पत्रकारिता दिवस: पत्रकारिता के बदलते स्वरूप

भारतीय पत्रकारिता के जन्म से लेकर आजतक पत्रकारिता में कई नये आयाम जुड़े। यह देशकाल, वातावरण, सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक परिस्थितियों की देन रही है।आज भारतीय हिन्दी पत्रकारिता की उम्र 198 वर्ष हो गयी। हिन्दी का प्रथम समाचार पत्र 30 मई 1826 को कलकत्ता से प्रकाशित हुआ जो भारतीय पत्रकारिता के इतिहास में अपना अलग महत्व रखने वाला साप्ताहिक समाचार पत्र- ‘‘उदन्त मार्तण्ड’’। इसका प्रकाशन कानपुर के रहने वाले वकील जुगल किशोर शुक्ल ने किया। इस समाचार पत्र के अंक हिन्दी की खड़ी बोली और ब्रज भाषा के मिश्रण में प्रकाशित होते थे। उन्होंने ऐसे समय में हिंदी भाषा में पत्र निकालने का साहस दिखाया जब ब्रिटिश शासन में भारतीयों के हित में कुछ भी लिखना बड़ी चुनौती थी। उस समय बंगला, अंग्रेजी, फ़ारसी में निकलने वाले पत्रों के बीच उदन्तमर्तण्ड अकेला हिंदी भाषा का पत्र था।

स्वतंत्रता पूर्व और बाद की पत्रकारिता :

आजादी से पूर्व की पत्रकारिता समाजिक सरोकारों से जुड़ी थी। समाचार मूलरूप से साहित्यिक होते थे। विषय सामग्री साहित्यिक अर्थात कहानी, उपन्यास आदि से सम्बन्धित रहती थी, लेकिन आज वह बात नहीं हैं। हिन्दी पत्रकारिता और आधुनिक हिन्दी साहित्य आपने प्रारंभिक दौर में एक साथ आगे बढ़ते दिखाई देते हैं। तब पत्रकारिता सूचना पंहुचाने के साथ जन जागरूकता पैदा करने का कार्य भी करता था। जैसे जनता में चेतना जागृत करना, समाज में व्याप्त अंधविश्वास, अंग्रेजों के खिलाफ सघर्ष, देशवासियों की रक्षा जैसे विषय व मुद्दे की बात पत्रकारिता में होती थी।
स्वतंत्रता प्राप्ति होते ही तत्कालीन परिस्थितियों में बदलाव दिखने लगा। समाज की मानसिकता भी बदली नजर आने लगी। यह बदलाव प्रत्येक क्षेत्र में दिखने लगा तो भला पत्रकारिता का क्षेत्र कैसे अछूता रहता। पत्रकारिता का तात्पर्य अब मात्र मुद्रित माध्यम नहीं रह गया था। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने हिन्दी पत्रकारिता का स्वरूप ही बदल दिया।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद तीव्र गति से हिन्दी पत्रकारिता ने प्रगति की। हिन्दी पत्रकारिता ने अंग्रेजी पत्रकारिता के दबदबे को खत्म कर दिया है। पहले देश में अंग्रेजी पत्रकारिता का दबदबा था लेकिन आज हिन्दी भाषा की पत्रकारिता का। समाचार पत्रों की नीति एवं प्रकाशन की प्रक्रिया व गुणवत्ता में काफी परिवर्तन आया है। ब्लैक एण्ड व्हाइट प्रिंटिंग से मुद्रण तकनीक बहुरंगीय प्रिंटिंग में बदल गई। समाचार संकलन एवं संपादन के तरीकों में भी काफी परिवर्तन आया है। वर्तमान में हिन्दी में अनेक पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन हो रहा है। कभी सीमित संसाधनों में चलने वाली पत्र-पत्रिकाएं आज अच्छी आर्थिक स्थिति में हैं, परंतु लघु एवं माध्यम समाचार पत्र पत्रिकाओं की स्थिति अभी भी चिंताजनक है।

बिहार में पत्रकारिता की नई लहर :

बिहार में पत्रकारिता का इतिहास 19वीं शताब्दी के 1872 से प्रारंभ होता है। बिहार के सर्वप्रथम हिंदी साप्ताहिक पत्र ‘बिहार बंधु’ था। जिसका प्रकाशन महाराष्ट्र के पंडित मदन मोहन भट्ट ने 1872 में किया। अपने समय में यह सिर्फ बिहार ही नहीं संपूर्ण देश में हिंदी भाषा के पत्रों में अपना प्रमुख स्थान रखता था। बिहार बंधु के प्रकाशन के कुछ ही समय बाद पंडित रामनाथ ने इस राज्य से उर्दू का सबसे पहला पत्र ‘अलपंच’ निकाला। प्रवासी बंगाली बाबू गुरु प्रसाद सेन जो सबसे पहले अंग्रेजी पत्रकारिता की दिशा में बिहार आकर बसे अन्य बंगालियों के सहयोग से ‘बिहार हेराल्ड’ नामक अंग्रेजी साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन किया। इन अखबारों के प्रकाशन के साथ बिहार में पत्रकारिता की नई लहर पैदा हुई। जिस समय इन अखबारों का प्रकाशन हुआ उस समय बिहार में कोई भी छापाखाना(प्रेस) नहीं था। बिहार बंधु का प्रारंभिक अंक कोलकाता से छापकर आता था। सन 1874 में बिहार बंधु का प्रकाशन पटना से आरंभ हुआ।

मीडिया की विश्वसनीयता :
पत्रकारिता के पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाता है कि जिसके पास जितने अधिक सवाल होंगे, जितनी अधिक जिज्ञासा होगी, वह उतना कामयाब पत्रकार होगा। लेकिन वर्तमान समय में पत्रकारिता सवाल नहीं कर रही है, बल्कि पत्रकारिता सवालों के घेरे में है। पत्रकारिता को लेकर जो सवाल है वह हैं पत्रकारिता की विश्वसनीयता। यह चिंतन करना होगा कि पत्रकारिता की विश्वसनीयता पर सवाल क्यों उठ रहा है?

अविश्वसनीय मीडिया, अविश्वसनीय खबर, सिर्फ मीडिया के लिए ही नहीं, पूरे लोकतंत्र और पूरे मानवीय समाज के लिए घातक हो सकती है। जैसे-जैसे समाज आधुनिकता और उपभोक्ता की अंध दौड़ में भाग रहा है, खबर लिखने वाले भी इस दौड़ में शामिल होने की होड़ में जुड़ गए हैं। कारण उपभोक्ता की वस्तु में जीवन का सत्य देखना है। खबर लिखने वाले समाज देश और लोकतंत्र के दुश्मनों की एजेंटी करने लगे। गैर जिम्मेदारी पत्रकारों से उसकी सबसे बड़ी चीज छीन ली जाती है, वह है उसकी विश्वसनीयता।

पत्रकारिता एकमात्र ऐसा स्रोत है जिससे अमर्यादित व्यवहार करने वाले, समाज की शुचिता भंग करने वाले और निजी स्वार्थ के लिए पद और सत्ता का दुरुपयोग करने वाले भयभीत रहते हैं। आज जब हम मीडिया इंडस्ट्री की बात करते हैं तो यह विशुद्ध व्यवसाय हैं। पत्रकारिता में जो लोग आ रहे हैं, वह सामाजिक सरोकार से नहीं, बल्कि लाभ की कामना, व्यक्तिगत स्वार्थ, शासन और सत्ता से भी सहायता लेने और लाभ देना के लिए पत्रकार बनने को बेताब हैं। यह काम एक वर्ग करता है, लेकिन कलंक संपूर्ण पत्रकारिता पर लगता है।

वेब पत्रकारिता :
आज पाठकों को विविध प्रकार के समाचारों, विशेष रूप से राजनीतिक समाचारों का अम्बार लगा रहता है। इसी तरह साज-सज्जा, मुद्रण तकनीकी में भी विशेष बदलाव आया है और पुराने प्रिंटिंग मशीनों (लेटर प्रेस एवं हैण्ड प्रेस) की जगह सुपर ऑफ्सेट प्रिंटिंग मशीनों ने स्थान ले लिया। इस सब के पीछे द्रुतगति से तकनीकी विकास एवं नयी सूचना प्रौद्योगिकी का जन्म होना है।
सूचना और संचार क्रांति के दौर में आज प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के बीच वेब पत्रकारिता का चलन तेजी से बढ़ा है और अपनी अलग पहचान बना ली है।
वेब पत्रकारिता के कई स्वरूप आज विकसित हुए हैं, जैसे वेबसाइट, न्यूज पोर्टल, ब्लाग और वेब चैनल आदि। इनके माध्यम से एक बार फिर देश की मीडिया में नए खून का संचार होने लगा है। यह पत्रकारिता का ऐसा नया रूप है, जहाँ पर सम्पादकीय सामग्री को इंटरनेट के माध्यम से प्रसारित किया जाता है। भारत में इंटरनेट आगमन के शुरूआती दौर में वेब पत्रकारिता की गति बहुत धीमी थी, लेकिन बीते दशक में इंटरनेट उपभोग में वृद्धि के साथ सस्ते स्मार्ट फ़ोन और अन्य डिजिटल उपकरणों के आगमन ने वेब पत्रकारिता में विस्तार के साथ इसके उपभोग में भी कई गुना वृद्धि की है। आज देश में ज्यादातर बड़े समाचार-पत्रों और चैनलों के ऑनलाइन संस्करण तो हैं ही साथ ही अन्य स्वतंत्र न्यूज़ पोर्टल्स को देश ही नहीं बल्कि दुनिया के अन्य हिस्सों में भी देखा और पढ़ा जा रहा है। वास्तव में जिस गति से डिजिटल मीडिया ले दायरे में वृद्धि हो रही है उससे यही सम्भावना बन रही है कि वेब पत्रकारिता का भविष्य भारत में उज्ज्वल होगा, लेकिन इसकी कई खूबियों के साथ इसमें कई समस्याएं और चुनौतियां भी पैदा हुई हैं। विशेषतौर पर इंटरनेट निरक्षरता, विषय वस्तु की विश्वसनीयता, डिजिटल विभाजन,निजता आदि को प्रमुख चिंता के रूप में देखा जा रहा है।
कोई भी व्यक्ति अपने मोबाइल पर फेसबुक, यूट्यूब, वेबसाइट या न्यूज़ एप के माध्यम से अपने गाँव, कस्बे, मोहल्ले या कॉलोनी से सम्बंधित खबरें प्रसारित कर सकता है और कर रहा है।
वेब मीडिया का ही करिश्मा है कि आज घर बैठे हम ऑनलाइन हिंदी की अनेक किताबें पढ़ सकते हैं। हिंदी में अपने विचार लिखकर उन्हें एक बड़े तबके तक पहुंचा सकते हैं। न्यू मीडिया यानि वेब मीडिया के प्रति लोगों का आकर्षण प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। आज की स्थिति में वेब और भाषा एक दूसरे के अहम सहयोगी माने जा सकते हैं। भविष्य में हर पत्र-पत्रिका ऑन-लाईन होगी। साथ ही साथ स्वतंत्र न्यूज पोर्टल की संख्या में भी वृद्धि होगी। यह आसार है कि समाचार-पत्र घाटे से बचने के लिए प्रिंट संस्करण बंद कर ऑन-लाईन से अपनी सेवा जारी रखें ।

वेब पत्रकारिता का विनियमन :
ऑनलाइन पत्रकारिता के विनियमन के लिए विश्व के कई देशों में अलग-अलग संस्थाएं कार्यरत है। भारत में पत्र-पत्रिकाओं को शुरू करने के लिए आरएनआई (रजिस्ट्रार न्यूज़ पेपर ऑफ़ इंडिया) से पंजीकरण कराना होता है, वैसे ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को शुरू करने के लिए लाइसेंसिंग प्रक्रिया से गुजरना होता है। लेकिन डिजिटल मीडिया न्यूज़ प्लेटफार्म के लिए देश में अभी तक कोई ऐसी प्रक्रिया उपलब्ध नहीं है। जिस वजह से डिजिटल मिडिया का विनियमन भारत सरकार के लिए एक चुनौती भी है, फिर भी सरकार द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी नियम के तहत डिजिटल मिडिया के दिशा निर्देश जारी किये गये है। सूचना प्राद्योगिकी (मध्ययवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021, भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक और सूचना मंत्रालय द्वारा जारी नियम है। जिसमें डिजिटल न्यूज माध्यमों के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। इसके तहत ऑनलाइन न्यूज़ प्लेटफार्म्स के लिए बनाई गयी श्रेणियों के अनुसार इनको प्रेस परिषद के प्रेस परिषद एक्ट, 1978 के पत्रकारिता आचरण के मानदंड और केबल टेलीविज़न नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 की धारा 5 के अधीन कार्यक्रम संहिता का पालन करना होगा। इसके अलावा इस नियम के तहत ऐसी कोई भी सामग्री जो किसी भी कानून के तहत अभी प्रतिबंधित है, उसे प्रकाशित या प्रसारित नहीं किया सकता। साथ ही इसमें ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल्स के लिए भी दिशा निर्देश दिए गए है, जिसमें न्यूज़ प्लेटफार्मों को अपने पोर्टल पर शिकायत अधिकारी को निवारण के लिए रखना होगा। इसके अलवा भारत सरकार द्वारा पंजीकृत सेल्फ रेगुलेटरी संस्थाएं भी शिकायत निवारण का काम करेंगी, जिसमें एनबीएफ़- प्रोफेशनल न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी, वेब जर्नलिस्ट्स स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी, कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑनलाइन मीडिया- इंडियन डिजिटल पब्लिशर्स कंटेंट ग्रीवांस कॉउन्सिल आदि हैं। इसके आलावा यदि शिकायत इनके द्वारा हल नहीं होती है, तो वह सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन भेजी जा सकती है।
वेब पत्रकारिता में कॉपीराइट यानी कि साहित्यिक चोरी भी एक प्रमुख चुनौती है, कई वेबसाइटें दूसरे की सामग्री को लेकर उसमे थोड़ा बहुत बदलाव करके उसे अपनी वेबसाइट पर लगा देती हैं। कभी कभी तो पूरी सामग्री हु ब हु। इसके अलावा गैर प्रशिक्षित लोग भी पत्रकारिता करने लगे है, जिस वजह से पत्रकारीय गुणों पर भी सवाल उठता रहता है। मूल रूप से कहें तो वेब पत्रकारिता में समाचार मूल्यों, समाचार की योग्यता, विश्वसनीयता, व्यक्तिगत गोपनीयता, नैतिक मानक, ख़बरों को सनसनीखेज बनाने आदि पर भी प्रश्न चिह्न उठता रहता है।

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