(प्रसंगवश/कृष्ण किसलय) : रेणु को जन्मशती वर्ष पर नई पीढ़ी आखिर क्यों याद करे?

-0 प्रसंगवश 0
रेणु को जन्मशती वर्ष पर नई पीढ़ी आखिर क्यों याद करे?
-कृष्ण किसलय (संपादक, सोनमाटी)

फणीश्वरनाथ रेणु की जन्मशती वर्ष पर भारत की नई पीढ़ी आखिर उन्हें क्यों याद करे? उनकी चर्चा क्यों करे? आधी सदी से अधिक पुराने उनके लेखन को आज क्यों पढ़े? जबकि पूरी दुनिया के साथ भारतीय समाज भी 20वीं सदी के मुकाबले 21वीं सदी में क्वांटम जंप कर चुका है। 1954 में प्रकाशित फणीश्वरनाथ रेणु के पहला उपन्यास ‘मैला आंचल’ में आखिर क्या था कि वह रातोंरात शीर्ष हिन्दी लेखक-पीठ पर आसीन कर दिए गए और उनकी गणना हिन्दी के शीर्ष साहित्यकारों में होने लगी? 21वीं सदी के तीसरे दशक के आरंभ में यह सवाल स्वाभाविक है। जवाब यह है कि हिन्दी उपन्यास की दुनिया में ‘मैला आंचल’ का लेखन-प्रकाशन एक अपूर्व घटना थी। आजादी के बाद बिहार के गांव की हकीकत का ‘मैला आंचल’ के रूप में अंदाजेबयां हिन्दी साहित्य जगत में हलचल पैदा करने वाला था। विषय-वस्तु और शिल्प दोनों स्तरों पर अद्वितीय ‘मैला आंचल’ का नायक कोई व्यक्ति नहीं, समूचा अंचल है और कोई इसमें केेंद्रीय कथा नहीं, अनेक दमदार उपकथाएं हैं। इसमें बिहार के सीमांचल विशेष पूर्णिया के रीति-रिवाज, पर्व-त्योहार, लोकसंस्कृति, सामाजिक असमानता, असंगति, मानवीय विद्रूपता, राजनीतिक चेतना, अशिक्षा, रूढि़, सामंती शोषण, गरीबी, महामारी, अंधविश्वास, धार्मिक आडंबर, व्यभिचार, जनप्रश्न प्रभावपूर्ण रूप में प्रमाणिकता और अर्थ-ध्वनित आंचलिक शब्दावली की बहुलता के साथ उपस्थित हैं।
‘मैला आंचल’ उपन्यास सम्राट प्रेमचंद की परंपरा का मौलिक विस्तार है। प्रेमचंद के समय भारत के गांव उपनिवेश थे और रेणु के समय स्वतंत्र गण-संघ के हिस्से। सदियों से जारी गांव की अंतहीन गरीबी की यातना के जमीनी यथार्थ को रसात्मक अंदाज के साथ कथा-रूप में परोसना और सूखी धरती पर सुर, रंग, गंध, सौंदर्य को खोजना-बटोरना कोई साधारण कार्य नहीं था। आंखोंदेखी, प्रत्यक्ष अनुभव की गईं घटनाओं का किस्सागोई की ठेठ देशज कथ्य तकनीक और आख्यान परपंरा के लेखन शिल्प में अद्भुत जीवंत प्रस्तुति रेणु की क्षमता-विशेषता है।
फणीवश्वरनाथ रेणु को जितनी प्रसिद्धि उपन्यास से मिली, उतनी ही कहानी से। कहानी ‘मारे गए गुलफाम’ पर बनी फिल्म ‘तीसरी कसम’ से उन्हें ज्यादा प्रसिद्धि मिली। वासु भट्टाचार्य निर्देशित इस फिल्म में राज कपूर और वहिदा रहमान ने अभिनय किया था। रेणु के समय में ही राजनीति अवसरवादी हो चुकी थी, जिससे वह बेहद निराश थे। उपन्यास मैला आंचल में राजनीति के अंधकारमय भविष्य की आहट है, पूर्वानुमान है तो रिपोर्ताज ‘ऋणजल धनजल’ में अवसरवादी राजनीति का रेखांकन है, जिसमें गांव में मौजूद जातिवाद, अमानवीय अफसरशाही, राजनीतिक सांठगाठ, मठों-आश्रमों का पाखंड उजागर हुआ है। उनके रिपोर्ताज मानवीय संवेदना के स्वर और प्रांजल शिल्प के लय में शब्दों के आरोह-अवरोह के साथ स्पंदित हैं। पत्रकारिता की अल्पकालिक विधा रिपोर्ताज को जिन सााहित्यकारों ने कलात्मक अभिव्यक्ति से साहित्य की दीर्घकालिक विधा बनाई, उनमें रेणु का स्थान सर्वोच्च है।
रेणु कवि और क्रांतिकारी व्यक्तित्व का सम्मिश्रण रहे हैं, जीवन और लेखन दोनों स्तरों पर। दमन और शोषण के विरुद्ध लेखन और सदेह सक्रियता के साथ आजीवन संघर्षशील रहे रेणु ने 1942 में भारतीय स्वतंत्रता सेनानी के रूप में और 1950 में नेपाल में राजशाही के विरुद्ध नेपाली क्रांति में उल्लेखनीय योगदान दिया। 1972 में निर्दलीय चुनाव लडऩे-हारने के बाद उन्होंने कहा, ‘मैंने कांग्रेस के खिलाफ नहीं, बल्कि सभी राजनीतिक दलों के खिलाफ लड़ा’।

संपर्क : सोनमाटी-प्रेस गली, जोड़ा मंदिर, न्यू एरिया, पो. डालमियानगर, जिला रोहतास (बिहार) फोन 9708778136, 9523154607

(तस्वीर जनपथ के कवर मुखपृष्ठ से)

रेणु पर लिखी गई इस टिप्पणी को बिहार (आरा) से प्रकाशित साहित्य की प्रतिष्ठित लघु पत्रिका जनपथ (संपादक : अनंत कुमार सिंह) के रेणु विशेषांक के अंतर्गत प्रकाशित परिचर्चा में स्थान दिया गया है, जिसके परिचर्चाकार बिहार के वरिष्ठ रचनाकार और स्थानीय इतिहास-संस्कृति के अग्रणी अध्येता-अन्वेषक लक्ष्मीकांत मुकुल (बक्सर, बिहार) हैं।

  • Related Posts

    डेहरी-डालमियानगर नगरपरिषद की सशक्त स्थायी समिति की बैठक, कई मुद्दों पर हुई चर्चा

    डेहरी-आन-सोन (रोहतास) कार्यालय प्रतिनिधि।  डेहरी-डालमियानगर नगरपरिषद सभागार में बुधवार को मुख्य पार्षद शशि कुमारी की अध्यक्षता में सशक्त स्थायी समिति की बैठक हुई, जिसमे शहर के सौंदर्याकरण, रोशनी के लिए…

    एमआईबी ने बुलाई डिजिटल मीडिया एसआरबी की बैठक, डब्ल्यूजेएआई ने दिए अहम सुझाव

    नई दिल्ली – कार्यालय प्रतिनिधि। सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा नेशनल ब्रॉडकास्टिंग पॉलिसी 2024 लाने के संबंध में नई दिल्ली के शास्त्री भवन में एक महत्वपूर्ण बैठक की गई। बैठक में…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    सायंस कालेज में दो दिवसीय फोटो प्रदर्शनी सह जागरूकता कार्यक्रम का पटना विश्वविद्यालय के कुलपति ने किया उद्घाटन

    सायंस कालेज में दो दिवसीय फोटो प्रदर्शनी सह जागरूकता कार्यक्रम का पटना विश्वविद्यालय के कुलपति ने किया उद्घाटन

    डेहरी-डालमियानगर नगरपरिषद की सशक्त स्थायी समिति की बैठक, कई मुद्दों पर हुई चर्चा

    डेहरी-डालमियानगर नगरपरिषद की सशक्त स्थायी समिति की बैठक, कई मुद्दों पर हुई चर्चा

    संभावनाओं के द्वार खोलती है पंकज साहा की लघुकथाएं : सिद्धेश्वर

    संभावनाओं के द्वार खोलती है पंकज साहा की लघुकथाएं : सिद्धेश्वर

    एमआईबी ने बुलाई डिजिटल मीडिया एसआरबी की बैठक, डब्ल्यूजेएआई ने दिए अहम सुझाव

    एमआईबी ने बुलाई डिजिटल मीडिया एसआरबी की बैठक, डब्ल्यूजेएआई ने दिए अहम सुझाव

    केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र पटना द्वारा वैशाली जिले में दो दिवसीय आईपीएम ओरियंटेशन प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ

    केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र पटना द्वारा वैशाली जिले में दो दिवसीय आईपीएम ओरियंटेशन प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ

    बिहार की राजनीति जाती पर नहीं विकास के आधार पर होनी चाहिए: भगवान सिंह कुशवाहा

    बिहार की राजनीति जाती पर नहीं विकास के आधार पर होनी चाहिए: भगवान सिंह कुशवाहा