नारी सशक्तिकरण का स्वर बनना चाहती हैं डा.सरिता

शिक्षा के महत्व को अनुभव कर ही पेशेवर व्यस्तता (शिक्षण) व पारिवारिक दायित्व के बीच भी किया उच्च शिक्षा अर्जित करने का श्रम व संघर्ष

डेहरी-आन-सोन (बिहार) – सोनमाटी समाचार। डा. सरिता सिंह की इच्छा नारी सशक्तिकरण का स्वर बनने की है और इसके लिए वह अपनी सक्रियता को ठोस आकार देना चाहती हैं। कोचिंग के जरिये छात्राओं खासकर ग्रामीण क्षेत्रों की छात्राओं को सफलता की छलांग लगाने के लिए प्रेरक का कार्य करना उनकी प्राथमिकता हैं। अपने अनुभव और ज्ञान के आधार पर वह लेखन-प्रकाशन के जरिये भी नारी सशक्तिकरण की दिशा में कार्य करना चाहती हैं। वह आरंभ से ही शिक्षण कार्य से ही जुड़ी रही हैं। इसलिए वह इस बात को अच्छी तरह समझती हैं कि शिक्षा से ही ग्रामीण क्षेत्र के पिछड़े समाज में परिवर्तन और संसाधनहीन समुदाय में समृद्धि के द्वार खुलते हैं। उन्होंने शिक्षा के महत्व को अनुभव कर ही उच्च शिक्षा अर्जित करने का श्रम व संघर्ष पेशेवर व्यस्तता (शिक्षण) व पारिवारिक दायित्व के बीच भी किया।


डा. सरिता सिंह ने नौकरी के क्रम में ही एक-एक दशक के अंतराल पर एम व पीएचडी पूरी की। इन्होंंंने अपने अध्यापकीय करियर का आरंभ 1980 में अंग्रेजी शिक्षक के रूप में रामप्यारी बालिका उच्च विद्यालय (दरिहट, रोहतास) से किया था। 1996 से 2003 तक वह डेहरी-आन-सोन स्थित राष्ट्रीय उच्च विद्यालय, डिलियां) में कार्यरत थीं। इन्होंने 1987 में रांची विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए की डिग्री हासिल की और 12 साल बाद 1999 में वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा से बाल श्रम की समस्या पर पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। 2004 में इन्होंने फिर रामप्यारी बालिका उच्च विद्यालय में ही योगदान किया।
डा. सरिता सिंह के पिता भुनेश्वर सिंह (बिहार के रोहतास जिले के करगहर प्रखंड के सोहवलिया खुर्द गांव निवासी) भारतीय वायुसेना में थे, जो फ्लाइंग आफिसर पद से सेवानिवृत्त हुए। डा. सरिता सिंह ने कानपुर विश्वविद्यालय से 1977 में स्नातक किया था। इनके पति अवधेशकुमार सिंह (रोहतास जिले के अर्जुन बिगहा, दरिहट निवासी) कृषि विभाग में छपरा जिला में बीज निरीक्षक के पद पर कार्यरत हैं।


डा. सरिता सिंह उच्च विद्यालय की करीब चार दशक तक अध्यापन कार्य करने के बाद इस महीने से सेवानिवृत्त हो चुकी हंै। इनकी सेवानिवृत्ति पर रामप्यारी बालिका उच्च विद्यालय में समारोह का आयोजन कर इन्हें और सेवानिवृत्त हो चुके अन्य सहकर्मियों कामता प्रसाद सिंह, रामाश्रय सिंह (दोनों शिक्षक), वीरेन्द्र कुमार (लिपिक) को भी मानपत्र और अंगवस्त्र भेंट किया गया। स्कूल की प्रधानाचार्य मंजू कुमारी ने इस अवसर पर कहा कि वर्षों की सेवा में साथ रहे साथियों के अलग होने का क्षण बेहद मार्मिक होता है।

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