डालमियानगर (रोहतास)/दाउदनगर (औरंगाबाद)-सोनमाटी टीम। सोन नद के पश्चिम तट पर बसे रोहतास जिले के डालमियानगर में बच्चों में होने वाली बीमारी से तो सोन नद के पूरब तट पर बसे औरंगाबाद जिले के दाउदनगर में मिट्टी के मर्ज से लडऩे की तैयारी की गई।
चिकित्सकों ने बताए खसरा-रूबैला के लक्षण, शिक्षकों को दिए गए सूचनादाता होने के निर्देश
डालमियानगर से कार्यालय संवाददाता के अनुसार, स्वास्थ्य विभाग की ओर से बच्चों में होने वाली खसरा-रूबैला की बीमारी, संक्रमण से बचाव के लिए डिहरी प्रखंड के प्राथमिक, मध्य और उच्च विद्यालयों के शिक्षकों को टीकाकरण अभियान से संंबंधित प्रशिक्षण दिया गया। इस प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन डालमियानगर स्थित बीआरसी परिसर में किया गया, जिसमें डिहरी प्रखंड के प्राथमिक, मध्य तथा उच्च विद्यालयों के शिक्षक प्रतिनिधियों, प्रधानाध्यापकों को बच्चों में होने वाली खसरा-रूबैला की बीमारी के लक्षण, संक्रमण की रोकथाम तथा प्राथमिक उपचार की जानकारी दी गई। स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर अनुज कुमार चौधरी ने बताया कि खसरा-रूबैल्ला खतरनाक वायरस है, जो 15 साल तक के बच्चों को संक्रमित करता है। टीकाकरण अभियान में एक साल से 15 साल तक के सभी बच्चों को खसरा-रूबैला निषेध का इंजेक्शन दिया जाएगा। कहा इस वायरस संक्रमण के लक्षण का संंदेह होने पर तत्काल ममता-आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी, स्वास्थ्य उपकेंद्र के देना चाहिए, ताकि समय रहते इस जानलेवा बीमारी से रक्षा की जा सके। कार्यशाला की अध्यक्षता बीइओ कामेश्वर प्रसाद ने की। स्वास्थ्य विभाग की टीम में डॉक्टर निर्मला कुमारी, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रबंधक गणेश प्रसाद, प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक मोहम्मद गुलाम अंसारी, विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानीटर रंजीत कुमार, एसएमसी असगर इकबाल आप और प्राथमिक शिक्षक संघ रोहतास जिला के प्रधान सचिव अखिलेश्वर प्रसाद, बीआरपी अरविंद कुमार नंदकिशोर प्रसाद आदि शामिल थें।
(रिपोर्ट-तस्वीर : प्रमोद कुमार अरुण)
जैविक खेती, मृदा पोषक तत्वों की दी जानकारी और किया गया मृदा कार्ड का वितरण
दाउदनगर से सोनमाटी संवाददाता के अनुसार, विश्व मृदा दिवस पर कृषि विभाग की ओर से अनुमंडल परिसर के किसान भवन में मृदा कार्ड वितरण शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें प्रखंड कृषि पदाधिकारी अनिल कुमार, पूर्व प्रखंड आत्मा अध्यक्ष योगेंद्र सिंह, कृषि समन्वयक डॉ संजय कुमार, धर्मेंद्र कुमार, शैलेंद्र कुमार विरल ने मिट्टी की गुणवत्ता नष्ट होने के कारणों और उसे स्वस्था बनाने के उपाय बताए। प्रखंड कृषि पदाधिकारी अनिल कुमार ने बताया कि जैवीक खादों के प्रयोग से मृदा की जैविक ताकत बढती है और लाभकारी जीवाणुओं में वृद्धि होने से मृदा उपजाऊ बन जाती है। कृषि समन्यवक डा. संजय कुमार ने बताया कि सघन फसल उत्पादन से मिट्टी में पोषक तत्व कम होते जाते है। मिट्टी के जांच से पता लगाया जाता है कि उसमें किसी चीज की कमी हो गई है? जिंक सल्फर, की कमी होने से पौधों की पत्तियां पीली पड़ती है और बोरान तत्व की कमी से फूल झड़ता है, जिससे फलियां आरंभ में ही गिरने लगता है। आम, अमरूद, टमाटर, गोभी, बैगन, छोटा होता है, फल फटने लगता है। कृषि समन्यवक शैलेंद्र कुमार विरल ने खेत से मिट्टी का नमूना लेने का तरीका बताया तथा पौधों के अवशेष को खेत में नहीं जलाने को कहा, क्योंकि इससे खेत में तथा मिट्टी में जलधारण की क्षमता बढ़ती है। कृषि समन्यवक धर्मेंद्र कुमार ने सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से होने वाले दुष्प्रभाव की जानकारी दी। पोषक तत्वों की कमी से खैरा रोग की आशंका रहती है। पोटाश की कमी से दाना पुष्ट और चमकदार नहीं हो पाता है। शिविर में दाउदनगर के भाजपा ग्रामीण मंडल अध्यक्ष सुरेंद्र यादव ने मृदा कार्ड का वितरण किया।