दिखाया दम : गांव की बेटियों ने जीता खेल का खिताब

डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-सोनमाटी संवाददाता। गांव की बेटियों ने अपना दम दिखाते हुए खेल के खिताब पर अपनी जीत हासिल की। इस वर्ष वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय अन्तर महाविद्यालय खो-खो प्रतियोगिता (2018) का आयोजन डेहरी-आन-सोन में एनीकट स्थित डालमियानगर महिला कालेज के परिसर में किया गया। इस साल भी ग्रामीण क्षेेत्र के कालेज राधा-शान्ता महाविद्यालय, तिलौथू की टीम ने इस खेल के शिल्ड पर अपना कब्जा बरकरार रखा। महिला कॉलेज डालमियानगर के परिसर में खो-खो प्रतियोगिता के प्रथम दिन लीग मैच में राधा-शान्ता महाविद्यालय, तिलौथू की छात्राओं ने रोहतास महिला कॉलेज, सासाराम और महिला कॉलेज डालमियानगर की टीम को पराजित कर फाइनल मैच के लिए अपनी जगह सुनिश्चित कर ली। फााइनल मैच में राधा-शान्ता महाविद्यालय, तिलौथू की छात्राओं ने चिलचिलाती धूप में खुले परिसर के कड़े मुकाबले में महिला कॉलेज डालमियानगर को 9-7 से पराजित कर प्रतियोगिता का खिताब अपने नाम कर लिया।

ग्रामीण युवा प्रतिभा को तराशे जाने की जरूरत
महिला महाविद्यालय डालमियानगर के प्राचार्य डा. अशोक कुमार सिंह ने विजेता टीम और प्रतिभागी दलों को प्रमाणपत्र प्रदान करते हुए कहा कि हर साल देश में करीब सवा करोड़ युवा विश्वविद्यालयों से निकलते हैं, जिनकी प्रतिभा खासकर ग्रामीण युवाओं की प्रतिभाओं को तराशे जाने के लिए संसाधन की आवश्यकता हमेशा बनी रहती है। इसके लिए सरकार, जनप्रतिनिधियों के सतत प्रयास की जरूरत है और जरूरत इस बात की भी है कि उपलब्ध संसाधन का बेहतर सदुपयोग किया जाए। तिलौथू कॉलेज की ग्रामीण युवतियों की क्षमता सराहनीय है। राधा-शान्ता महाविद्यालय की टीम की कैप्टन कुमारी प्रियंका को बेस्ट रनर और महिला कालेज डालमियानगर की टीम की कैप्टन दुर्गा कुमारी को बेस्ट चेंजर का प्रमाणपत्र दिया गया। राधा-शान्ता महाविद्यालय के विजेता महिला दल और खो-खो खेल के कोच विनोद कुमार सिंह को इस कालेज के प्राचार्य डा. अशोक कुमार सिंह ने बधाई दी।

(रिपोर्ट व तस्वीर : डा. अनिल कुमार सिंह)

 

 

प्रेम के दुश्मन : जज बाप ने बेटी को किया बेदखल

पटना (विशेष प्रतिनिधि)। जज बाप ने गैरजातीय युवक से प्रेम करने वाली अपनी बेटी को अपनी चल-अचल संपत्ति से बेदखल करने की घोषणा की है और इस आशय का पत्र मीडिया के लिए जारी की है। 26 जून को पटना उच्च न्यायालय ने खगडिय़ा जिला के जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा अपनी 25 वर्षीय बेटी को घर में नजरबंद रखने के मामले में यह आदेश दिया था कि युवती अगले 15 दिनों के लिए पटना में ला कालेज के गेस्ट हाउस में रखी जाएगी और उसे सुरक्षा मुहैया कराए जाने के साथ किसी से भी मिलने-जुलने की आजादी होगी। 15 दिनों का समय 10 जुलाई को पूरा हो गया। हाई कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई की तिथि 12 जुलाई निर्धारित कर रखी थी। फिलहाल हाई कोर्ट के नए निर्णय-निर्देश की जानकारी नहीं हो सकी है।

युवती प्रेमी से शादी करने के अपने फैसले पर कायम
पटना उच्च न्यायालय ने बार एंड बेंच (लीगल न्यूज वेब पोर्टल) पर अपलोड किए गए समाचार पर स्वत: संज्ञान लेने के बाद मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद की खंडपीठ ने गत 25 जून को युवती और पिता (जिला जज) को भी अदालत में पेश होने का निर्देश दिया था। युवती ने 26 जून को खंडपीठ के समक्ष कहा था कि वह अपने माता-पिता के साथ सहज नहीं है और अलग रहना चाहती है। तब हाई कोटई की अदालत में युवती के माता-पिता भी उपस्थित थे। युवती के माता-पिता ने दिल्ली स्थित उच्चतम न्यायालय में कार्यरत विजातीय वकील से शादी करने के बेटी के फैसले के विरोध में थे। समझा जा रहा है कि युवती अपने फैसले पर कायम है। तभी पिता को संपत्ति से बेदखल करने जैसी घोषणा करनी पड़ी है। संयोग से उत्तर प्रदेश के बांदा जिला के कोतवाली थाना क्षेत्र निवासी जज पिता 20 जून को नौकरी की उम्र पूरी कर चुके हैं।

क्षुब्ध पिता ने मीडिया को जारी किया पत्र
सेवानिवृत्त जिला जज ने मीडिया के लिए जारी पत्र में कहा है कि मैं पिता के रूप में यह सूचित करना चाहता हूं कि विगत दिनों मेरी पुत्री द्वारा जो भी घटनाक्रम पैदा की गई, उससे मेरी सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल हुई है। पिता को बदनाम करने में पुत्री ने भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। मैंने हमेशा अपनी एकमात्र संतान (पुत्री) के बेहतर जीवन, शिक्षा और भविष्य की चिंता की, लेकिन मेरी पुत्री वकील के बहकावे में आ ब्लैकमेलिंग का शिकार होकर अपने हित की बात सुनने-समझने के लिए तैयार नहीं है। इसलिए मैंने अपनी पुत्री को अपनी सभी चल-अचल संपत्ति से बेदखल करने का निर्णय लिया है।

(रिपोर्ट व तस्वीर : निशांत राज)

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