असम्भव में संभव की तलाश ही शिष्य की श्रेष्ठता : शेखर सेन

डा. चित्रा शर्मा की कत्थक गुरुओं पर आधारित पुस्तक (गुरु मुख से) का दिल्ली में लोकार्पण

नयी दिल्ली (विशेष संवाददाता)। जो असम्भव लगता हो, उसे संभव करने का तरीका तलाशना ही एक अच्छे और दक्ष शिष्य की विशेषता है। जिस तरह तीर को दूर तक फेंकने के लिए धनुष की प्रत्यंचा को उतना ही पीछे खिंचा हुआ होना चाहिए, उसी तरह नृत्य कला में अपने गुरु और गुरु के गुरु और कार्यों को जानना ही एक कलाकार को कला-मार्ग पर आगे ले जाता है। कलाकार जितना ही अतीत का अन्वेषण करेगा और भविष्य के लिए परिमार्जन करेगा, वह उतना ही आगे जाएगा। यह उद्गार कत्थक केंद्र के अध्यक्ष एवं प्रख्यात रंगकर्मी शेखर सेन ने दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित कत्थक केंद्र परिसर में 10 अप्रैल को  डा. चित्रा शर्मा की पुस्तक (गुरु मुख से) के लोकार्पण समारोह में व्यक्त किया।
समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए शेखर सेन ने नृत्य कला की गूढ़ता पर संक्षिप्त प्रकाश डाला। पुस्तक लोकार्पण समारोह में प्रख्यात कत्थक गुरु सुश्री शोभना नारायण, कत्थक गुरु राजेन्द्र गंगानी, कत्थक पंडित जयकिशनजी महाराज और लब्ध-प्रतिष्ठ साहित्यकार लीलाधर मंडलोई विशेष अतिथि थे।

उपयोगी और शोधपरक पुस्तक की है आवश्यकता
लीलाधर मंडलोई ने अपने संबोधन में कहा कि कत्थक के संगतकारों से संबंधित इसी तरह की उपयोगी और शोधपरक पुस्तक की आवश्यकता है, जिसका अभाव रहा है। जबकि राजेंद्र गंगानी ने यह कहा कि उनके गुरु कहते थे कि कुछ लिखकर याद करने से ज्यादा अच्छा है कि जो कुछ याद करो वह लगन और दिल से, तो कभी नहीं भूलोगे। उन्होंने यह कहा कि कत्थक को वीडियो या स्काइप के जरिये नहीं सीखा जा सकता। यह तो इस कला के गुरु के सामने ही आत्मीय अभ्यास से सीखी जा सकती है।
सुश्री शोभना नारायण ने कत्थक के शास्त्रीय पक्ष पर केन्द्र्रित अपने संबोधन में कत्थक में आ रहे परिवर्तन की जानकारी रखते हुए कत्थक की मौलिकता की रक्षा किए जान पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि कत्थक में गत पांच दशकों में कई प्रयोग हुए हैं। कत्थक को प्रस्तुत करने के ढंग और उसकी सर्जना की चमक भले ही अलग तरह की हो गयी हो, लेकिन उसकी मूल आत्मा नहीं बदली जा सकी है। उन्होंने प्रकाशित पुस्तक (गुरु मुख से) पर अपनी टिप्पणी में यह कहा कि इस तरह की पुस्तक यह बताती और प्रमाण देती हैं कि गुरु पहले किस तरह सीखते थे और आज कैसे? हमें कलाकारों की हर पीढ़ी को और उनके हर प्रयोग को सम्मान देना चाहिए। पंडित जयकिशन महाराज ने अपने संबोधिन में कहा की गुरु असल में अपने शिष्य के चरित्र को बदलता है और कला-चरित्र में ढालता है, ताकि वह कला को भलीभांति सीख सके।

कत्थक के 17 स्थापित घरानों के 17 गुरुओं के साक्षात्कार
लोकार्पण कार्यक्रम का संचालन प्रांजल धर ने किया। आरंभ में पुस्तक गुरु मुख से की लेखिका डा. चित्रा शर्मा ने अतिथियों के स्वागत संबोधन में कहा कि कत्थक उनके लिए इबादत है और गुरु का स्थान उनके लिए ईश्वर का है। आज भी कत्थक का जो सम्मान है, उसका जो कलात्मक अस्तित्व बरकरार है और उसकी शास्त्रीय जीवंतता बनी हुई है, उसके पीछे गुरुओं की साधना की परंपरा ही है। डा. चित्रा शर्मा ने बताया कि उनकी इस पुस्तक में कत्थक के 17 स्थापित घरानों के 17 गुरुओं के विभिन्न कोणों से साक्षात्कार प्रस्तुत किए गए हैं।

 

कफन द लास्ट वील : अन्तराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में

हसपुरा, औरंगाबाद (बिहार)-सोनमाटी समाचार। दरभंगा (बिहार) में पांचवें दरभंगा अंतराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल-2018 में धर्मवीर फिल्म एंड टीवी प्रोडक्शन द्वारा निर्मित डॉक्यूमेंट्री फिल्म कफन द लास्ट वील का चयन किया गया है। दरभंगा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के डायरेक्टर मेराज सिद्दकी ने चयनित फिल्मों कीलिस्ट जारी करते हुए बताया है कि फेस्टिवल में 88 देशों के फिल्मकारों की 182 फिल्मों का चयन किया गया है, जिन्हें दरभंगा के नरगौना प्लेस स्थित सिल्वरजुबली आडिटोरियम में 20, 21 व 22 अप्रैल को दर्शकों के लिए प्रदर्शित (बतौर स्क्रीनिंग) भी किया जाएगा और चुनिंदा फिल्मों को पुरस्कृत भी किया जाएगा।
कफन द लास्ट वील के लेखक, शोधकर्ता और डायरेक्टर धर्मवीर भारती ने बताया कि इस डाक्युमेंट्री फिल्म में मगध क्षेत्र (गया) के बेहाल कफन बुनकरों के रोज़मर्रे के जीवन संघर्ष की कहानी है। बुनकरों के कई श्रेणियों में कच्चा सूत और माड़ी से कफन निर्माण करने वाले बुनकरों की स्थिति बदतर है। पूरा परिवार कफन का कपड़ा बनाता है और मुख्य श्मसान घाट पर की दुकानों से लाश जलाने के लिए इनके कफन बिकते हैं, तब इनके यहां चूल्हा जलता है। इस फिल्म में कैमरामैन का कार्य रणवीर कुमार ने और फिल्म का संपादन पप्पू के. प्रकाश व संकेत सिंह ने किया है।
धर्मवीर फिल्म एंड टीवी प्रोडक्शन की प्रबंध निदेशक रसना वर्मा डाली के अनुसार, यह फिल्म धर्मवीर फिल्म एंड टीवी प्रोडक्शन का तीसरा प्रोडक्शन है। फिल्म की कथानक ईस्ट इंडिया कंपनी के कपड़ा कारोबार के बाजार विस्तार और मगध क्षेत्र के बुनकर की प्रतिस्पर्धी पर आधारित है। ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपनी व्यापार नीति से मगध के बुनकरों की रीढ़ तोड़ दी। तब मगध के बुनकरों ने अपने और अपने परिवार की जीविका के लिए हैंडलूम पर कच्चे सूतों का ताना-बाना बनाकर कफन निर्माण शुरू किया। दो सौ सालों के जद्दोजहद में कफन बुनकर औरंगाबाद, दाउदनगर, जहानाबाद, नवादा से सिमटकर गया के एक कोने (मानपुर) में बस गए हैं। अब बाजार में आए में प्लास्टिक मिश्रित कफन के कपड़े ने इनके धंधे को और चौपट कर दिया है।

 

कस्तूरबा गांधी की जयंती पर गीत की प्रस्तुति

हसपुरा ( औरंगाबाद )-सोनमाटी समाचार। कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय के प्रागंण में कस्तूरबा गांधी की 149 वीं जयंती कार्यक्रम की अध्यक्षता वार्डेन सह शिक्षिका पिंकी कुमारी व संचालन हाईस्कूल हसपुरा के शिक्षक अमरेन्द्र कुमार राय ने किया। कार्यक्रम की शुरूआत कस्तूरबा गांधी के चित्र पर मालार्पण से किया गया।

थानाध्यक्ष अरूण कुमार ने कहा, भारत में कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय प्रखंड स्तर पर है। विद्यालय गरीब घर की बेटियों के लिए वरदान साबित हो रहा है। बेटियां सरकारी खर्च पर इस विद्यालय मे पढ रही हैं। बीईओ अखिलेश कुमार, डीडीओ सह विद्यालय के संचालक जितेन्द्र कुमार पंकज, एनआरडीओ के निदेशक शंभुशरण ने कहा, समाज के वर्ग की बेटियां पढने में बेटों से आगे है। इनके अंदर पढने की ललक है।
विद्यालय की छात्रा ने पढना है मुझे पढना है बढना है मुझे बढना है गीत की प्रस्तुति से भावविभोर कर दिया। अंत में आठवां में उतीर्ण छात्राओं को परित्याग-पत्र, स्कूल बैग, पासबुक पाठ्य पुस्तक देकर विदाई दी गई।

कार्यक्रम मे हसपुरा हाईस्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक रमेश उपाध्याय, एएसआई महेश कुमार मांशारदा, आईटीआई के सुनील सिंह, रालोसपा के प्रखंड अध्यक्ष विनोद कुमार सिन्हा,  श्री कान्त वर्मा, नंदकिशोर सिंह, रामकृपाल सिंह ।

  • Related Posts

    पत्रकार उपेंद्र कश्यप को मिला डाक्टरेट की मानद उपाधि

    दाउदनगर (औरंगाबाद) कार्यालय प्रतिनिधि। फोर्थ व्यूज व दैनिक जागरण के पत्रकार उपेंद्र कश्यप को ज्वलंत और सामाजिक मुद्दों पर रिपोर्टिंग करने, सोन का शोक, आफत में बेजुबान, सड़क सुरक्षा और…

    20 अक्टूबर को होगी सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता

    दाउदनगर (औरंगाबाद ) कार्यालय प्रतिनिधि। महर्षि दयानंद सरस्वती पुस्तकालय में मेसो कोषाध्यक्ष गोस्वामी राघवेंद्र नाथ की अध्यक्षता में एक आम सभा आयोजित की गई। बताया गया कि महर्षि दयानंद सरस्वती…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

    You Missed

    खेतीबाड़ी कृषि–क्लिनिक योजना अंतर्गत चयनित प्रशिक्षुओं को कृषि संबंधीत दी गई जानकारी

    खेतीबाड़ी कृषि–क्लिनिक योजना अंतर्गत चयनित  प्रशिक्षुओं को कृषि संबंधीत दी  गई जानकारी

    परिश्रम ही सफलता की कुंजी है : डॉ. महापात्र

    परिश्रम ही सफलता की कुंजी है : डॉ. महापात्र

    पटना जीपीओ की स्थापना के 107 वर्ष पूर्ण होने पर जारी हुआ स्टाम्प

    पटना जीपीओ की स्थापना के 107 वर्ष पूर्ण होने पर जारी हुआ स्टाम्प

    सोनपुर मेला में एक महीने तक चलने वाले “फोटो प्रदर्शनी सह जागरुकता अभियान” का हुआ शुभारंभ

    सोनपुर मेला में एक महीने तक चलने वाले “फोटो प्रदर्शनी सह जागरुकता अभियान” का हुआ शुभारंभ

    कार्यालय और सामाजिक जीवन में तालमेल जरूरी : महालेखाकार

    व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा में हुई थी आभूषण कारोबारी सूरज की हत्या

    व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा में हुई थी आभूषण कारोबारी सूरज की हत्या