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क्या देश के काम आएगी एक फीसदी अमीरों की संपत्ति?
(कृष्ण किसलय, समूह संपादक, सोनमाटी)
एक तरफ कोरोना संक्रमितों की संख्या भारत में लगातार बढ़ती जा रही है, तो दूसरी तरफ लाकडाउन को जारी रखने की स्थिति महामारी के खतरे से ज्यादा खतरनाक होती जा रही है। करोड़ों की संख्या में बेरोजगारी में इजाफ हुआ है। रोजगार के अभाव और विस्थापन के कारण श्रमिक तो बदहाल-फटेहाल हो ही चुके हैं, बहुत बड़ी संख्या उनकी है जो श्रमिक जैसी ही आर्थिक स्थिति में हैं, मगर उनकी ओर देश, समाज का ध्यान नहीं है। अनुमान है कि 10 करोड़ ऐसे लोग हैं, जिनके पास राशनकार्ड नहीं है और रोजगारहीनता की स्थिति में बीपीएल के एकदम निकट हैं। इन्हें भी मदद की जरूरत है। यह संतोष की बात है कि समाज का बड़ा तबका श्रमिक वर्ग की मदद में तत्पर दिख भी रहा है। मगर यह बाढ़ में तिनके का सहारा जैसा है। देश के एक फीसदी आबादी उन शीर्ष अमीरों की है, जिनके पास 300 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति है। कारोबार संचालन में मुनाफा का दो फीसदी हिस्सा सामाजिक उत्तरदायित्व के रूप में खर्च करने का सैद्धांतिक प्रावधान है। हालांकि पूरी संपत्ति मुनाफा नहीं है, मगर यह भी सच है कि संपत्ति मुनाफे से ही खड़ी की गई है। देश के संविधान में अमीर-गरीब सबके लिए आर्थिक आजादी है और सबकी आर्थिक सुरक्षा का दायित्व सरकार की है। तब क्या 300 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति का दो फीसदी इस राष्ट्रीय संकट के समय में सदुपयोग हो सकता है? दिल्ली में इतिहासकार रामचंद्र गुहा, राजमोहन गांधी, अभिजीत सेन, योगेंद्र यादव जैसे देश के अग्रणी बुद्धिजीवियों ने कहा भी है कि देश के संसाधनों जैसे नकदी, रियल एस्टेट, संपत्ति, बांड आदि इस संकट के दौरान राष्ट्रीय संसाधन माना जाना चाहिए। क्या इस दिशा में भूदान आंदोलन जैसा सर्वानुमति बनाकर कोई साहसिक कदम उठाने का कार्य सरकार करेगी? देश के इन बुद्धिजीवियों ने यह भी कहा है कि केद्र द्वारा जुटाए गए राजस्व का आधा हिस्सा राज्यों के साथ साझा किया जाना चाहिए और गैरजरूरी सरकारी खर्च, सब्सिडी को बंद होनी चाहिए। शहरी, ग्रामीण इलाकों में काम की गारंटी बढ़ाई जानी चाहिए और मनरेगा के तहत हर परिवार को साल में 200 दिन काम की गारंटी मिलनी चाहिए।
बहरहाल, देश, समाज के सामने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और कोरोना को शिकस्त देने का दोहरा लक्ष्य है। आर्थिक गतिविधियां शुरू होने के साथ यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि वायरस का प्रसार रोकने के लिए हुए अब तक के प्रयास पर पानी न फिर जाए। 01 जून से 200 यात्री रेलगाडिय़ां रोज चलेंगी। लाकडाउन के बाद से ऐसा पहली बार हो रहा है कि बिना कारण बताए कोई अपनी मर्जी से कहीं का टिकट ले सकता और मनचाही जगह पर जा सकता है। आईआरसीटीसी, रेलवे स्टेशनों, पोस्ट आफिसों और यात्री सुविधा केंद्रों के जरिये रेल टिकटों की बुकिंग शुरू हो चुकी है। सरकारी तंत्र के साथ आम नागरिक को जिम्मेदारी के साथ ध्यान रखना होगा कि लोगों को बेवजह घर से नहीं निकला चाहिए, अनावश्यक यात्रा नहीं करनी चाहिए और यात्रा के दौरान सुरक्षित शारीरिक दूरी के अनुशासन का पालन होना चाहिए।
–0 कृष्ण किसलय
कोरोन मरीज 2400 के पार, डालमियानगर में भी राहत कार्य
बिहार में 10 मई के बाद से तेजी से बढ़ रहा कोरोना संक्रमण चिंता बढ़ाने वाली बात है। राज्य मेें कोरोन मरीजों का आंकड़ा 2400 की संख्या पार कर चुकी है और 12वीं मौत भी हुई है। अस्पतालों में भर्ती इन कोरोना मरीजों में से करीब 650 ठीक भी हो चुके हैं। रोहतास जिला में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 150 की संख्या पार कर चुका है। पटना से आई ताजा जांच रिपोर्ट में क्वारंटाइन केेंद्रों में रखे गए 31 श्रमिक कोरोना पाजिटिव पाए गए हैं। बाहर से आने वाले प्रवासियों के लिए राज्य के सभी 38 जिलों में 10353 क्वारंटाइन केन्द्र संचालित हो रहे हैं, जिनमें आठ से लाख से अधिक प्रवासी श्रमिक हैं। अनेक क्वारंटाइन केेंद्रों पर मच्छर, गंदगी, शौच आदि की असुविधा के साथ भोजन-पानी की अनियमितता की भी शिकायतें हैं।
आरंभ एक पहल प्रगति की ओर : इधर, डेहरी-आन-सोन में जीटी रोड से गुजर रहे प्रवासी श्रमिकों के बीच सुबह में राहत पैकेट बांटे जाने का सोन कला केेंद्र का कार्यक्रम संरक्षकों की मदद और पदाधिकारियों-सदस्यों की सक्रियता से तीसरे दिन भी जारी रहा। डालमियानगर में रोहतास इंडस्ट्रीज कांप्लेक्स की ओर से समय-समय पर राहत कार्य चलाया जा रहा है। आरंभ एक पहल प्रगति की ओर (संस्था) से भी डालमियानगर में वंचित वर्ग के बीच खाद्य सामग्री बांटी गई। इस संस्था (आरंभ एक पहल प्रगति की ओर) की सचिव नीता सिन्हा और प्रीति सिन्हा के नेतृत्व में यह आयोजन किया गया। प्रीति सिन्हा द्वारा सोनमाटीडाटकाम के व्हाट्सएप पर दी गई सूचना के अनुसार, डा. रागिनी सिन्हा, डा. उदय कुमार सिन्हा, राजीवरंजन सिन्हा आदि के विशेष आर्थिक मदद से संस्था की अरुणा दुबे, अर्चना मिश्रा, पूजा मिश्रा, सोनी सिन्हा, छोटी सिन्हा और अन्य सदस्यों के सहयोग से कार्यक्रम संपन्न हुआ।
(रिपोर्ट, तस्वीर : निशांत राज)
ये सब ड्रामा एवम् पब्लिसिटी स्टंट है. पूछिए अनलोगो से जिसे आप सहयोग के नाम पर महिमा मंडित कर रहे हैं क्या उन्होंने अपने कर्मचारियों को कोरोना अवधि का पारिश्रमिक का भुगतान किया है.