नई दिल्ली (विशेष प्रतिनिधि)। गर्मी अपने प्रचंड तेवर में है। आसमान से आग बरस रहा है। राजस्थान का रेगिस्तान तो आग की तरह तप रहा है, जहां तापमान 50 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जाचुका है। भीषण गर्मी से देश के मैदानी इलाके ही नहीं झुलस रहे हैं, बल्कि पर्वतीय इलाके भी तपन की मार झेल रहे हैं। गर्मी के तांडव से परेशान बेहाल लोगों की जुबान पर अब बस यही है कि मानसून जल्दी पहुंचे, ताकि ताप का जलजला खत्म हो। मानसून के केरल के तट पर दस्तक देने का बेसब्री से इंतजार है। शुक्र है कि मौसम विभाग ने औसत समय से तीन दिन पहले 29 मई को ही मानसून के केरल तट पर दस्तक देने का पूर्वानुमान व्यक्त किया है। उम्मीद है कि अगले महीने की शुरुआत (01 जून) से दक्षिण भारत के कई हिस्सों में झमाझम बारिश हो सकती है।
साल-दर-साल ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि
ग्लोबल वार्मिंग में साल-दर-साल वृद्धि हो रही है और कई सालों से अप्रैल-मई के महीने गर्मी के सारे रिकॉर्ड ध्वस्त करते रहे हैं। दुनिया में 1880 से वैश्विक तापमान का रिकॉर्ड रखा जा रहा है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (नासा) ने दुनिया के लगभग सभी देशों के 6300 मौसम विज्ञान केंद्रों के आंकड़ों का विश्लेषण कर बताया है कि पृथ्वी के तापमान में अगले 10 सालों में 1.5 डिग्री सेल्सियस तकवृद्धि हो जाएगी। 2015 में दुनिया के 195 देशों ने पेरिस में हुए जलवायु विश्व सम्मेलन में सामूहिक घोषणा की थी कि धरती का तापमान हर हालत में इस सदी (2100) तक दो डिग्री सेल्सियस से ज्यादा बढऩे नहीं दिया जाएगा। मगर इस दिशा में अभी भी बहुत ठोस कदम नहींउठाए गए हैं।
सौ फीसदी बारिश होने का पूर्वानुमान
मौसम विभाग के मुताबिक, उत्तर भारत को अभी गर्मी झेलनी होगी। जबकि दक्षिण अरब सागर से आने वाले दक्षिण-पश्चिम मानसून के केरल तट पर पहुंचने से 28 मई से झमाझम बारिश हो सकती है। 28 मई के बाद केरल में मॉनसून पूरी तरह सक्रिय हो जाएगा। हिंद महासागर से आने वाला मॉनसून भी अंडमान-निकोबार द्वीप और श्रीलंका में दस्तक दे चुका है, जो बंगाल की खाड़ी की तरफ बढ़ रहा है। हालांकि केरल पहुंचने वाला मानसून ही देश के उत्तरी क्षेत्र में आता है, जिससे दक्षिण के राज्यों सहित राजधानी दिल्ली समेत उत्तर को गर्मी से राहत मिलती है। मौसम विभाग ने 100 फीसदी मॉनसून की भविष्यवाणी की है। 96 से 104 प्रतिशत बारिश होने पर मॉनसून को सामान्य माना जाता है और 90 से 96 प्रतिशत वर्षा सामान्य से कम होती है।
सोन नहरों से बिहार के आठ जिलों में 30 मई से पानी
डेहरी-आन-सोन (बिहार)-विशेष संवाददाता। खरीफ फसल की खेती के लिए सोन नदी के इंद्रपुरी बराज से नहरों में 30 मई से पानी छोड़ा जाएगा, जिसके बराज में पानी का भंडारण 24 मई से ही किया जा रहा है। नहरों की मरम्मत और आधुनिकीकरण के कार्य को 25 मई को ही बंद करने का आदेश दे दिया गया था। सोन नदी की नहरों से सिंचाई कमांड क्षेत्र के आठ जिलों रोहतास, औरंगाबाद, अरवल, गया, भोजपुर, बक्सर, जहानाबाद और पटनामें सोन नहरों से खेतों में पानी की आपूर्ति होती है। सोन नहरों में पानी छोड़े जाने से पेयजल संकट दूर करने में भी मदद मिलेगी, क्योंकि सूखे चापाकलों में भू-जलस्तर बढऩे से पानी आना शुरू हो जाएगा।
जल आयोग ने तय किया जुलाई तक पानी का कोटा
जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता (मॉनीटोरग सेल) अवधेश कुमार सिंह के अनुसार, उत्तर प्रदेश स्थित सोन नदी पर बने रिहंद जलाशय से औसतन 6000 क्यूसेक पानी बराज पर पहुंच रहा है। रोहिणी नक्षत्र में बीज डालने के लिए सोन नहरों में पानी समय पर मुहैया हो सकेगा। अभी बाणसागर (मध्य प्रदेश) या रिहंद जलाशय से अधिक पानी की आवश्यकता नहीं है। जून के उत्तराद्र्ध में रिहंद जलाशय से पानी की मांग की जाएगी। केंद्रीय जल आयोग की संयुक्त समिति की बैठक में जुलाई तक के लिए रिहंद जलाशय से पानी का कोटा निर्धारित कर दिया गया है।
(वेब रिपोर्ट व तस्वीर : उपेन्द्र मिश्र, निशांत राज)