भारत सरकार देश के हर श्रमिक को सामाजिक सुरक्षा देने के लिए कटिबद्ध है। प्रधानमंत्री श्रम-योगी मानधन योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, जैसे अनेक प्रयासों ने श्रमिकों को एक तरह का सुरक्षा कवच दिया है। ऐसी योजनाओं की वजह से असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के मन में ये भाव जगा है कि देश उनके श्रम का भी उतना ही सम्मान करता है।
देश के इन प्रयासों का कितना प्रभाव हमारी अर्थव्यवस्था पर पड़ा है, इसके साक्षी हम कोरोनाकाल में भी बने हैं। ‘इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम’ इसकी वजह से लाखों छोटे उद्योगों को मदद मिली है। एक अध्ययन के मुताबिक, इस स्कीम की वजह से करीब डेढ़ करोड़ लोगों का रोजगार जाना था, वो नहीं गया, वो रोजगार बच गया। कोरोना के दौर में ईपीएफओ से भी कर्मचारियों को बड़ी मदद मिली, हजारों करोड़ रुपए कर्मचारियों को एडवांस के तौर पर दिए गए। और साथियों, आज हम देख रहे हैं कि जैसे जरूरत के समय देश ने अपने श्रमिकों का साथ दिया, वैसे ही इस महामारी से उबरने में श्रमिकों ने भी पूरी शक्ति लगा दी है। आज भारत फिर से दुनिया की सबसे तेजी से आगे बढ़ रही अर्थव्यवस्था बना है, तो इसका बहुत बड़ा श्रेय हमारे श्रमिकों को ही जाता है।
देश के हर श्रमिक को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने के लिए, किस तरह काम हो रहा है, उसका एक उदाहरण ‘ई-श्रम पोर्टल’ भी है। ये पोर्टल पिछले साल शुरू किया गया था, ताकि असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए आधार से जुड़ा नेशनल डेटाबेस बन सके। मुझे खुशी है कि इस एक साल में ही, इस पोर्टल से 400 अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाले करीब 28 करोड़ श्रमिक जुड़ चुके हैं। विशेष रूप से इसका लाभ कन्स्ट्रकशन वर्कर्स को, प्रवासी मजदूरों को, और डॉमेस्टिक वर्कर्स को मिल रहा है। अब इन लोगों को भी यूनिवर्सल अकाउंट नंबर जैसी सुविधाओं का लाभ मिल रहा है। श्रमिकों में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए, ‘ई-श्रम पोर्टल’ को नेशनल कैरियर सर्विस, असीम पोर्टल और उद्यम पोर्टल से भी जोड़ा जा रहा है।
बीते आठ वर्षों में हमने देश में गुलामी के दौर के, और गुलामी की मानसिकता वाले क़ानूनों को खत्म करने का बीड़ा उठाया है। देश अब ऐसे लेबर क़ानूनों को बदल रहा है, रीफॉर्म कर रहा है, उन्हें सरल बना रहा है। इसी सोच से 29 लेबर क़ानूनों को 4 सरल लेबर कोड्स में बदला गया है। इससे हमारे श्रमिक भाई-बहन न्यूनतम सैलरी, रोजगार की सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य सुरक्षा जैसे विषयों पर और सशक्त होंगे। नए लेबर कोड्स में अंतर-राज्य प्रवासी श्रमिकों की परिभाषा को भी सुधारा गया है। हमारे प्रवासी श्रमिक भाई-बहनों को ‘वन नेशन, वन राशन कार्ड’ जैसी योजना से भी बहुत मदद मिली है।
देश का श्रम मंत्रालय अमृतकाल में वर्ष 2047 के लिए अपना विज़न भी तैयार कर रहा है। भविष्य की जरूरत है- लचीले कार्यस्थल, घर के पारिस्थितिकी तंत्र से काम भविष्य की जरूरत है- लचीले कार्य के घंटे व लचीले कार्य स्थल जैसी व्यवस्थाओं को महिला श्रमशक्ति की भागीदारी के लिए अवसर के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
रिपोर्ट : पीआईबी, इनपुट : निशांत राज