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शिक्षक दिवस के अवसर पर अरुण दिव्यांश की कविता

शिक्षक-शिक्षा और गुरु

शि से शिकवा क्ष से क्षमा ,

क से होता यह तो कर्म ।

शिकवे दूर कर करें क्षमा ,

शिक्षा देना है पावन कर्म ।।

शिक्षक का पावन हृदय ,

पावन होता है यह शिक्षा ।

कितना क्या छात्र समझा ,

बीच बीच में लेते परीक्षा ।।

शिक्षक छात्र गहरा संबंध ,

शिक्षक है शिक्षा का सार ।

शिक्षा में है शि से शिकवा ,

क्षा से क्षारता दूर हर बार ।।

शिष्य का शिकवा दूर कर ,

क्षारता देता उर से निकाल ।

स्वयं तपता शिष्य के संग ,

रिश्ते लेता अंतरांगता पाल ।।

शिक्षक का है गुरु का दर्जा ,

गुरु का बढ़ जाता है महत्व ।

गु से गुणात्मक रु से है रुख ,

गुणात्मक दिशा देता सत्व ।।

गुरु जनों को है सादर नमन ,

हर बुराईयों का करते दमन ।

अंतर्तल से बुराईयां निकाल ,

जीवन से करे बुराईयां दफन ।।

अरुण दिव्यांश
अरुण दिव्यांश डुमरी अड्डा छपरा (सारण) बिहार फोन : 9504503560

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