकृति। 35. फर्मियन और बोसोन कणों से बना ब्रह्म्ïाांड। 36. गाड पार्टिकल से बना अदृश्य जगत।
‘जीवनÓ खंड के विषय बिन्दु
- जीव उत्पति की अनसुलझी बुनियादी गुत्थी। 38. सागर में पनपा या आकाश से टपका। 39. आदि प्रोटिन ने चट्टान खाकर उगली मिट्टी। 40. सभी जीवों में एक ही जैव पदार्थ। 41. प्रोटीन है किसी भी जीव की कोशिका का मूल पदार्थ। 42. आनुवंशिक गुणों के वाहक क्रोमोसोम। 43. डीएनए निर्देशक और आरएनए है कलाकार। 44. वेंकटरमन रामकृष्णन का महत्वपूर्ण शोध। 45. आरएनए की कोडिंग तकनीक के लिए डा. खुराना को मिला नोबेल। 46. जीवन के विभिन्न चरण। 47. क्या आदमी एलियन है। 48. जैव विकास के चार महाकल्प. 49. पुराजीवी महाकल्प में मछलियों का वर्चस्व। 50. प्रो. बसु ने दिलाई पेड़-पौधों को भी जीव होने की मान्यता। 51. सोन नद घाटी में मिले सौ करोड़ वर्ष से अधिक पुराने बहुकोशीय जीवाश्मा को अभी सर्वानुमति नहीं। 52. मछली से विकसित हुए जलचर-थलचर। 53. पृथ्वी की सुपर स्टार जीव प्रजाति डायनसोर। 54. डायनासोरों की पहली जैव शाखा ट्रायनासोर-क्लाज। 55. स्तनपाइयों का विकास। 56. लुप्त हैं जैव विकास क्रम की कई कडिय़ां। 57. थलचर से जब जलचर बनींह्वेल, डाल्फिन। 58. पानी में रहता था हाथी का पूर्वज। 59. नरवानर से विकसित हुआ मानव। 60. चिंपैंजी है आदमी का करीबी रिश्तेदार। 61. खास जीन की सक्रियता से हुआ आदमी में भाषा का विकास। 62. और दौड़ते-दौड़ते नरवानर बन गया आदमी। 63. गुफा से निकलने के बाद। 64. पृथ्वी पर आदमी का ही एकछत्र राज्य क्यों?
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दलों की दबाव बनाने की रणनीति
देहरादून, दिल्ली कार्यालय से प्रकाशित समय-सत्ता-संघर्ष की पाक्षिक पत्रिका चाणक्य मंत्र में इस बार (01-15 मार्च) पटना (बिहार) से कृष्ण किसलय की विधानसभा चुनाव पर विशेष रिपोर्ट
बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर प्याले में तूफान जैसी स्थिति भी है। महागठबंधन में शामिल दलों में नेतृत्व के लिए किसी एक नेता को लेकर सहमति नहीं है। इस मुद्दे को लेकर 14 फरवरी को महागठबंधन के घटक दलों में शामिल राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा, हिंदुस्तान अवाम मोर्चा (हम) के अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी, लोकतांत्रिक जनता दल (एलजेपी) के संयोजक शरद यादव और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी ने बंद कमरे में बैठक कर चुके हैं, जिसमें महागठबंधन के सबसे बड़े घटक राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस के नेता शामिल नहींथे। माना जा रहा है कि बंद कमरे की उस बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई कि महागठबंधन में आम आदमी पार्टी (आप) को शामिल किया जाए या नहीं? यह भी कयास है कि तीनों नेताओं जीतनराम मांझी, उपेन्द्र कुशवाहा और मुकेश सहनी ने महागठबंधन के नेतृत्व के लिए वरिष्ठ नेता शरद यादव के नाम को आगे बढ़ाया है।
मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर विवाद : उस बैठक में कांग्रेस और राजद की अनुपस्थिति से यह जाहिर हो चुका है कि महागठबंधन में मुख्यमंत्री के चेहरे पर सर्वानुमति को लेकर विवाद है। भले ही महागठबंधन में शामिल सभी दलों के नेता साथ-साथ होने का दावा ऊपरी तौर पर कर रहे हों, मगर राजद और कांग्रेस ने अपनी राह अलग-अलग कर ली हैं। दोनों दल अपनी-अपनी तैयारी में जुटे हुए हैं। बैठक को लेकर राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा है कि शरद यादव तो राष्ट्रीय नेता हैं और राजद बिहार में सबसे बड़ी पार्टी है, राजद ने बहुत पहले नेतृत्व और मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए तेजस्वी यादव के नाम की घोषणा कर चुकी है, जिसे पसंद हो, वह साथ चल सकता है। इस तरह यह भी माना जा रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए (भाजपा-जदयू) और महागठबंधन (कांग्रेस-राजद) की प्रभावकारी मौजूदगी से अलग तीसरे गठबंधन के ध्रुवीकरण का बीजारोपण हो चुका है।
कांग्रेस ने उछाला मीरा कुमार का नाम : कांग्रेस ने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए उछाला है। हालांकि जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा भी दबे स्वर में मुख्यमंत्री के चेहरा के लिए अपनी-अपनी दावेदारी कर चुके हैं। जबकि राजद की तरफ स े तेजस्वी यादव का नाम मुख्यमंत्री चेहरा के लिए बढ़ाया जा चुका है। मीरा कुमार को लेकर कांग्रेस के बयान ने महागठबंधन के अन्य दलों को सकते में डाल दिया है। कांग्रेस के नेता प्रेमचंद्र मिश्र ने कहा है कि कांग्रेस में चेहरों की कमी नहीं है। उन्होंने मीरा कुमार को बिहार में बड़ा चेहरा बताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री पद के लिए मीरा कुमार सबसे बेहतर चेहरा हैं और उनकी काबिलियत का मुकाबला नहींहै। कांग्रेस नेता सदानंद सिंह ने प्रेमचंद्र मिश्रा के बयान का समर्थन करते हुए कहा है कि आखिरी फैसला कांग्रेस आलाकमान लेगा, मगर मीरा कुमार बेशक बड़ा चेहरा हैं। जीतनराम मांझी ने महागठबंधन में सत्ता के बंटवारे को लेकर एक सूत्र दिया है कि महागठबंधन की सरकार बनने पर एक मुख्यमंत्री और दो उप मुख्यमंत्री होना चाहिए, जिनमें से एक दलित, एक पिछड़ा और एक अल्पसंख्यक समुदाय का हो। जबकि राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी के प्रवक्ता फजल इमाम मलिक का कहना है कि उपेंद्र कुशवाहा मुख्यमंत्री का योग्य चेहरा हैं।
भाजपा और जदयू में भी गुणा-भाग जारी : उधर, एनडीए द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही चुनाव लडऩा तय होने के स्टैंड को लेकर सीट बंटवारे पर एनडीए के घटकों भाजपा, जदयू और लोजपा ने गुणा-भाग शुरू कर दिया है। संभव है कि लोकसभा चुनाव की तर्ज पर भाजपा-जदयू के बीच 50-50 फीसदी अर्थात बराबर-बराबर सीट पर चुनाव लडऩे की सहमति बन जाय। लोकसभा की तर्ज पर यानी बराबर-बराबर सीटों पर बंटवारा हुआ तो दोनों दलों के पास मौजूदा 124 सीटों में से 52 विधानसभा क्षेत्रों में उम्मीदवारी में फेरबदल हो सकता है। पिछले विधानसभा चुनाव में जदयू ने 71 सीटों पर और भाजपा ने 53 सीटों पर जीत हासिल की थी। इनमें 24 ऐसी सीटें हैं, जहां भाजपा पहले और जदयू दूसरे नंबर पर थी। जबकि 28 सीटों पर जदयू पहले और भाजपा दूसरे स्थान पर थी। 2015 के विधानसभा चुनाव में जदयू अलग गठबंधन में राजद के साथ था। 2015 के चुनाव में भाजपा की जीत 53 सीटों पर हुई थी। कांग्रेस ने 41 सीटों पर उम्मीदवार उतार कर 27 सीटों पर जीत दर्ज की थी। राजद और जदयू ने 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ा था। 80 सीटें जीत कर राजद सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरा। फिर भी मुख्यमंत्री जदयू के नीतीश कुमार बने। 71 सीटें जीतने वाले जदयू ने 20 महीने बाद ही महागठबंधन से अलग होकर भाजपा के साथ सरकार बना ली।
सियासी समीकरणों का बदलना तय : लालू प्रसाद के राजद ने विधानसभा कुल 243 सीटों में से 150 पर अपना दावा कर रखा है। हालांकि राजद की तैयारी अकेले सभी सीटों पर लडऩे की भी है। एनडीए में शामिल घटक दल लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) ने 43 सीटों पर दावेदारी ठोक रखी है। 2015 के विधानसभा चुनाव में लोजपा ने 43 सीटों पर चुनाव लड़ा था। पिछले विधानसभा चुनाव परिणाम के अनुसार जदयू कई क्षेत्रों में भाजपा से मजबूत स्थिति में थी। माना जा रहा है कि मजबूत सीटें उसके खाते में जाएंगी।
इस तरह देखा जाए तो सभी दलों ने अधिक से अधिक सीट पाने की प्रत्याशा में अपनी-अपनी तरह से दबाव बनाने की रणनीति शुरू कर दी है। बहरहाल, अभी विधानसभा चुनाव में देर है, फिर भी राजनीति में कुछ असंभव नहीं है। आसन्न विधानसभा चुनाव में समीकरण का बदलना तय है। देखना है कि चुनाव में किस पार्टी के कितने उम्मीदवार चुनाव के मैदान में उतर पाते हैं।
कृष्ण किसलय
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