पटना (सोनमाटी समाचार नेटवर्क)। निराकार में आकार एवं शब्दों में चिंतन को पा लेना बड़ी बात है l ऐसे में सिद्धेश्वर जी का रेखाचित्र एवं साथ में उनकी छोटी छोटी कविताएं,अपने आप में अनोखा पा रहा हूं l काव्य एवं कला का यह संगम सिद्धेश्वर की यह नवीन कलाकृति “कैनवास पर बिखरे मोती” देखकर मैं अभिभूत हूं l सिद्धेश्वर की चित्र शैली भी गजब की है, जो शब्दों के साथ जोड़कर दिखाया गया है l इस पुस्तक को देखकर लगता है कि सिद्धेश्वर जी केवल आत्म केंद्रित कवि ही नहीं बल्कि एक सफल चित्रकार भी है l दोनों विधाओं के बेजोड़ शिल्पी एक चित्रकार कवि की दिशा, दृष्टि और संप्रेषणीयता का गुढ़ सिद्धेश्वर जी की यह संग्रह स्पष्टतः परिलक्षित होता है l
जगदंबी प्रसाद यादव प्रतिष्ठान एवं भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के संयुक्त तत्वावधान में सोमवार को आयोजित लोकार्पण सह काव्य संध्या साहित्यिक समारोह में सिद्धेश्वर की नवीन रेखाचित्र काव्य कृति “कैनवास पर बिखरे मोती” के लोकार्पण के अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय चित्रकार आनंदी प्रसाद बादल ने उक्त उद्गार व्यक्त किया l
पुस्तक का लोकार्पण करते हुए पटना दूरदर्शन के निदेशक डा. राजकुमार नाहर ने कहा कि कला और साहित्य के अमिट पहचान बन गए हैं सिद्धेश्वर l 40 वर्षों की उनकी साधना का सफल परिणाम है “कैनवास पर बिखरे मोतीl” वरिष्ठ साहित्यकार अरुण शाद्वल ने कहा कि चित्रकला और साहित्य के क्षेत्र में सिद्धेश्वर अपनी राष्ट्रीय पहचान रखते हैं l उम्र के इस मुकाम पर भी उनकी सक्रियता उनके भीतर के जुनून को दर्शाता है।
इस पूरे शाश्वत समारोह की अध्यक्षता करते हुए साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि सिद्धेश्वर जी बहुआयामी साहित्यिक प्रतिभा के धनी है। लघुकथा,कहानी, समालोचना के क्षेत्र में भी उन्होंने उल्लेखनीय हस्तक्षेप किया है l कविता और कला के हल्के में सिद्धेश्वर की शोहरत सर्वप्रिय रही है। इसका जीत जागता नमूना है, दोनों ही विधाओं का बेजोड़ समन्वित रूप “कैनवास पर बिखरे मोती”, जिसके मार्फत बूंद में समुद्र भरने की कोशिश काबिले तारीफ है l एक तरफ देखने में छोटी-छोटी मगर नावक के तीर सी गंभीर घाव करने वाली, नस्तर चुभोती क्षणिकाएं है। वहीं उसी कथ्य भूमि पर विचारों की भावप्रवण रेखांकन भी अद्भुत है l उनकी इस पुस्तक में कविता सागर से चुन चुन कर मोती भी अनायास ही हासिल हो जाते हैं l
लोकार्पण समारोह में सिद्धेश्वर की चित्रकला प्रदर्शनी के मुख्य अतिथि डा. बीरेंद्र कुमार यादव ने कहा कि सिद्धेश्वर की यह नवीन चित्रात्मक काव्यकृति, साहित्य एवं कला के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है l जबकि बिहार सरकार,उद्योग विभाग के विशेष सचिव एवं कवि दिलीप कुमार ने कहा कि सिद्धेश्वर की कलाकृतियों में मैं अंतरराष्ट्रीय छवि देखता हूं l रेखाचित्र के कला संसार में पूरे देश भर में सिद्धेश्वर बिहार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं l विख्यात लघुकथाकार रामयतन यादव ने कहा कि सिद्धेश्वर की कलाकृतियां अन्य कलाकारों से अलग और विशिष्ट है l उनकी छोटी-छोटी कविताओं में भी गजब का तीखापन का एहसास है l
इस साहित्यिक समारोह का आरंभ चर्चित लोक गायिका नीतू नवगीत की सरस्वती वंदना से हुई l समारोह का संचालन करते हुए सुधा पांडे ने कहा कि सिद्धेश्वर के रेखाचित्र देशभर की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशित होती रही है। यह उनकी पहचान बन गई है l
काव्य संध्या का संचालन युवा कवयित्री राज प्रिया रानी ने किया। इनके सुमधुर और सशक्त संचालन में दो दर्जन से अधिक कवियों ने गीत गजल से समां बांध दिया l धन्यवाद ज्ञापन चर्चित कथाकार जयंत ने किया l
काव्य गोष्ठी में कवि अविनाश बंधु ,अरुण शाद्वल,समीर परिमल,जयंत,रूबी भूषण, अपूर्ण कुमार, रामयतन यादव, रेखा भारती मिश्रा, डा. शिवनारायण, विजय गुंजन, राजेश शुक्ल, पुष्प रंजन आदि लोग मौजूद थे l
प्रस्तुति : बीना गुप्ता , जनसंपर्क पदाधिकारी, भारतीय युवा साहित्यकार परिषद, (मोबाइल –923 4760365)
Email : [email protected]
( इनपुटः निशांत राज)