कृषि पंडित घाघ, भड्डरी

भारतीय पारंपरिक कृषि विज्ञान को मजबूत बनाने में इनका है योगदान,आधुनिक शिक्षा के दबाव व लोकव्यवहार में प्रचलन बाहर होने से लुप्त हो रहीं कहावतें, कृषि वैज्ञानिक अवधेशकुमार सिंह ने किया संग्रह
पटना (सोनमाटी समाचार)। घाघ और भड्डरी कृषि पंडित थे। भारतीय पारंपरिक कृषि विज्ञान को मजबूत बनाने में इनका बड़ा योगदान रहा है। इनका नाम ग्रामीण भारत के कृषकों की जुबान पर रहता है, क्योंकि उनकी कहावतों में मौजूद कृषि ज्ञान देश खासकर उत्तर भारत में विश्रुत हैं। चाहे बैल खरीदना हो या खेत जोतना, बीज बोना हो अथवा फसल काटना, इन मौकों पर किसानों को घाघ की कहावतें जरूरत याद आती हैं। कृषि से संबंधित कहावतों के आधुनिक शिक्षा पद्धति के दबाव और लोक व्यवहार में प्रचलन से बाहर होते जाने के कारण अब इनके लुप्त हो जाने का खतरा पैदा हो गया है।

 घाघ और भड्डरी की कहावतें आज भी प्रासंगिक इसलिए हैं कि उनमें निहित कृषि ज्ञान को शस्य विज्ञान, पादप प्रजनन, पर्यावरण विज्ञान की दृष्टि से अनुशीलन की आवश्यकता है। इन्हींबातों के मद्देनजर घाघ, भड्डरी और अन्य के खेती-किसानी से संबंधित कहावतों को संकलित करने का श्रम व समय साध्य कार्य कृषि वैज्ञानिक अवधेशकुमार सिंह ने किया है।
भले ही आज देश में खेती-किसानी आज दुर्दशा में मानी जा रही हो, मगर घाघ ने अपने समय में खेती-किसानी को सबसे उत्तम उद्यम माना और यह उक्ति बनाई थी- उत्तम खेती मध्यम बान, निकृष्ट चाकरी भीख निदान।
घाघ ने गोबर, कूड़ा, हड्डी, नील, सनई आदि को खाद के रूप में खेती के लिए उपयोगी बताया था। उनके अनुभव पद्य कथ्य के सदियों बाद 1840 ईस्वी में जर्मनी के वैज्ञानिक लिबिंग ने यूरोप में खेती के लिए कृत्रिम उर्वरक की जरूरत को रेेखांकित किया था। घाघ की कहावत है- खाद पड़े तो खेत, नहीं तो कूड़ा रेत। घाघ ने खेत की गहरी जुताई को फसल के लिए बेहतर माना था- छोड़ै खाद जोत गहराई, फिर खेती का मजा दिखाई।

हालांकि घाघ और भड्डरी के कहावतों के समय-समय पर अनेक संग्रह हुए हैं, जिनमें रामनरेश त्रिपाठी लिखित घाघ और भड्डरी (हिंदुस्तानी एकेडेमी से 1931 में प्रकाशित) को ज्यादा प्रामाणिक माना जाता है। पिछले दिनों प्रकाशित हुई कृषि वैज्ञानिक (बिहार के छपरा में बीज निरीक्षक) की पुस्तिका खेती की कहावतें शीर्षक से इसी सिलसिले की एक कड़ी के रूप में सामने आई है। अवधेशकुमार सिंह की योजना इस पुस्तिका के दूसरे संस्करण को पुस्तक के आकार में कहावतों की व्याख्या के साथ प्रस्तुत करने की है।
कृषि प्रधान भारत में किसानों के जुबान पर खेती-किसानी से संबंधित कोई न कोई कहावत जरूर होती है, जिनमें अनुभवयुक्त जानकारी होती है। खेती से संबंधित कहावतों में अधिसंख्य घाघ और भंड्डरी की ही हैं। इस पुस्तक में घाघ, भंड्डरी के अलावा सुन्दर, मनोहर आदि की कहावतें भी संग्रहित की गई हैं, जो वर्षा, वायु, अकाल, खाद, जुताई, बीज, बुवाई, बैल, फसल और बीज की मात्रा से संबंधित हैं। इस संकलन में कठिन या लोकव्यवहार से लुप्त हो चुके शब्दों के अर्थ भी देने का यथासंभव प्रयास किया गया है।
अवधेश कुमार सिंह ने विद्यार्थी जीवन से ही कहावतों को संग्रहित करना शुरू किया था। प्रस्तुत पुस्तिका (खेती की कहावतें) में 593 कहावतें संग्रहित हो सकी हैं। अवधेशकुमार सिंह ने बताया है कि कहावतों के संग्रह का उनका कार्य आगे भी जारी रहेगा। इन कहावतों के संग्रह करने में गाँवों में किसानों के वाचन के साथ कई पुस्तकों-पत्रिकाओं से भी सहायता ली गई है।

गांवों में आज भी खेती-किसानी से संबंधित कहावतों अर्थात इस पुस्तिका (खेती की कहावतें) की उपयोगिता को देखते हुए इसका विमोचन पिछले दिनों पटना मेें बिहार एग्रीकल्चर मैनेजमेंट एजुकेशन ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के सभागार में जिलों के कृषि व उद्यान अधिकारियों की राज्यस्तरीय बैठक में प्रधान सचिव (कृषि) सुधीर कुमार और कृषि निदेशक हिमांशु कुमार राय द्वारा किया गया।

  • Related Posts

    सायंस कालेज में दो दिवसीय फोटो प्रदर्शनी सह जागरूकता कार्यक्रम का पटना विश्वविद्यालय के कुलपति ने किया उद्घाटन

    पटना – कार्यालय प्रतिनिधि। कारगिल विजय दिवस की रजत जयंती पर केन्द्रीय संचार ब्यूरो (सीबीसी), सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा दो दिवसीय फोटो प्रदर्शनी सह जागरूकता कार्यक्रम का…

    डेहरी-डालमियानगर नगरपरिषद की सशक्त स्थायी समिति की बैठक, कई मुद्दों पर हुई चर्चा

    डेहरी-आन-सोन (रोहतास) कार्यालय प्रतिनिधि।  डेहरी-डालमियानगर नगरपरिषद सभागार में बुधवार को मुख्य पार्षद शशि कुमारी की अध्यक्षता में सशक्त स्थायी समिति की बैठक हुई, जिसमे शहर के सौंदर्याकरण, रोशनी के लिए…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    सायंस कालेज में दो दिवसीय फोटो प्रदर्शनी सह जागरूकता कार्यक्रम का पटना विश्वविद्यालय के कुलपति ने किया उद्घाटन

    सायंस कालेज में दो दिवसीय फोटो प्रदर्शनी सह जागरूकता कार्यक्रम का पटना विश्वविद्यालय के कुलपति ने किया उद्घाटन

    डेहरी-डालमियानगर नगरपरिषद की सशक्त स्थायी समिति की बैठक, कई मुद्दों पर हुई चर्चा

    डेहरी-डालमियानगर नगरपरिषद की सशक्त स्थायी समिति की बैठक, कई मुद्दों पर हुई चर्चा

    संभावनाओं के द्वार खोलती है पंकज साहा की लघुकथाएं : सिद्धेश्वर

    संभावनाओं के द्वार खोलती है पंकज साहा की लघुकथाएं : सिद्धेश्वर

    एमआईबी ने बुलाई डिजिटल मीडिया एसआरबी की बैठक, डब्ल्यूजेएआई ने दिए अहम सुझाव

    एमआईबी ने बुलाई डिजिटल मीडिया एसआरबी की बैठक, डब्ल्यूजेएआई ने दिए अहम सुझाव

    केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र पटना द्वारा वैशाली जिले में दो दिवसीय आईपीएम ओरियंटेशन प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ

    केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र पटना द्वारा वैशाली जिले में दो दिवसीय आईपीएम ओरियंटेशन प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ

    बिहार की राजनीति जाती पर नहीं विकास के आधार पर होनी चाहिए: भगवान सिंह कुशवाहा

    बिहार की राजनीति जाती पर नहीं विकास के आधार पर होनी चाहिए: भगवान सिंह कुशवाहा