विश्व ज्ञान दिवस अर्थात डा. अंबेडकर जयंती

Image may contain: 2 people, people smiling, people standing

विश्व प्रसिद्ध ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने अपने परिसर में यह कहते हुए डा. भीमराव अंबेडकर की तस्वीर लगाई कि गर्व है, ऐसा छात्र हमारी यूनिवर्सिटी से पढ़कर गया। कोलम्बिया यूनिवर्सिटी में तीन सदी पूरे होने पर कराए गए सर्वेक्षण (यूनिवर्सिटी का सबसे प्रतिभावान छात्र कौन) में छनकर आए छह नाम में एक डा. अंबेडकर के होने के कारण उनकी प्रतिमा यूनिवर्सिटी गेट पर लगाई गई और प्रतिमा का अनावरण अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने किया। और, संयुक्त राष्ट्र ने डा.अंबेडकर जयंती को विश्व ज्ञान दिवस घोषित किया।
90 साल पहले गुलाम भारत में डा. अम्बेडकर ने अस्पृश्यता और दलितों के लिए सार्वजनिक पेयजल संसाधन, हिंदू मंदिरों में प्रवेश के अधिकार के लिए सघन संघर्ष-आंदोलन किया था। 25 दिसम्बर 1927 को उन्होंने मनुस्मृति (मनु के धार्मिक-सामाजिक कानून) की सार्वजनिक निंदा करते हुए मनुस्मृति के प्राचीन पाठ की प्रतियां जलाई थीं। तब से शोषित-वंचित समाज के लोग हर साल 25 दिसंबर को मनुस्मृति दहन दिन (मनुस्मृति बर्निंग डे) के रूप में मनाते हैं।

Image may contain: 3 people, people on stage and people playing musical instruments

8 अगस्त 1930 को शोषित सम्मेलन में डा. आंबेडकर ने अपनी राजनीतिक दृष्टि रखी थी कि राजनीतिक शक्ति शोषितों की समस्याओं का निवारण नहीं कर सकती, उनका उद्धार तो समाज में उचित स्थान पाने और शिक्षित होने में निहित है। उन्होंने जाति के कारण अपने ही देश-समाज में आजीवन अपमान झेलने वालों को शिक्षित बनने, संगठित रहने और संघर्ष करने का मन्त्र दिया था। इसीलिए उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत से हर साल शोषित वर्ग के चुनिंदा विद्यार्थियों को शासकीय कोटे से पढ़ाई के लिए विदेश भेजने का आग्रह किया था।
देश के स्वाधीन होने के बाद डा. अम्बेडकर को संविधान मसौदा समिति का अध्यक्ष बनाया गया। 26 नवम्बर 1949 को संविधान सभा ने स्वतंत्र भारत के संविधान को अपनाया। संविधान की 14वीं धारा में उल्लेख है कि राज्य किसी नागरिक के साथ धर्म, वंश, जाति, लिंग, जन्म स्थान के आधार पर भेद-भाव नहीं करेगा। संविधान में नागरिक स्वतंत्रता की सुरक्षा, धार्मिक स्वतंत्रता, अस्पृश्यता और सभी प्रकार के भेदभाव को गैरकानूनी करार दिया गया है।
संविधान के पन्नों में महिलाओं से संबंधित प्रावधान ने महिलाओं को जागृत चेतना से लैस करने की ताकत पैदा की। नागपुर में डा. अंबेडकर ने महिलाओं से कहा था कि पति शराब पीकर या जुआ खेलकर आए तो दरवाजा मत खोलो, खाना मत दो। शराब के पैसों से बच्चों को तंदरुस्त रखने वाला खाना खिलाया जा सकता है। उन्होंने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लिए सिविल सेवा, स्कूलों-कॉलेजों की नौकरी में आरक्षण के लिए संसद का समर्थन हासिल किया।
डा. अंबेडकर ने देश के प्रथम कानून मंत्री के रूप में हिन्दू कोड बिल तैयार किया था, जिसका संसद में व्यापक विरोध हुआ और जो बाद में टुकड़े-टुकड़े में लागू हो सका। 1951 मे संसद में हिन्दू कोड बिल के मसौदे (विधेयक) को रोके जाने पर डा. अम्बेडकर ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। प्रधानमंत्री नेहरू, केेंद्र सरकार की कैबिनेट के सदस्यों और कांग्रेस के कई नेताओं के समर्थन के बावजूद संसद में सांसदों बड़ी संख्या हिन्दू कोड बिल के खिलाफ थी।
इसीलिए डा. अंबेडकर ने दीक्षाभूमि, नागपुर में 14 अक्टूबर 1956 को अपने अनुयाइयों की विशाल संख्या के साथ बौद्ध धर्म स्वीकार किया, जो विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक रूपांतरण था। उन्होंने अनुयाइयों के लिए 22 प्रतिज्ञाएं निर्धारित कीं, जो हिंदू धर्म के बंधनों से अलगऔर हिंदू मान्यताओं-पद्धतियों पर आघात भी हैं।

  प्रस्तुति : सोनमाटी संपादकीय टीम ( इनपुट, तस्वीर : उपेन्द्र कश्यप, निशांत राज)

 

 

दाउदनगर (औरंगाबाद)-सोनमाटी संवाददाता। बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती पर  शैक्षणिक संस्थानों एवं विभिन्न संगठनों द्वारा कार्यक्रम आयोजित की गई। डा. आंबेडकर की तस्वीर पर माल्यार्पण कर उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया और पाठय सामग्री का वितरण किया गया।

बाबा साहेब को भावभीने श्रद्धा सुमन का अर्पण

दाउदनगर (औरंगाबाद)-सोनमाटी संवाददाता। अरविंदो मिशन स्कूल परिसर में बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर की 127वीं जयन्ती समारोहपूर्वक मनायी गई, जिसमें विद्यालय के शिक्षकों, छात्र-छात्राओं के साथ शहर से आए अतिथियों ने भी अंबेडकर के चित्र पर पुष्प अर्पित कर अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर सम्बोधित करते हुए समारोह के मुख्य अतिथि तथा शिक्षक संघ के राज्यस्तरीय पदाधिकारी सत्येन्द्र कुमार ने कहा कि राष्ट्र निर्माण की डा. अम्बेडकर की आधुनिक दृष्टि को अपनाकर ही सशक्त भारत का निर्माण किया जा सकता है। भारतीय राजनीतिक पटल पर डा. अम्बेडकर और भगत सिंह के विचार ऐसे हैं, जिन्हें खारिज नहींकिया जा सकता है और जो बेहतर समाज व देश के लिए अपरिहार्य हैं।
विद्यालय में आयोजित समारोह के विशिष्ट अतिथि शिक्षक अवधकिशोर चौधरी (जहानाबाद) ने कहा कि डा. अम्बेडकर के सपनों को पूरा करने के लिए ईमानदार प्रयास करना ही उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धा होगी। समारोह के सम्मानित अतिथि तथा बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ (गोप गुट) के नेता सुरेन्द्र सिंह ने कहा कि देश के अन्दर विभिन्न अन्तर्विरोधों और कालांतर में होने वाली टकराहट का पूर्वानुमान डा. अम्बेडकर ने एक सदी पहले ही कर लिया था। जातियों के अन्तर्विरोध, सम्प्रदायों के अंतर्विरोध को हल किये बिना सशक्त राष्ट्र का निर्माण नहीं किया जा सकता।
समारोह में विद्यालय की प्रधानाध्यापिका सुषमा सिन्हा, शिक्षक राजू कुमार, शिक्षिका मालती कुमारी ने भी अपनी बात रखीं। समारोह की अध्यक्षता संजय कुमार सिंह तथा संचालन शत्रुध्न कुमार ने किया। डा. अंबेडकर और भगत सिंह के लिए नारे लगाकर समारोह का समापन किया गया।

डा. अम्बेडकर की 127वीं जयंती
दाउदनगर (औरंगाबाद)- सोनमाटी संवाददाता। निकटवर्ती मखरा ग्राम में डा. भीमराव अम्बेडकर जयंती के मौके पर भाजपा के दाउदनगर ग्रामीण मण्डल अध्यक्ष सुरेन्द्र यादव ने गरीब बच्चों के बीच कॉपी-कलम का वितरण करने के बाद कहा कि बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर की सोच थी कि भारत का हर नागरिक शिक्षित बने और अपने अधिकार को प्राप्त करे। अन्य वक्ताओं ने कहा कि बाबा साहब ने देश को उचित संविधान दिया, जिसका पूरा देश उनका ऋणी है। उनके योगदान को देश कभी नहींभूलेगा। जयंती समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ भाजपा नेता राममनोहर पांडेय ने की और संचालन किसान मोर्चा के महामंत्री रविंद्र शर्मा ने किया।

विद्या निकेतन ग्रुप ऑफ स्कूल

विद्या निकेतन ग्रुप ऑफ स्कूल में आयोजित समारोह में संस्था के सीएमडी सुरेश कुमार गुप्ता, सीइओ आनंद प्रकाश, प्राचार्य सरयू प्रसाद के साथ शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं ने बाबा साहब डा. भीमराव आंबेडकर के तस्वीर पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया। सीएमडी ने कहा कि डा. आंबेडकर गरीबों, दलितों, पीड़ितों और उपेक्षित जनजीवन के मसीहा थे।

विवेकानंद मिशन स्कूल

विवेकानंद मिशन स्कूल के सुबह की प्रार्थना सभा में बाबा साहेब डा. भीमराव आंबेडकर की जयंती मनाई गई। निदेशक डॉक्टर शंभूशरण ¨सह ने उन्हें महान समाज सुधारक,  सामाजिक-आर्थिक समता के पक्षधर बताया। संस्था के मैनेजर सुनील कुमार,  शिक्षक लोकेश पांडेय एवं ब्रजेश कुमार, मानसी कुमारी ने बाबा साहब का जीवन परिचय देकर उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला।

 

 

  • Related Posts

    सायंस कालेज में दो दिवसीय फोटो प्रदर्शनी सह जागरूकता कार्यक्रम का पटना विश्वविद्यालय के कुलपति ने किया उद्घाटन

    पटना – कार्यालय प्रतिनिधि। कारगिल विजय दिवस की रजत जयंती पर केन्द्रीय संचार ब्यूरो (सीबीसी), सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा दो दिवसीय फोटो प्रदर्शनी सह जागरूकता कार्यक्रम का…

    डेहरी-डालमियानगर नगरपरिषद की सशक्त स्थायी समिति की बैठक, कई मुद्दों पर हुई चर्चा

    डेहरी-आन-सोन (रोहतास) कार्यालय प्रतिनिधि।  डेहरी-डालमियानगर नगरपरिषद सभागार में बुधवार को मुख्य पार्षद शशि कुमारी की अध्यक्षता में सशक्त स्थायी समिति की बैठक हुई, जिसमे शहर के सौंदर्याकरण, रोशनी के लिए…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    सायंस कालेज में दो दिवसीय फोटो प्रदर्शनी सह जागरूकता कार्यक्रम का पटना विश्वविद्यालय के कुलपति ने किया उद्घाटन

    सायंस कालेज में दो दिवसीय फोटो प्रदर्शनी सह जागरूकता कार्यक्रम का पटना विश्वविद्यालय के कुलपति ने किया उद्घाटन

    डेहरी-डालमियानगर नगरपरिषद की सशक्त स्थायी समिति की बैठक, कई मुद्दों पर हुई चर्चा

    डेहरी-डालमियानगर नगरपरिषद की सशक्त स्थायी समिति की बैठक, कई मुद्दों पर हुई चर्चा

    संभावनाओं के द्वार खोलती है पंकज साहा की लघुकथाएं : सिद्धेश्वर

    संभावनाओं के द्वार खोलती है पंकज साहा की लघुकथाएं : सिद्धेश्वर

    एमआईबी ने बुलाई डिजिटल मीडिया एसआरबी की बैठक, डब्ल्यूजेएआई ने दिए अहम सुझाव

    एमआईबी ने बुलाई डिजिटल मीडिया एसआरबी की बैठक, डब्ल्यूजेएआई ने दिए अहम सुझाव

    केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र पटना द्वारा वैशाली जिले में दो दिवसीय आईपीएम ओरियंटेशन प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ

    केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र पटना द्वारा वैशाली जिले में दो दिवसीय आईपीएम ओरियंटेशन प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ

    बिहार की राजनीति जाती पर नहीं विकास के आधार पर होनी चाहिए: भगवान सिंह कुशवाहा

    बिहार की राजनीति जाती पर नहीं विकास के आधार पर होनी चाहिए: भगवान सिंह कुशवाहा