जिजीविषा : अम्मा कार्थियायनी ने पाया 96 साल में अक्षरज्ञान

भारत के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र मेरठ (पश्चिम उत्तर प्रदेश) से सोनमाटीडाटकाम के लिए वरिष्ठ पत्रकार ललित दुबे की प्रस्तुति

भारतीय जिजीविषा, जीवटता का अप्रतिम उदाहरण हैं कार्थियायनी, जिन्होंने 96 साल की उम्र में गुजरे आदिम युग के अंधेरे को चीरकर चमचमाती 21वीं सदी के नए युग का साक्षात्कार करने के लिए अक्षर-ज्ञान प्राप्त किया। सुदूर सागर तट के केरल से पंजाब तक विस्तृत भारतीय भूभाग की भारतीय संस्कृति का प्राकृतिक गुणधर्म है जीवटता और इसी की जीवंत उपस्थिति हैं केरल के पलक्कड़ जिला की अम्मा कार्थियायनी। भगत सिंह पंजाब के थे और कार्थियायनी केरल की। सदी के अंतराल और युग की जरूरत के अनुरूप दोनों की सांस्कृतिक जीवटता को पंजाब से केरल तक एकसूत्र में देखा-महसूस किया जा सकता है। भगत सिंह ने देश की स्वाधीनता की चेतना जगाने के लिए 1931 में फांसी को गले लगाया था। अम्मा कार्थियायनी ने 2018 में समाज में ज्ञान की नई रोशनी के लिए निरक्षर से साक्षर होने का कीर्तिमान स्थापित किया है। एक देश के लिए प्राण देने का सर्वोच्च बलिदान था, दूसरा ज्ञान का प्रकाश अर्जित करने के लिए सर्वोच्च संकल्प है।


केरल के साक्षरता मिशन अक्षरालाक्ष के स्कूल में नाम लिखाते ही चर्चित हुई अम्मा
कार्थियायनी ने निरक्षरता मिटाने के सरकारी कार्यक्रम में हिस्सा लिया, नाम लिखाया, पढ़ाई की, परीक्षा दी और सौ में से 98 यानी 98 फीसदी अंक प्राप्त किया। यह प्रेरणा उन्हें अपनी बेटी से मिली, जिसने 60 साल की उम्र में 2016 में दसवीं की परीक्षा पास की थी। उन्होंने छह महीने पहले जब राज्य साक्षरता मिशन के कार्यक्रम में पढऩे के लिए नामांकन कराया, तब उनकी योग्यता चौथी कक्षा की मानी गई। अम्मा की रुचि पढऩे-लिखने में थी। परीक्षा में भाग लेने के बाद से ही अम्मा कार्थियायनी सोशल मीडिया में वायरल (बहुचर्चित) हो गईं थीं। उन्होंने ढाई महीना पहले 5 अगस्त को आयोजित साक्षरता परीक्षा में भाग लिया था, जिसमें नागरिकों की साक्षरता की जांच की जाती है। इसके बाद वह केरल राज्य में सबसे ज्यादा उम्र की परीक्षा देने वाली महिला बन गईं। परीक्षा में 100 अंकों के सवाल में लिखने, पढऩे और गणित की समझ का आकलन किया गया। केरल के साक्षरता अभियान (अक्षरालक्ष) की प्रेस-रिलीज के मुताबिक, इस परीक्षा में 11683 उम्रदराजों ने भाग लिया था। केरल में साक्षरता मिशन नाम का अभियान चलाया जा रहा है। मिशन अक्षरालक्ष का उद्देश्य केरल राज्य में 100 फीसदी साक्षरता लक्ष्य को प्राप्त करना है। 2011 की जनगणाना के आंकड़ा के अनुसार, केरल की साक्षरता भारत में सबसे अधिक त्रिपुरा राज्य (94.65) के बाद 93.91 फीसदी है।

पैसों की तंगी से स्कूल नहीं जा पाई, अतिसीमित आमदनी में बच्चों की देखभाल कर सकी सिर्फ 
अम्मा कार्थियायनी का कहना है कि पैसों की तंगी के कारण वह स्कूल नहीं जा पाई थी। अतिसीमित आमदनी में सिर्फ अपने बच्चों की देखभाल कर सकी। जब उनकी बेटी ने दसवीं की परीक्षा पास की, तब मैंने भी वैसा ही करने को सोचा। उनका कहना है, वह 100 साल की उम्र में दसवीं की परीक्षा पास कर लेना चाहती हैं। आखिर उम्र के एकदम अंतिम पायदान पर अवस्थित होने के बावजूद अम्मा कार्थियायनी जैसा जीवन में विश्वास और स्पृहणीय कर्मठता किसे मोहित नहीं करेगी? हिंदुस्तानी स्त्री की ऐसी जीवटता तो हर क्षेत्र में झलकता है। कार्थियायनी हिंदुस्तानी स्त्री का केरलीय प्रतिरूप हैं। अक्षरज्ञान मनुष्य के जीवन में नयी रोशनी लाता है। केरल न केवल शिक्षा में सबसे आगे है, साक्षरता में भी वह देश के सामने एक मिसाल है। लोग कहेंगे कि मृत्यु के द्वार पर खड़ी यह महिला अगर अकादमिक शिक्षा नहीं प्राप्त करती तो क्या नुकसान होता, आखिर वह पूरा जीवन तो यूं ही बीता ही चुकी थीं?

अम्मा के सामानांतर पिछली सदी में मौजूद है मृत्यपूर्व भगत सिंह का उदाहरण
मगर ऐसा ही दूसरे फलक का उदाहरण देखिए कि भगत सिंह भी तो फांसी से पांच मिनट पहले लेनिन की जीवनी पढ़ रहे थे, जिसे उन्होंने अपने कनिष्ठ सहयोगी पृथ्वी सिंह आजाद से उसी दिन सुबह मंगवाया था। जेल के विवरण (रिकार्ड) में यह दर्ज बात लिखी गई है कि बुलावा आने पर भगत सिंह एक हाथ में किताब लेकर पढ़ते हुए आगे बढ़े और दूसरा हाथ उठाकर बोले, पांच मिनट रुको, अभी एक क्रांतिकारी दूसरे क्रांतिकारी से मिल रहा है। अगर वे मृत्यु से गले मिलने से पहले उस जीवनी का अंतिम अंश न पढ़ते तो कौन-सी कमी रह जाती? भारत भूमि पर सर्वत्र प्रसरित यही जीवटता, यही विश्वास तो है, जिसने कार्थियायनी को 96 वर्ष की उम्र में पढऩे को प्रेरित किया। दरअसल, इस बात पर गर्व करना चाहिए कि भारतीय समाज की यह जिजीविषा तर्क, अहिंसा, प्रेम, विश्वास, आंतरिक रचनात्मकता (ज्ञान) की नींव पर बना और हजारों सालों से मजबूत रहा है। अफसोस है कि आज उसी समाज को कुतर्क, हिंसा, सांप्रदायिक घृणा, जाहिली, अंधविश्वास जैसी प्रवृत्तियों, उसकी उपलब्धि-विरासत को मटियामेट करने पर तुली हुई हैं।

रिपोर्ट : ललित दुबे, तस्वीर संयोजन : निशांत राज, संपादन : कृष्ण किसलय

  • Related Posts

    डेहरी-डालमियानगर नगरपरिषद की सशक्त स्थायी समिति की बैठक, कई मुद्दों पर हुई चर्चा

    डेहरी-आन-सोन (रोहतास) कार्यालय प्रतिनिधि।  डेहरी-डालमियानगर नगरपरिषद सभागार में बुधवार को मुख्य पार्षद शशि कुमारी की अध्यक्षता में सशक्त स्थायी समिति की बैठक हुई, जिसमे शहर के सौंदर्याकरण, रोशनी के लिए…

    एमआईबी ने बुलाई डिजिटल मीडिया एसआरबी की बैठक, डब्ल्यूजेएआई ने दिए अहम सुझाव

    नई दिल्ली – कार्यालय प्रतिनिधि। सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा नेशनल ब्रॉडकास्टिंग पॉलिसी 2024 लाने के संबंध में नई दिल्ली के शास्त्री भवन में एक महत्वपूर्ण बैठक की गई। बैठक में…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    सायंस कालेज में दो दिवसीय फोटो प्रदर्शनी सह जागरूकता कार्यक्रम का पटना विश्वविद्यालय के कुलपति ने किया उद्घाटन

    सायंस कालेज में दो दिवसीय फोटो प्रदर्शनी सह जागरूकता कार्यक्रम का पटना विश्वविद्यालय के कुलपति ने किया उद्घाटन

    डेहरी-डालमियानगर नगरपरिषद की सशक्त स्थायी समिति की बैठक, कई मुद्दों पर हुई चर्चा

    डेहरी-डालमियानगर नगरपरिषद की सशक्त स्थायी समिति की बैठक, कई मुद्दों पर हुई चर्चा

    संभावनाओं के द्वार खोलती है पंकज साहा की लघुकथाएं : सिद्धेश्वर

    संभावनाओं के द्वार खोलती है पंकज साहा की लघुकथाएं : सिद्धेश्वर

    एमआईबी ने बुलाई डिजिटल मीडिया एसआरबी की बैठक, डब्ल्यूजेएआई ने दिए अहम सुझाव

    एमआईबी ने बुलाई डिजिटल मीडिया एसआरबी की बैठक, डब्ल्यूजेएआई ने दिए अहम सुझाव

    केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र पटना द्वारा वैशाली जिले में दो दिवसीय आईपीएम ओरियंटेशन प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ

    केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र पटना द्वारा वैशाली जिले में दो दिवसीय आईपीएम ओरियंटेशन प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ

    बिहार की राजनीति जाती पर नहीं विकास के आधार पर होनी चाहिए: भगवान सिंह कुशवाहा

    बिहार की राजनीति जाती पर नहीं विकास के आधार पर होनी चाहिए: भगवान सिंह कुशवाहा