सोन कला केेंद्र परिसर में याद की गईं साहित्य-कला की दो विश्व हस्तियां
डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-विशेष प्रतिनिधि। सांस्कृतिक सर्जना की संवाहक संस्था सोन कला केेंद्र की ओर से स्टेशन रोड स्थित शंकर लाज में दयानिधि श्रीवास्तव की अध्यक्षता में संयोजित संक्षिप्त खुले कार्यक्रम में साहित्य और कला की दो विश्व हस्तियां याद की गई। 31 जुलाई स्वरसम्राट मोहम्मद रफी की पुण्यतिथि थी तो कथासम्राट मुंशी प्रेमचंद की जन्मतिथि। एक शाम रफी के नाम कार्यक्रम मेें शहर के प्रतिनिधि गायक राकेश सिन्हा राजू ने मोहम्मद रफी के स्वर, गायन को अपने अंदाज में प्रस्तुत किया और इनके साथ सफल संगत की शहर की अग्रणी स्वरकोकिला प्रीति राज ने। दोनों की गायकी की जुगलबंदी का सरस संचालन अमूल्य सिन्हा ने किया।
इस मौके पर वरिष्ठ नाटककार-संपादक कृष्ण किसलय ने कहा कि विश्वकथा साहित्य के शीर्ष हिन्दी कथाकार प्रेमचंद की कालजयी कृति गोदान पर बनी फिल्म के गीत (पीपरा के पतवा सरीके डोले मनवा…) को मोहम्मद रफी ने अपनी अमर आवाज दी है। आज इस बात की जानकारी नई पीढ़ी को शायद कम होगी कि मोहम्मद रफी ने 56 साल पहले पहली भोजपुरी फिल्म गंगा मैया तोहे पिअरी चढ़इबो के गीत (सोनवा के पिंजरा में बंद भइल हाय राम…) के साथ भोजपुरी फिल्मों गंगा-जमुना (नैन लड़ जाई त मनवा में कसक होइबे करी…) और बलम परदेसिया (गोरकी पतरकी रे….) में भी अपने जादुई स्वर के रंग भरे हैं। वरिष्ठ भोजपुरी फिल्म निर्देशक-नाटककार चंद्रभूषण मणि ने कहा कि सोनतट का यह शहर सक्रिय कला के मामले में सूखता जा रहा है, जहां पिछली सदी में अंग्रेजी, बंगला, हिन्दी, भोजपुरी के नाटक होते थे। आशा है, कलाकर्मियों की नवगठित संस्था सोन कला केेंद्र कार्यक्रम आयोजन के साथ कलाकार बनाने का भी कार्य करेगा।
आरंभ में नन्हीं अंशु सिन्हा की पुष्पांजलि के बाद संस्था के सदस्यों ने रफी की तस्वीर पर पुष्प-अर्पण किया। प्रेस फोटोग्राफर जयप्रकाश मौर्य योगी ने भी मोहम्मद रफी के स्वर में अपनी गायकी पेश की और विजय विश्वकर्मा ने अनुकूल माहौल पाकर 20 साल बाद अपने स्वर की सार्वजनिक आजमाईश-नुमाईश की। कार्यक्रम के संयोजन में उप सचिव ओमप्रकाश ढनढन, मुकेश सोनी ने सहयोग किया और सिंटू सोनी ने आवाज प्रसारण व्यवस्था (साउंड सिस्टम) संभाला। कार्यक्रम में संस्था के विशिष्ट सदस्य पारसनाथ सिंह, कपिलमुनि पांडेय, प्रो.अरुण शर्मा, उपाध्यक्ष सुनील शरद, प्रभारी सचिव निशान्त कुमार राज, संयुक्त सचिव मनीष कुमार सिंह उज्जैन, नृत्य-अभ्यास संयोजक मनीष सिंह, वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र तिवारी, अनिल कुमार, कलाकार, अतिथि उपस्थित थे। अंत में सोन कला केेंद्र के कार्यकारी अध्यक्ष जीवन प्रकाश ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
(रिपोर्ट, तस्वीर : निशांत निशांतकुमार राज)
सिंगर सितारा खोज के अंतिम चक्र के लिए मोंटी केसरी का चयन
दाउदनगर (औरंगाबाद)-विशेष संवाददाता। सिंगर सितारा खोज 2019 की प्रतियोगिता में दाउदनगर के गायक मोंटी केसरी अंितम चक्र (फाइनल राउंड) के लिए चुने गए हैं। अंतिम चक्र के चयनित गायकों का दो दिनों का रिहर्सल भोजपुरी के सुपर स्टार, गायक मनोज तिवारी के निर्देशन में होगा और दिल्ली के सभागार में प्रस्तुति होगी। एकता मिशन (दिल्ली) द्वारा संयोजित इस प्रतियोगिता में डेढ़ सौ प्रतिभागी शामिल हुए, जिनमें 18 चुने गए। नव ज्योति शिक्षा निकेतन और दाउदनगरडाटइन के मार्गदर्शन में तराशे गए मोंटी केसरी ने इससे पहले हाजीपुर में आयोजित सिंगिंग स्टार आफ बिहार 2019 का खिताब अपने नाम किया है। नवज्योति शिक्षा निकेतन के निदेशक नीरज गुप्ता उर्फ महेश टंडन के अनुसार, मोंटी केसरी श्रमशील हैं और इनसे दाउदनगर को बड़ा सिंगर बनने की अपेक्षा है।
(रिपोर्ट, तस्वीर : उपेंद्र कश्यप)
गीत-कविता में सावन के श्रृंगार-रस के साथ रौद्र रूप का भी वर्णन
पटना (विशेष संवाददाता)। श्रृंगार रस और रौद्र रस का महीना सावन के मौके पर प्रकृति के अभिसार-श्रृंगार के महत्व और प्राकृतिक आपदा से तबाह जिंदगी की चिंता को भी रेखांकित करने वाले गीतों-गजलों की प्रस्तुति श्रावण काव्योत्सव में की गई, जिसका आयोजन भारतीय युवा साहित्यकार परिषद् और रेल स्टेशन राजभाषा कार्यान्वयन समिति के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। काव्योत्सव की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी ने की, संचालन वरिष्ठ कवि-कथाकार सिद्धेश्वर ने और गोष्ठी के अंत में धन्यवाद ज्ञापन मो. नसीम अख्तर ने किया। इस मौके पर भगवती प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि बड़ी गोष्ठी और सम्मेलन में जो बात नहीं होती, इस तरह की छोटी गोष्ठी में पूरी होती और अपना अर्थ पाती है। कुदरत से हम कटते गए, उसका दोहन करते गए, जिस कारण ही सावन हमारे प्रतिकूल होता गया।
भगवती प्रसाद द्विवेदी ने गीत सुनाया- तेरे मंदिर नयन में सावन प्रतिपल रोमानी, इधर रात कटती आंखों में टपक रही छानी ! सिद्धेश्वर ने कविता पढ़ी- घुटने पर सिर रखकर किसी की प्रतीक्षा में बनी विरहिणी अच्छी लगती हो तुम, आंसू की धार नहीं किसी की प्रेम वर्षा में भींगी हुई लगती हो तुम ! विशेष अतिथि वरिष्ठ शायर घनश्याम ने पढ़ा- खूब बरसा है कहर बरसात में, बह गए आबाद घर बरसात में ! गांव-खेत के चेहरे खिले किंतु मुरझाए शहर बरसात में ! वरिष्ठ शायर शुभचंद्र सिन्हा ने कहा- सांझ भये विरह के आंगन में तेरी यादों के जब चरण पड़े, अश्रुओं के नवल पुष्पहार ले दौड़े हाय अभागे नयन भरे। डा. एमके मधु ने गीत पढ़ा- सियासत का सावन आज घनघोर है, जंगल में देखो नाचा मोर है।
सावन गीत के परिचित हस्ताक्षर मधुरेश नारायण ने सुरीले कंठ से पूरे माहौल को सरस बनाने वाला गीत सुनाया- देखो बरसात की आई फुहार, यूं रिमझिम करती आई बहार ! मनोज उपाध्याय ने कहा- सावन के बादल तू आ जा, रिमझिम-रिमझिम वर्षा ला। प्रभात कुमार धवन ने सुनाया- नन्हीं बूंद नहीं डरती तपकर अपने अस्तित्व खोने में।
युवा कवयित्री कुमारी स्मृति ने सस्वर पाठ किया- सावन को पायल में बिछिया में हाथों के कंगना में, मैं ढूंढती हूं…! नवोदित कवि सम्राट समीर ने कहा- मन तरंग है खेल-मेल में, रिश्तों की गुंजन पावन है, भीग गई सपनों की चुनर मेरे आंखों में सावन है। युवा कवि कुंदन आनंद ने सावन का स्वागत किया- तुम आयी हो आनंदित है भूमंडल यह सारा, स्वागत है ऋतुरानी तुम्हारा, प्यासी खग-वृंदों की टोली भटक रही थी सदन-सदन, प्यासे होठ थे सब खेतों के और प्यासा था हर कानन ! अमितेश ने भी कविता पढ़ी- पेड़ों पर झूले, सावन की आई बहार…।
(रिपोर्ट, तस्वीर : सिद्धेश्वर)