पटना (सोनमाटी समाचार नेटवर्क)। भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वाधान में आयोजित ‘‘हेलो फेसबुक संगीत सम्मेलन‘‘ का संचालन करते हुए संयोजक सिद्धेश्वर ने कहा कि हमारी धरती एक से बढ़कर एक कलाकारों और प्रतिभाओं से भरी पड़ी हं। बस उसे चुनने, गुनने और एक ऐसा सशक्त मंच देने की आवश्यकता है, जहां पर वह अपनी प्रतिभा का जौहर दिखला सकेस 18 वर्षीय युवा कलाकार आर्या श्री की 75 से अधिक कलाकृतियों को देख मुझे अद्भुत आनंद की अनुभूति हुइ। रेखाओं का अद्भुत संयोजन और रंगों की इंद्रधनुषी छटा, हमें यह सोचने को बाध्य करती है कि क्या इतनी कम उम्र में इतनी अधिक ऊंचाई तक पहुंचा जा सकता है? यह मैं इसलिए कह रहा हूं कि मैंने भी कोई प्रशिक्षण लिया नहीं। संदीप राशिनकर,विज्ञान व्रत, रशीद गौरी, अशोक अंजुम जैसे कई ऐसे कलाकार हैं, जिन्होंने बगैर कला प्रशिक्षण के कला के उस मुकाम को हासिल किया हैं।
सिद्धेश्वर ने युवा कलाकार आर्या श्री की कलाकृतियों का ऑनलाइन प्रदर्शन करते हुए कहा कि साहित्यिक लेखन और चित्रकला के प्रति विशेष रुचि रखने वाली राज प्रिया रानी की बेटी आर्या श्री को कला के प्रति यह अद्भुत प्रतिभा अपनी मां से विरासत में मिली है। उनकी तमाम कलाकृतियों को देखने के बाद लगता है कि नैसर्गिक प्रतिभा की धनी युवा कलाकार हैं। हर महीने ऑनलाइन कला प्रदर्शनी लगाने का हमारा उद्देश्य भी यही है कि देशभर में छुपी हुई इस तरह की प्रतिभाएं हमारे मंच के माध्यम से सामने आए और उनकी छुपी हुई प्रतिभा जगजाहिर हो।
वरिष्ठ चित्रकार एवं कवि रशीद गौरी (राजस्थान) ने कहा कि चित्रकला एक अति प्राचीन कला है। जो विभिन्न पड़ाओं से होकर आज बड़े कैनवास पर हमें नजर आ रही है। मानवीय संवेदनाओं से जोड़ते, आज की मुख्य अतिथि चित्रकारा आर्या श्री जी के चित्रों का अवलोकन करने का हमें शुभ अवसर मिला। सधे हुए हाथों से बने चित्र आकर्षक हैं और चित्रकार की संभावनाओं को उजागर करने में भी सफल हैं।
विशिष्ट अतिथि डॉ. शरद नारायण खरे (म.प्र.) ने कहा कि युवा चित्रकार आर्यश्री की कलाकृतियों में जीवंतता व भव्यता है। हर कलाकृति बोलती प्रतीत होती है। सच में कलाकार की दृष्टि में पैनापन व गहराई है, इसीलिए हर कलाकृति कथ्य की दृष्टि से न केवल सार्थक व उपयोगी है बल्कि एक विशेष आशय भी समाहित किए हुए है।आर्यश्री की तूलिका में सधापन है।
कथाकार जयंत ने कहा कि नवोदित कलाकार आर्या श्री ने पोट्रेट, रेखाचित्र और कंपोजीशन भी बनाए हैं। उनकी कला कहीं-कहीं मधुबनी पेंटिंग से प्रभावित नजर आती है। रंगों का समायोजन सुंदर ढंग से किया गया है। मल्टी कलर का उपयोग कर के बनाए गए उनके चित्रों को देखकर निश्चित तौर पर दो बातें कही जा सकती हैं। एक तो यह कि ये उनके आरंभिक प्रयास है और दूसरी बात यह के अभी उनके चित्रों में प्रगाढ़ता का आना शेष है। जो प्रयास किया गया है वह बहुत ही सराहनीय है।
मुरारी मधुकर ने कहा कि प्रतिभावान चित्रकार आर्याश्री द्वारा प्रदर्शित सभी चित्र बहुत ही प्रशंसनीय और प्रभावशाली हैं। इतनी कम उम्र में चित्रों की ऐसी रचना करना, इनकी प्रतिभा की भी नुमाइश है।
विजय कुमार मौर्य (लखनऊ )ने कहा कि बहुत खूबसूरत कलाकृतियां हैं…नये पुराने सभी चित्रों पर अपने प्यारे हाथों का हुनर दिखाया है बेटी आर्याश्री ने। चाहे आध्यात्म से भगवान कृष्ण और राधा को रास रसाते चित्र हो वर्तमान समय में चाउमीन मैगी खाते बच्चे का चित्र या श्रंगार किये बैठी दुल्हन हो, बड़ी-बड़ी इमारतें हों अद्भुत चित्रकारी है, मेरा सैल्यूट है ऐसी बेटी के लिए।
इस कार्यक्रम में फिल्मी संगीत सम्मेलन में स्मृद्धि गुप्ता (लखनऊ) ने ‘‘मुस्कुराहट आने पर भी मजा आने लगे!‘‘
डॉ. शरद नारायण खरे ने ‘‘तेरे चेहरे में वो जादू है !‘‘
मीना कुमारी परिहार ने ‘‘कैसा जादू बलम तूने डाला!‘‘
मुकेश कुमार ठाकुर (म.प्र.) ने ‘‘वादियां मेरा दामन रास्ते मेरी बाहें!‘‘
ऋतु मिश्रा ने ‘‘किसी राह में किसी मोड़ पर कहीं चल ना देना छोड़ कर!‘‘
सिद्धेश्वर ने ‘‘छेड़ो ना मेरी जुल्फे सब लोग क्या कहेंगे ‘‘,
सिद्धेश्वर तथा बीना गुप्ता ने ‘‘ बड़े अच्छे लगते हैं,!‘‘
पुरानी फिल्मी गीतों को प्रस्तुत कर श्रोताओं का मन मुक्त कर दिया।
इस कार्यक्रम में अनिल पतंग, डॉ. संतोष मालवीय, अपूर्व कुमार, अर्चना खंडेलवाल अर्ची, ऋचा वर्मा, डॉ. सुशील कुमार, दुर्गेश मोहन,दिलीप आदि ने भी भाग लिया।
प्रस्तुति : सिद्धेश्वर ,अध्यक्ष , भारतीय युवा साहित्यकार परिषद, पटना (मोबाइल 9234760365)
( इनपुटः निशांत राज)