चुनौती : कठोर साधना है पत्रकारिता / देहरादून में व्यावहारिक और डेहरी-आन-सोन में सैद्धांतिक चर्चा

आग्रहग्रस्त नहीं होना, पूर्वाग्रह मुक्त रहना बेहद कठिन : मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत

देहरादून/पटना-विशेष प्रतिनिधि। अपने समय और समाज के दबाव-प्रभाव में आग्रहग्रस्त नहीं होना और पूर्वाग्रह मुक्त रहना बेहद कठिन कार्य है, कठोर साधना है। इस दृष्टि से देखें तो पत्रकारिता बहुत ही दुष्कर मार्ग है, जहां तथ्यों के साथ निष्पक्षता, निर्भीकता और संतुलन का सामंजस्य बनाए रखना अपरिहार्य शर्त होती है। सोशल मीडिया के दौर में पत्रकारिता के सामने एक नई तरह की चुनौती भी दरपेश हो चुकी है, जो आने वाले समय में पारंपरिक पत्रकारिता और मीडिया की मौजूद काया को बदल देने वाली है। यह विचार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किया। कार्यक्रम चाणक्य मंत्र की ओर से संयोजित किया गया था।

मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि संतोष की बात है, चाणक्य मंत्र ने बिना अंतराल नियमित प्रकाशन का अपना एक वर्ष सफलता के साथ पूरा कर लिया है। एक साल पहले इसी स्थान (मुख्यमंत्री आवास) पर इस पत्रिका के प्रथम अंक का विमोचन हुआ था। चाणक्य मंत्र अपने कलेवर में अन्य राज्यों की स्थिति-गतिविधि की भी जानकारी दे रही है। यह पत्रिका अपनी नीति-रीति के अंतर्गत पूर्वाग्रह ग्रस्त नहीं है। पत्रिका की निष्पक्षता भरसक कायम रहे, यही कामना है।
उत्तराखंड के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं देहरादून के विधायक हरबंस कपूर ने कहा कि पत्रकारिता बेहद कठिन काम है। मेरी शुभेच्छा है कि अपनी टीम के साथ अपने निर्धारित कलेवर में चाणक्य मंत्र का लक्ष्य अपनी मंजिल तक पहुंचे और इसकी पहुंच उत्तरोत्तर जन-जन तक हो।

कार्यक्रम का संयोजन देहरादून (दिल्ली कार्यालय) से मुद्रित-प्रकाशित समय-सत्ता-संघर्ष का प्रतिनिधित्व करने वाली हिन्दी पाक्षिक पत्रिका चाणक्य मंत्र के एक वर्ष पूरा होने के अवसर पर किया गया था। कार्यक्रम में उत्तराखंड सरकार के सूचना आयुक्य जेपी ममगांई, चाणक्य मंत्र के समूह संपादक रणविजय सिंह (पूर्व समूह संपादक राष्ट्रीय सहारा), प्रधान संपादक धर्मपाल धनखड़, देहरादून के वरिष्ठ पत्रकार अमरनाथ सिंह, देहरादून, दिल्ली के संपादकीय, प्रसार, विज्ञापन विभागों के सदस्य ममता सिंह, वीरेंद्र कोरंगा, पल्लवी सिंह आदि, दिल्ली से सुशील कुुमार सिंह, झारखंड से रजत गुप्ता (संपादक, राष्ट्रीय खबर), बिहार से कृष्ण किसलय (समूह संपादक, सोनमाटी मीडिया समूह), निशांतकुमार राज (प्रबंध संपादक, सोनमाटीडाटकाम) और उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, अन्य राज्य के प्रतिनिधि लेखक-पत्रकार शामिल हुए।

(रिपोर्ट : कृष्ण किसलय/निशांतकुमार राज देहरादून से लौटकर, तस्वीर : चाणक्य मंत्र)

 

 

आम और खास से एक साथ है मीडिया का रिश्ता : प्रो. उपाध्याय

डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-कार्यालय प्रतिनिधि। पत्रकारिता का वास्ता आम आदमी से लेकर सत्ता शीर्ष से जुड़े और समाज के अन्य क्षेत्र के खास लोगों तक है। किसी भी देश के लोग पत्रकारों और मीडिया पर भरोसा करते और मीडिया से प्राप्त जानकारी, विचार के आधार पर अपनी राय कायम करते रहे हैं। इस लिहाज से मीडिया की जरूरत और विश्वसनीयता बनी हुई है। प्रिंट मीडिया और अन्य जनसंचार माध्यम समाचारों-विचारों और पत्रकारिता के जरिये सूचना-प्रसार के साथ संविधान, कानून के दायरे में कार्य करते हुए देश की संप्रभुता को बरकरार रखने के साथ साहित्यिक संपदा की समृद्धि और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण का भी वैचारिक कार्य अपनी सीमा-पद्धति में करते हैं। यह बात काशी विद्यापीठ (वाराणसी, उत्तर प्रदेश) के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष अनिलकुमार उपाध्याय, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग के प्रो. अनुराग दवे और अन्य वक्ताओं ने कही।
जमुहार ( रोहतास, बिहार) स्थित गोपालनारायण सिंह विश्वविद्यालय (जीएनएसयू) में विभिन्न कालेजों-संस्थानों के नए सत्र के लिए एक सप्ताह तक ओरिएंटेशन व्याख्यान श्रृंखला चलाई गई, जिसमें अपने-अपने क्षेत्र के कई विद्वानों-विशेषज्ञों ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में जीएनएसयू के कुलपति डा. एमएल वर्मा, सचिव गोविन्दनारायण सिंह, प्रबंध निदेशक त्रिविक्रमनारायण सिंह शामिल रहे। इस कार्यक्रम के तहत विद्यर्थियों ने समूह विमर्श में विशेषज्ञों के साथ हिस्सा लिया। कार्यक्रम संयोजन में जीएनएसयू के प्रबंधन संस्थान के डीन डा. आलोक कुमार, आईटी विभाग के अध्यक्ष अभिषेक श्रीवास्तव और अन्य वरिष्ठ सदस्यों में सक्रिय योगदान किया।
(रिपोर्ट, तस्वीर : भूपेंद्रनारायण सिंह, पीआरओ, जीएनएसयू)

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