हरियाली वृद्धि जरूरी और प्लास्टिक प्रयोग, भोजन बर्बादी पर अंकुश भी

दाउदनगर (औरंगाबाद)-विशेष प्रतिनिधि। इस बार बारिश के मौसम के आरंभ होने के बाद बिहार के औरंगाबाद जिले के दाउदनगर अनुमंडल के विभिन्न क्षेत्रों में पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधरोपण के कार्य अनेक शैक्षणिक संस्थाओं द्वारा अग्रणी भूमिका के साथ किए गए।

विवकानंद मिशन स्कूल के लिए तो जुलाई का पूरा महीना आत्मोदय अभियान के रूप में पूरी सक्रियता और व्यापकता के साथ सामाजिक चेतना संयोजन-विस्तार के रूप में संपन्न हुआ। विवेकानंद मिशन स्कूल के विवेकानंद पर्यावरण ब्रिगेड ने दाउनदगर और इसके दूर-दराज के इलाकों तक पौधरोपण की सक्रियता और पर्यावरण रक्षण के संदेश का प्रसारण किया गया।

विवेकानंद पर्यावरण ब्रिगेड ने जगाई प्राकृतिक सुरक्षा की अलख

विवेकानंद मिशन स्कूल की ओर से जुलाई महीने के अंतिम सप्ताह में कलेर प्रखंड में मेंहदिया थाना के पहलेजा गांव में प्राकृतिक सुरक्षा की अलख जगाई गई। स्कूल के प्राचार्य चंद्रशेखर नायक और प्रबंधक सुनीलकुमार सिंह ने विवेकानंद पर्यावरण ब्रिगेड टीम को पर्यावरण रथ पर दाउदनगर से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया और कलेर में प्रखंड विकास पदाधिकारी मनोज कुमार श्रीवास्तव और कलेर ग्राम पंचायत संघ की अध्यक्ष विमला कुमारी ने अपने सहयोगी अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ रथ की आगवानी की। विवेकानंद पर्यावरण ब्रिगेड में श्वेता कुमारी, लोकेश पांडेय, सुदर्शन प्रसाद (तीनों शिक्षक) और आर्या वत्स, अंजलि सिंह (दोनों छात्रा), रंजीत सिंह, पंकज कुमार, अनामय राय, वशिष्ठ कुमार, राहुल कुमार, हर्ष राज (सभी छह छात्र) शामिल थे। विवेकानंद पर्यावरण ब्रिगेड ने पहलेजा मध्य विद्यालय परिसर में वहां की शिक्षिका दीपिका शर्मा, विमला कुमारी के नेतृत्व में स्कूली विद्यार्थियों के साथ, मेंहदिया मठ प्रांगण में आचार्य अजय स्वामी के सहयोग से वहां के सदस्यों के साथ, कलेर थाना परिसर में थानाध्यक्ष आदित्य कुमार के नेतृत्व में थाना के अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ, मेंहदिया थाना परिसर में पुलिस उप निरीक्षक मत्येन्द्र कुमार के नेतृत्व में और कलेर ग्राम पंचायत संघ की अध्यक्ष विमला कुमारी के नेतृत्व में फलदार पेड़ों के पौधों का रोपण किया।

पृथ्वी पर  प्राकृतिक संसाधन अब अत्यंत सीमित
आत्मोदय अभियान के प्रवर्तक और विवेकानंद मिशन स्कूल के संस्थापक निदेशक डा. शंभशरण सिंह ने इस मौके पर कहा कि दुर्भाग्य से हम आज पृथ्वी पर जीवन के कालखंड के उस चरण में हैं, जिसमें हमारी निरंतर बढ़ती आबादी और पर्यावरण परिवर्तन के कारण घटता हुआ प्राकृतिक संसाधन अब अत्यंत सीमित हो चुका है। पानी, हवा, खनिज, जंगल आदि हमारे और सभी जीव-जंतुओं के जीवन व जीवन के लिए उपयोगी चीजों के लिए जरूरी हिस्से रहे हैं। हजारों सालों से सबका एक पर्यावरण संतुलन बना रहा है, जो पिछली सदी से गड़बड़ हो चुका है। भोजन की बर्बादी और पर्यावरण को बेहद नुकसान पहुंचाने वाली प्लास्टिक जैसी चीज पर कठोरता से अंकुश के साथ हर जगह हरियाली में अधिक-से-अधिक वृद्धि ही एकमात्र सुरक्षित रास्ता बचा रह गया है, जिसके लिए समाज को सतत प्रयत्नशील रहना होगा।

बीएड कालेज में पौधरोपण के साथ पर्यावरण जागरुकता समारोह का आयोजन

बिहार राज्य के औरंगाबाद जिले के दाउदनगर अनुमंडल की दूसरी अग्रणी शिक्षण संस्था भगवान प्रसाद शिवनाथ प्रसाद बीएड कालेज द्वारा भी जुलाई का पूरा महीने में व्यापक पौधरोपण किया गया। राष्ट्रीय-सामाजिक दायित्व की भावना के साथ  बीएड कालेज परिसर के सभाकक्ष में पर्यावरण जागरुकता समारोह का आयोजन वन विभाग के सहयोग से किया गया, जिसमें कालेज शिक्षक-शिक्षकेत्तर कर्मियों और छात्र-छात्राओं के साथ शहर के समाजसेवियों ने भी भाग लिया।

पौधरोपण में कालेज के सचिव डा. प्रकाश चंद्र, कालेज के प्राचार्य डा. अजय कुमार सिंह, औरंगाबाद वन क्षेत्र के फारेस्टरों शंभूशरण दुबे (औरंगाबाद), सत्यनारायण लाल (दाउदनगर), रामसुरेश सिंह (बारून) व विफन विश्वकर्मा (देव) के साथ कालेज के छात्र-छात्राओं ने अग्रणी भूमिका का निर्वाह किया।

(रिपोर्ट व तस्वीरें : निशांत राज और विवेकानंद मिशन स्कूल)

 

 

हसपुरा में दलित चेतना और प्रेमचन्द ” विषय पर सेमिनार

हसपुरा (औरंगाबाद)-सोनमाटी संवाददाता। आईटीआई हसपुरा के सभागार में प्रेमचन्द की 138 वीं जयन्ती के पर ” दलित चेतना और प्रेमचन्द ” विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया. जिसकी अध्यक्षता पूर्व प्रमुख आरिफ रिजवी, जलेस के जिला सचिव प्रो. अलखदेव प्रसाद ‘अचल’ तथा पूर्व उप प्रमुख अनिल आर्य के अध्यक्ष मंडल ने की। संचालन पत्रकार शंभूशरण सत्यार्थी ने किया। प्रेमचन्द के तैल चित्र पर माल्यार्पण किया गया।
सेमिनार का विषय-प्रवेश करते हुए प्रो. अचल ने कहा कि प्रेमचन्द हिन्दी साहित्य के एकमात्र साहित्यकार थे, जिन्होंने गैर दलित होते हुए भी गोदान, सद्गति, दूध का दाम, कफन, ठाकुर का कुआँ जैसी रचनाओं के माध्यम से सामंती, ऊँच-नीच, छुआछूत जैसी व्यवस्था के खिलाफ स्वर प्रदान किया, जो उनकी लेखनी का चमत्कार है। अस्सी वर्ष पूर्व प्रेमचन्द ने दलितों में चेतना जगायी थी, वह आज भी प्रेरक है।

मुख्य वक्ता सत्येन्द्र कुमार ने कहा कि प्रेमचन्द की कहानी सद्गति में लकड़ी की जड़ फड़वाना एक प्रतीक है, जिसके माध्यम से प्रेमचन्द यह संदेश देना चाहते थे इस व्यवस्था को तोड़ना इतना आसान नहीं है। इसके लिए लगातार हमला करना होगा।

आरिफ रिजवी ने कहा कि दलितों पर हमले किये जा रहे हैं, आज प्रेमचन्द की रचनाओं से प्रेरणा लेने की जरुरत है। सेमिनार में महावीर सिंह शिक्षक, चन्द्रशेखर सिंह, डा. राजेश विचारक, विजय सिंह सैनी, अभय कु. पिंटु कामाख्या नारायण सिंह, अरविंद कु. वर्मा, रवीन्द्र यादव, समुन्दर सिंह ने भी अपने विचार रखे। धन्यवाद ज्ञापन डा. सत्यदेव सिंह ने किया।

(रिपोर्ट व तस्वीर : शंभूशरण सत्यार्थी)

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