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महिला कालेज : छात्रावास से बदलेगी वंचित बेटियों की तकदीर/ माडल स्कूल : चुनाव मैदान मेें 22 प्रत्याशी/ कैथीलिपि संरक्षण की मांग

महिला कालेज डालमियानगर को मिला है 100 बेड का छात्रावास

(फाइल फोटो)

डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-कार्यालय प्रतिनिधि। वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय का प्रथम नैक मानक प्राप्त महाविद्यालय महिला कालेज डालमियानगर के परिसर में सौ बेड का जननायक कर्पुरी ठाकुर बालिका छात्रावास बिहार के इस सीमांत पर्वतीय जिला के लिए वरदान बनेगा, जहां कैमूर पहाड़ क्षेत्र के तिलौथू, अमझोर, बनजारी, रोहतास, नौहट्टा आदि सौ किलोमीटर से अधिक दूर तक के वंचित-पिछड़े परिवारों की छात्राओं की पढ़ाई के साथ आवासीय सुविधा हासिल होगी। वंचित-पिछड़े परिवार, खासकर जनजाति समुदाय की छात्राएं साधन-संसाधन के अभाव में बमुश्किल हाई स्कूल कर आगे की पढ़ाई स्थगित करती रही हैं। अब वे उच्च शिक्षा की पढ़ाई कर अपने परिवार, समाज और जिला में अपनी महत्वाकांक्षी शैक्षणिक हिस्सेदारी-प्रगति की नई इबारत गढ़ेंगी। इस कालेज को नैक (बी-ग्रेड) मान्यता मिल चुकी है और यह रूसा के अंतर्गत माडल डिग्री कालेज के रूप में विकसित होने के लिए चयनित हो चुका है। यहां कार्यरत इग्नू स्टडी सेंटर में विभिन्न विषयों में डिप्लोमा के साथ स्नातकोत्तर में भी पाठ्यक्रम की व्यवस्था है। रोजगारपरक शिक्षा देने के लक्ष्य के तहत अब कंप्यूटर प्रोफेशन में दक्षता प्राप्त करने के लिए बीसीए की पढ़ाई शुरू होने जा रही है।

आधी सदी पहले रात में क्लास करने जाती थीं लड़कियां :

(डालमियानगर बालिक विद्यालय)

शहर के इतिहास में आज भी इसके नाइट कालेज के रूप में होने की स्मृति पुरानी पीढ़ी के जेहन में कायम है। वह दौर था, जब कस्बाई शहर की हजार तक की संख्या में लड़कियां बड़ी शान, साहस और शांति के साथ शाम पांच बजे से रात नौ बजे तक के नाइट कालेज का क्लास करतींऔर डालमियानगर कारखाना की आवासीय कालोनियों, रेलवे प्लेटफार्म पार कर डेहरी-आन-सोन के विभिन्न मुहल्लों के अपने-अपने घरों में लौटती थीं। तब शहर में कोई कालेज नहींथा। जवाहरलाल नेहरू कालेज लड़कियों के लिए शहर से पांच किलोमीटर दूर असुविधाजनक स्थिति में था। आज की तरह बसों की तादाद तब नहींथी, एक्का-दुक्का बसें चलतींथीं और तिपहिया वाहन का तो चलन ही नहींथा। उस वक्त महाविद्यालय रोहतास उद्योगसमूह प्रबंधन द्वारा संचालित डालमियानगर बालिका विद्यालय परिसर में नाइट ट्यूटोरियल गल्र्स कालेज के नाम से संचालित होता था। 1965 में स्थापित इस कालेज का नाम 1979 में बदलकर महिला कालेज डालमियानगर हो गया। 1984 में रोहतास उद्योगसमूह के बंद हो जाने के बाद यह कालेज शहर डेहरी-आन-सोन के पाली रोड स्थित किराये के निजी भवन में भी कई सालों तक संचालित होता रहा। इसके बाद महिला कालेज डालमियानगर एनिकट में रोहतास पुलिस अधीक्षक के आवास परिसर के सामने सवा तीन एकड़ के अपने भूमि-भवन परिसर में स्थापित हुआ।

लक्ष्य यह कि बने श्रेष्ठ अग्रणी कालेज : डा. लाल

महाविद्यालय के नए प्राचार्य डा. सतीशनारायण लाल के अनुसार, इंटर परीक्षा में 45 फीसदी से अधिक अंक प्राप्त विज्ञान छात्राओं का बीसीए में सीधा नामांकन किया जा रहा है। विश्वविद्यालय से बीसीए के लिए 60 सीटों की स्वीकृति प्राप्त हुई है। कालेज में बीसीए पाठ्यक्रम और उसकी पढ़ाई के लिए पर्याप्त आधारभूत संरचना है। डा. सतीशनारायण लाल के अनुसार, उनका जोर विद्यालय में बेहतर अनुशासन स्थापित करने और शिक्षण के माहौल को बरकरार रखने पर होगा। उनका लक्ष्य होगा कि कालेज टीम के सामूहिक प्रयास के जरिये महिला कालेज डालमियानगर वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के श्रेष्ठ अग्रणी महाविद्यालय के रूप में राज्य के शैक्षणिक नक्शे पर स्थापित हो सके।

रिपोर्ट, तस्वीर : निशांत राज, गोविन्द मिश्रा

अभिभावक चुनेंगे छह सामान्य, दो शिक्षाविद और दो शिक्षक प्रतिनिधि

डालमियानगर (रोहतास)-कार्यालय प्रतिनिधि। रोहतास जिला के सबसे पुराने सीबीएसई विद्यालय माडल स्कूल की प्रबंध समिति के चुनाव के लिए नामांकन और नाम वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद निर्वाचन पदाधिकारी सह अनुमंडलाधिकारी सुनील कुमार सिंह की ओर से 22 अधिकृत उम्मीदवारों की वर्ण-क्रमानुसार सूची घोषित की जा चुकी है। प्रबंध समिति के छह सामान्य सदस्यों के लिए अभिभावकों में से 14 प्रत्याशी अजय सिंह, आलोक कुमार सिंह, जीवन प्रकाश गुप्ता, धनजी सिंह, धीरज कुमार, प्रीति कुमार झा, मुकेश कुमार, रविशंकर राय, रविशंकर सिन्हा, राजेश कुमार मेहता, रंजीत कुमार मेहता, सुनील शरद, संजय सिंह, सुनील कुमार, दो शिक्षाविद सदस्यों के लिए अभिभावकों में से चार प्रत्याशी कमलाकांत कमल, कमलेश कुमार गुप्ता, जीतेन्द्र कुमार सिंह, शिवशंकर साहा और दो शिक्षक सदस्यों के लिए विद्यालय के शिक्षकों में से चार प्रत्याशी कुशबहादुर सिंह, पंकज कुमार त्रिपाठी, लल्लू सिंह, सुरेंद्र प्रसाद गुप्ता हैं। इनमें पूर्ववर्ती प्रबंध समिति में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष रहे मुकेश कुमार, अजय सिंह, धनजी सिंह, जीतेंद्र कुमार सिंह, कमलेश कुमार गुप्ता आदि फिर चुनाव के मैदान में हैं।


सुयोग्य प्रत्याशी निर्वाचित करें अभिभावक :


प्रबंध समिति के प्रत्याशियों ने पर्चा वितरण, अभिभावक गृह-संपर्क, सोशल मीडिया (फेसबुक, व्हाट्सएप) आदि के जरिये अपने-अपने पक्ष में प्रचार शुरू कर दिया है। डालमियानगर माडल स्कूल के विद्यार्थियों के अभिभावक 11 सदस्यीय स्कूल प्रबंध समिति के 10 सदस्यों का अगले तीन सालों के लिए चयन अपने मताधिकार का प्रयोग कर करेंगे। स्कूल प्रबंध समिति का 11वां सदस्य पदेन होता है, जिसके लिए कार्यरत प्राचार्य का पद विधिमान्य है। मतदान 07 सितंबर को माडल स्कूल परिसर में होगा और उसी दिन अनुमंडलाधिकारी सह निर्वाचन पदाधिकारी के समक्ष निर्वाचित हुए सदस्यों द्वारा बहुमत या सर्वानुमति से प्रबंध समिति के अध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा। माडल स्कूल की प्रबंध समिति का संचालन कर चुके रोहतास इंडस्ट्रीज काम्पलेक्स के प्रभारी अधिकारी एआर वर्मा और कारपोरेट कंसन्लटेंट अरुण गुप्ता ने अभिभावकों से अपने पुराने अनुभव के आधार पर स्कूल के भविष्य के लिए बेहतर उम्मीदवार के चयन का आह्वान किया है। शहर के प्रतिष्ठित सीबीएसई पाठ्यक्रम वाला सनबीम पब्लिक स्कूल का संचालन कर रहे अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के रोहतास जिला अध्यक्ष राजीवरंजन कुमार, सांस्कृतिक संस्था सोन कला केेंद्र के अध्यक्ष दयानिधि श्रीवास्तव और उच्च विद्यालय के सेवानिवृत शिक्षक वरिष्ठ अभिभावक शीतल प्रसाद श्रीवास्तव ने कहा है कि डालमियानगर माडल स्कूल के अभिभावकों को व्यक्तिगत-सामाजिक गुण-दोष के आधार पर सुयोग्य प्रत्याशियों का चयन करना चाहिए।

रिपोर्ट, तस्वीर : निशांत राज

श्रीचित्रगुप्त संघ ने की कैथी लिपि के संरक्षण की मांग

जहानाबाद (सोनमाटी संवाददाता)। श्रीचित्रगुप्त सेवा संघ ने बिहार के मुख्यमंत्री से कैथी लिपि के संरक्षण की मांग की है। इस संबंध में राज्य सरकार को ज्ञापन सौंपे जाने का निर्णय लिया गया। संघ के युवा संभाग की ओर से कैथी लिपि दिवस का आयोजन किशन रंजन की अध्यक्षता में किया गया। कार्यक्रम में प्रो. ध्रुव सिन्हा की पुस्तक (कैथी लिपि एक परिचय) पर चर्चा की गई। बताया गया कि यह लिपि पहले कारोबार के हिसाब-किताब रखने की लिपि के रूप में विकसित हुई और बाद में अभिव्यक्त करने की अपनी क्षमता के कारण न्यायिक काम-काज की राजकीय भाषा भी बनी। कायस्थ जाति के पुरखों ने इस लिपि का प्रयोग सबसे पहले किया, इसीलिए इस लिपि को कायस्थी और कालांतर में कैथी कहा गया। चर्चा में श्रीचित्रगुप्त सेवा संघ के अध्यक्ष शशिकांत, महासचिव रमेश कुमार सिन्हा, देवांशु सिन्हा, कुमार सौरभ, रितेश कुमार सिन्हा, अनूप सिन्हा आदि ने भाग लिया।

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