परिश्रम ही सफलता की कुंजी है : डॉ. महापात्र

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, पटना

पटना- कार्यालय प्रतिनिधि। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना में गुरुवार को डॉ. त्रिलोचन महापात्र, अध्यक्ष, पौधा किस्म और कृषक संरक्षण प्राधिकरण एवं पूर्व सचिव, डेयर एवं महानिदेशक, आईसीएआर की अध्यक्षता में आईएआरआई पटना हब के छात्रों के साथ एक संवाद सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें डॉ. डी. आर. सिंह, माननीय कुलपति, बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर, भागलपुर एवं डॉ. पी. के. राउत, प्रधान वैज्ञानिक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद मुख्यालय, नई दिल्ली भी मौजूद थे।

डॉ. महापात्र ने सभी छात्रों को प्रोत्साहित करते हुए कृषि से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों के बारे में विस्तार से बताया, जिसमें छात्र अपना बेहतर भविष्य बना सकते हैं। “परिश्रम ही सफलता की कुंजी है” का मंत्र देते हुए उन्होंने सभी छात्रों को अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहने को कहा। इस अवसर पर वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए उन्होंने ब्लेंडेड लर्निंग प्लेटफॉर्म, कृषि में कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ड्रोन के विविध प्रयोग, डिजिटल कृषि उद्यमिता एवं पूर्वी क्षेत्र के लिए क्षेत्र विशेष प्रोद्योगिकी का विकास, फसल विविधीकरण एवं धान-परती भूमि में दलहन के समावेश पर जोर दिया।

डॉ. सिंह ने लघु एवं सीमांत किसानों के लिए समेकित कृषि प्रणाली के मॉडल बनाने एवं स्थानीय नस्ल के संरक्षण पर जोर दिया। छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अपने आप को इस काबिल बनाएं कि आप लोगों के लिए रोजगार सृजन कर सकें। साथ ही, उन्होंने जलजमाव क्षेत्रों के लिए क्षेत्र विशेष प्रबंधन रणनीति बनाने पर जोर दिया।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, पटना

डॉ.राउत ने संस्थान द्वारा बकरी के आनुवंशिक सुधार पर जोर देते हुए संस्थान द्वारा भैंस पर नेटवर्क परियोजना एवं बकरी पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (एआइसीआरपी आन गोट) आदि विषयों पर किए जा रहे कार्यों की सराहना की।इससे पूर्व, संस्थान के निदेशक डॉ. अनुप दास ने अपने संबोधन में संस्थान द्वारा विकसित धान, सब्जियों, फलों के किस्मों तथा अन्य प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन तकनीकों एवं संस्थान द्वारा चलाई जा रही प्रमुख परियोजनाओं जैसे, धान-परती भूमि प्रबंधन, जलवायु अनुकूल कृषि, जल के बहुआयामी उपयोग तथा कई महत्वपूर्ण पहल जैसे, कार्बन फार्मिंग, डिजिटल कृषि, फ्यूचर फार्मिंग एवं “निरंतर आय और कृषि स्थिरता के लिए सहभागी अनुसंधान अनुप्रयोग (पीआरएवाईएएस )” परियोजना, जिसके तहत पूर्वी क्षेत्र के सात राज्यों के कमजोर वर्ग के गाँवों विशेषकर एक-एक अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के गाँव की आजीविका में सुधार हेतु शोध एवं प्रसार कार्य कर रहा है, के बारे में अतिथियों को अवगत कराया। इस कार्यक्रम में संस्थान सभी वैज्ञानिकगण,आईएआरआई पटना हब के छात्र एवं अन्य कर्मी उपस्थित थे। मंच का संचालन डॉ. रजनी,वरिष्ठ वैज्ञानिक ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. कमल शर्मा,प्रभागाध्यक्ष,पशुधन एवं मात्स्यिकी प्रबंधन ने दिया। डॉ.पी.सी. चंद्रन, प्रधान वैज्ञानिक ने पूरे कार्यक्रम का समन्वय किया।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, पटना

Share
  • Related Posts

    जीएनएसयू में तीन दवसीय हस्तशिल्प कार्यशाला का आयोजन

    डेहरी-आन-सोन (रोहतास) विशेष संवाददाता। हस्तशिल्प के संवर्धन एवं विकास हेतु भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय के अधीन संचालित हस्तशिल्प सेवा केंद्र, पटना के तत्वावधान में शुक्रवार से तीन दिवसीय कार्यशाला…

    Share

    भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद भूमि प्रबंधन परियोजना कार्यक्रम का आयोजन

    पटना -कार्यालय प्रतिनिधि। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना एवं बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर के अंतर्गत कार्यरत कृषि विज्ञान केंद्र, मानपुर, गयाजी द्वारा संयुक्त रूप से…

    Share

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

    You Missed

    जीएनएसयू में तीन दवसीय हस्तशिल्प कार्यशाला का आयोजन

    जीएनएसयू में तीन दवसीय हस्तशिल्प कार्यशाला का आयोजन

    भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद भूमि प्रबंधन परियोजना कार्यक्रम का आयोजन

    भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद भूमि प्रबंधन परियोजना कार्यक्रम का आयोजन

    भाजपा की कार्यशाला में बूथ स्तर पर संगठन को सशक्त करने पर जोर

    भाजपा की कार्यशाला में बूथ स्तर पर संगठन को सशक्त करने पर जोर

    डब्ल्यूजेएआई की भागलपुर इकाई के अध्यक्ष हुए श्यामानंद सिंह

    डब्ल्यूजेएआई की भागलपुर इकाई के अध्यक्ष हुए श्यामानंद सिंह