पटना-कार्यालय प्रतिनिधि। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना में गुरुवार को संस्थान के निदेशक डॉ. अनुप दास के मार्गदर्शन में हिंदी पखवाड़ा-2024 के अंतर्गत ‘समृद्ध कृषि द्वारा विकसित भारत’ थीम पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना के वैज्ञानिकों एवं बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के प्राध्यापकों ने अपने-अपने विषयों पर प्रस्तुति दी। कार्यशाला में डॉ. ए. के. ठाकुर, निदेशक (प्रसार शिक्षा), बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे। डॉ. ठाकुर ने संस्थान में राजभाषा हिंदी के प्रचार-प्रसार में किए जा रहे कार्यों की सराहना की और बताया कि इस तरह के कार्यक्रमों से कर्मियों का राजभाषा हिंदी के प्रति उत्साह बना रहता है। डॉ. ठाकुर ने यह भी बताया कि भाषा में शब्दों का बहुत महत्व होता है, अतः हमें शब्दों के चयन में सावधानी बरतनी चाहिए। इस अवसर पर संस्थान के कार्यकारी निदेशक डॉ. आशुतोष उपाध्याय ने सभी वैज्ञानिकों और प्राध्यापकों को कार्यशाला में आलेखों की प्रस्तुति हेतु बधाई दी और बताया कि यह राजभाषा को आगे ले जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। डॉ. उपाध्याय ने कृषि में महिला किसानों की भूमिका पर एक कविता सुनाते हुए बताया कि हमारा संस्थान जल्द ही एक भव्य हिंदी कार्यशाला का आयोजन करेगा। कार्यशाला को सफल बनाने में डॉ. शिवानी, डॉ. रजनी कुमारी, डॉ. ज्योति कुमार, डॉ. कुमारी शुभा, प्रभा कुमारी, उमेश कुमार मिश्र एवं अन्य की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
आलू की वैज्ञानिक खेती से होता है अधिक उपज : डा. संदीप मौर्य
डेहरी-आन-सोन (रोहतास) विशेष संवाददाता। आलू की खेती में उत्तर प्रदेश का देश में प्रथम स्थान है। आलू का प्रयोग मुख्य रूप से सब्जियों, चिप्स, पापड़, चाट, पकौड़ी, समोसा, डोसा, चोखा आदि…