सोनमाटी के न्यूज पोर्टल पर आपका स्वागत है   Click to listen highlighted text! सोनमाटी के न्यूज पोर्टल पर आपका स्वागत है
दुनियादेशशिक्षासमाचार

ऑस्ट्रेलिया उच्चायुक्त ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर डॉ. निशंक से की वार्ता

सोनमाटी समाचर नेटवर्क। पूर्व मुख्यमत्री एवम् पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने देहरादून में ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त बैरी फैरल से मुलाकात की। उच्चायुक्त बैरी फैरेल ने गुणात्मक और नवाचार युक्त नीति NEP-2020 की सराहना करते आशा प्रकट की क़ि नई शिक्षा नीति भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच शैक्षिक सहयोग बढ़ाने में मददगार साबित होगी। उच्चायुक्त ने दोनों देशों द्वारा एक दूसरे देशों की उपाधियों(डिग्री) को मान्यता देने की दिशा में डॉ निशंक की भूमिका और योगदान के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने डॉ निशंक द्वारा कोविड संकट के दौरान आनलाइन शिक्षा के माध्यम से करोड़ो विद्यार्थियों को सफलता पूर्वक जोड़ने के प्रयासों पर भी प्रकाश डाला ।श्री फ़ेरल ने कहा क़ि शिक्षा मंत्री रहते हुए, ज्ञान’ ‘स्पार्क’ योजना के माध्यम से डॉ निशंक ने भारत ऑस्ट्रेलिया शैक्षिक सहयोग को नए आयाम दिए हैं। ऑस्ट्रेलिया के भारत उच्चायुक्त ने उत्तराखण्ड और ऑस्ट्रेलिया के विभिन्न राज्यों के बीच सहयोग बढ़ाने पर बल दिया।
डॉ निशंक ने इस बात पर खुशी जाहिर की कि नई शिक्षा नीति की ऑस्ट्रेलिया सहित पूरे विश्व मे सराहना हो रही है।
उन्होंने ऑस्ट्रेलिया को उत्तराखंड में पर्यावरण , जैव प्रौद्योगिकी, पर्यटन मेडिकल टूरिज्म, आयुर्वेद उत्पाद एवं फार्मा के क्षेत्र मे सहयोग और निवेश करने का न्यौता दिया। डॉ निशंक ने कहा कि उत्तराखंड विश्व के में योग, आयुर्वेद और अध्यात्म की राजधानी है। और हमें इस दिशा में महत्वपूर्ण कार्य करने की आवश्यकता है।
डॉ निशंक जैव विविधता, मौसम परिवर्तन, जड़ी बूटी, पशु पालन के छेत्र में संयुक्त शोध प्रोजेक्ट करने पर भी जोर दिया।
ऑस्ट्रेलिया द्वारा कौशल विकास के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य किये जाने के लिए भी डॉ निशंक ने सराहना की। डॉक्टर
निशंक ने विश्वास प्रकट किया कि ऑस्ट्रेलिया ऐसी प्रौद्योगिकी, ऐसे कौशल का विकास करने में मदद करेगा जो हिमालय की संवेदनशीलता के अनुकूल हो।
इस अवसर पर डॉक्टर निशंक को ऑस्ट्रेलिया आने का निमंत्रण भी दिया गया।
ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त ने कहा कि उत्तराखंड के पास जनशक्ति है और ऑस्ट्रेलिया के पास तकनीक, जिसका साथ मिलकर उपयोग किया जा सकता है। राजनीति में ऐसे व्यक्तित्व कम हैं जिन्होंने साहित्य के साथ शांति सद्भाव फैलाने का कार्य किया है।

रिपोर्ट : सुशील उपाध्याय, इनपुट : निशांत राज

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Click to listen highlighted text!