सासाराम (रोहतास)-सोनमाटी संवाददाता। वोट इज योर व्यायस, नाट फार सेल। 19 मई को होने वाले लोकसभा चुनाव के आलोक में इस नारा को संतपाल स्कूल के बच्चों ने कल्पना के पंख लगाकर नई उड़ान दी और उसे सासाराम अनुमंडल के एसडीएम कार्यालय कक्ष की दीवार पर अपनी तूलिकाओं के रंग भरकर चित्ताकर्षक चित्र के रूप में प्रतिबिंबित किया। सदर एसडीओ राज कुमार गुप्ता ने चित्र बनाने वाले संतपाल स्कूल के विद्यार्थियों कृतिका सुहानी, विश्वजीत कुमार पटेल ध्रुव (वर्ग आठ) और सामथ्र्य राज, वैभव कुमार (वर्ग नौ) के दल को पुरस्कृत करने की घोषणा की है। यह नारा संतपाल स्कूल के चेयरमैन डा एसपी वर्मा ने स्कूल के बच्चों को देते हुए कहा कि वोट ब्रिकी के लिए नहीं होता बल्कि वह जनता की आत्मा की आवाज होता है। ब्रिकी का रूप भौतिक या मुद्रागत ही नहींहोता, बल्कि भावनात्मक भी होता है। उन्होंने लोकसभा चुनाव में मतदान में अधिकाधिक भागीदारी की अपील मतदाताओं से की है।
छुट्टी के प्रशासनिक आदेश पर प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन सहमत
सासाराम (रोहतास)-सोनमाटी संवाददाता। जिलाधिकारी के आदेश के आलोक में निजी विद्यालयों में भी बढ़ती गर्मी के मद्देनजर ग्रीष्मकालीन अवकाश होने को लेकर प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन ने आपातकालीन बैठक बुलाकर अपनी सहमति जाहिर की। एसोसिएशन के प्रदेश महामंत्री डाक्टर एसपी वर्मा ने बैठक में सभी निजी विद्यालयों में 13 मई से 12 जून तक ग्रीष्म अवकाश की घोषणा की। बैठक में प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष रोहित वर्मा, जिला उपाध्यक्ष सुभाष कुमार कुशवाहा, महामंत्री समरेंद्र कुमार समीर, सुनील कुमार, जिला संयोजक धीरेंद्र कुमार, कोषाध्यक्ष कुमार विकास प्रकाश, सचिव संग्राम कांत आदि जिलास्तरीय पदाधिकारियों के साथ प्रखंडों के पदाधिकारी भी मौजूद थे।
(रिपोर्ट, तस्वीर : अर्जुन कुमार)
नियोजित शिक्षकों के लिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला दुखद
दाउदनगर (औरंगाबाद)-सोनमाटी संवाददाता। बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ (गोप गुट) की औरंगाबाद जिला कमेटी के सचिव सत्येन्द्र कुमार ने नियोजित शिक्षकों के लिए समान काम, समान वेतन पर सुप्रीम कोर्ट के सहमत नहींहोने वाले फैसले को दुखद बताया है। सत्येंद्र कुमार ने कहा है कि महासंघ (गोप गुट) नियोजित शिक्षकों के साथ खड़ा रहेगा और आगे भी उनके संघर्ष का सहभागी बना रहेगा।
सत्येंद्र कुमार ने शिक्षकों को कोर्ट-कचहरी का चक्कर छोड़कर आगे के संघर्ष के लिए कमर कसने का आह्वान किया और बताया कि इतिहास गवाह, बिहार के शिक्षक कर्मचारियों को आज तक जो कुछ हासिल हुआ, वह संगठन की ताकत के बल पर हासिल हुआ है। शिक्षक संगठन आपसी प्रतिद्वंद्विता का परित्याग कर, वर्ग, जाति का भेदभाव भूलकर व्यापक शिक्षक हित में एक मंच पर आएं। राज्य सरकार पर कारगर दबाव बन सके।