गुप्तवंश के राजाओं की वैभवगाथा बयान करता गढ़वा किला
प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)-सोनमाटी प्रतिनिधि। प्रयागराज जिला के बारा तहसील के विकास खंड शंकरगढ़ में गुप्तकाल के राजाओं की राजधानी रहा गढ़वा किला सैकड़ों सालों से पर्यटकों, इतिहास-संस्कृति के शोधार्थियों और क्षेत्र, राज्य, देश के जिज्ञासुओं के लिए आकर्षण का केेंद्र रहा है। विशाल पत्थरों को तराश कर निर्मित किए गए इस किला की चारों ओर पत्थरों की मजबूत चाहरदीवारी है। इसकी एक दीवार तो अभी भी 300 फुट लंबाई तक सदियों के वक्त का थपेड़ा सहने के बावजूद महफूज बची हुई है। किला परिसर के चारों कोनों पर बुर्ज हैं, जिन पर सीढिय़ों के सहारे चढऩे का रास्ता है। इन बुर्जों से किले की चारों तरफ निगहबानी की जाती होगी। पिछले 1500 सालों से मूक रहकर भी स्थापत्य कला (भवन और मूर्ति) का एक उत्कृष्ट स्थल गढ़वा का किला विश्वप्रसिद्ध गुप्त वंश के राजाओं की वैभवगाथा बयान कर रहा है। इस किला के विशाल प्रांगण में पंचकोणीय भव्य मन्दिर है, जो झील के बीच अवस्थित है। गढ़वा के किले में गुप्तवंश के राजाओं द्वारा जमा की गई धन-संपदा कई बार आक्रांताओं द्वारा लूट ली गई। ऐतिहासिक गुप्त काल के अवसान बाद यह किला भर राजाओं के अधीन हुआ, जहां से राजधानी बरगढ़ में स्थानांतरित कर दी गई।
प्रयागराज-बांदा राष्ट्रीय राजमार्ग से गढ़वा का किला लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर है। इस किला का स्थापत्य समय गुजरने के साथ जीर्ण-शीर्ण हो जमींदोज भी हो चुका है। इसका बच रहा अवशेष बेहतर रखरखाव के अभाव में धूप-बारिश के कारण धूल-धूसरित हो रहा हंै। बघेल राजवंश के संस्थापक कंधारदेव के बारहवें वंशज राजा हुकुम सिंह (कसौटा रियासत) ने इस किला का जीर्णोद्वार कराया था। गढ़वा किला में गुप्तकालीन 05 शिलालेख हैं। किला परिसर के पंचकोणीय मंदिर का गर्भ गृहखाली पड़ा है। कहते हैं कि इसमें स्थापित शिव प्रतिमा को अंग्रेज ले गए। आज भी किला परिसर में बिखरी पड़ी धूल-धूसरित और जमींदोज प्रतिमाएं बड़ी संख्या में देखी जा सकती हैं। अधिसंख्य भग्नावशेष स्थिति में हैं, जो इस बात को बयान करते हैं कि गढ़वा किला को कई बार लूटा गया। मुख्य मंदिर के पास भगवान विष्णु की पद्मासन मुद्रा में 10 फीट ऊंची विशाल प्रतिमा पड़ी हुई है। यहां विष्णु के सभी 12 अवतारों की मूर्तियां हैं। भगवान बुद्ध की भी एक पाषाण प्रतिमा है। पांच द्वारों वाला एक सभाकक्ष भी है, जिसकी छत भूतकाल में कभी वक्त की मार में उखड़ गई। किला परिसर में विशाल बावली आज भी मौजूद है। इसके बारे में जनश्रुति है कि बावली में रानी अपने रानिवास (कक्ष) से सुरंग के जरिये स्नान करने जाती थीं। सैकड़ों सालों तक जन-स्मृति से गायब रहे और इतिहास में उपेक्षित रहे इस किला परिसर में जंगल उग आया। यह किला 1872 में प्रकाश में आया तो इसके कुछ हिस्से की खुदाई कराई गई, जिसमें पुरातत्व विभाग को ऐतिहासिक महत्व की जानकारी प्राप्त हुई।
(रिपोर्ट, तस्वीर : भगवान प्रसाद उपाध्याय, साथ में इंद्रजीत मिश्रा)
ज्ञानज्योति में बालदिवस और मेसो में प्रतियोगिता की तैयारी
दाउदनगर (औरंगाबाद)-कार्यालय प्रतिनिधि। पुराना शहर स्थित ज्ञानज्योति शिक्षण केंद्र के सीनियर और जूनियर कक्षाओं के विद्यार्थियों को खेल के नियमों और विभिन्न खेलों के बारे में बताया गया। ज्ञानज्योति केेंद्र के निदेशक डा. चंचल कुमार ने बताया कि बाल दिवस के अवसर पर छोटे विद्यार्थियों के लिए खेल-कूद के साथ बड़े विद्यार्थियों के लिए निबंध लेखन प्रतियोगिता, सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता, मेंहदी प्रतियोगिता, संगीत प्रतियोगिता जैसे आयोजन होंगे। डा. चंचल कुमार ने जानकारी दी कि बाल दिवस के मौके पर कक्षा-5 तक के बच्चे का निशुल्क नामांकन किया जा रहा है।
एक अन्य समाचार के अनुसार, मेसो द्वारा संचालित महर्षि दयानंद सरस्वती पुस्तकालय के 30वें वार्षिकोत्सव पर सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन 24 अक्टूबर को होगा। प्रतियोगिता दो समूहों सीनियर और जूनियर वर्ग में होगी, जिनके पुरस्कार उसी दिन वितरित किए जाएंगे। इसके लिए विभिन्न विद्यालयों के विद्यार्थियों से संपर्क अभियान के लिए राहुल कुमार के नेतृत्व में विजय कुमार, संतोष कुमार, अशोक कुमार, जमीलर्रहमान, सुनील कुमार और भूपेंद्र कुमार का कार्य-समूह बनाया गया है।
(रिपोर्ट : निशांत राज)
एनएमसीएच में दीवाली मिलन समारोह
डेहरी-आन-सोन (रोहतास)-कार्यालय संवाददाता। जमुहार स्थित नारायण चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (एनएमसीएच) में 24 अक्टूबर को मरीजों के साथ दीवाली मिलन समारोह का आयोजन किया जा रहा है। यह जानकारी एनएमसीएच द्वारा जारी की गई प्रेस-विज्ञप्ति में दी गई। मरीजों के साथ दीवाली मिलन समारोह में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में शामिल आयुष्मान भारत गोल्डन कार्ड धारक मरीजों के साथ एनएमसीएच के चिकित्सक भी शामिल होंगे। इसके लिए आयुष्मान भारत योजना से स्वास्थ्य लाभ पा चुके मरीजों को आमंत्रित किया गया है। इस समारोह को मुख्य वक्ता के रूप में गोपालनारायण सिंह विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और सांसद गोपालनारायण सिंह संबोधित करेंगे। एनएमसीएच में 22 से 24 अक्टूबर तक उन लोगों का आयुष्मान भारत का गोल्डन कार्ड भी आरोग्य काउंटर पर बनाया जाएगा, जिन्हें योजना से संबंधित पत्र प्राप्त हुआ है। योजना के तहत गोल्डन कार्ड धारकों की विभिन्न बीमारियों का इलाज निशुल्क (पांच लाख रुपये तक) किया जाता है।
(रिपोर्ट : भूपेंद्रनारायण सिंह, पीआरओ)
शाहाबाद महोत्सव 10 नवम्बर को बिक्रमगंज में
बिक्रमगंज (रोहतास)-कार्यालय प्रतिनिधि। रोहतास जिला के बिक्रमगंज अनुमंडल मुख्यालय में शाहाबाद महोत्सव आयोजित करने का फैसला लिया गया है। महोत्सव में शाहाबाद प्रक्षेत्र से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों के अग्रणी व्यक्तियों को आमंत्रित किया जाएगा। 10 नवम्बर 1972 को शाहाबाद जिला प्रशासनिक सुविधा के लिए चार जिलों भोजपुर, रोहतास, कैमूर और बक्सर में विघटित किया गया था। शाहाबाद का पुराना क्षेत्र सदियों पहले से 20वींसदी तक आदिवासीराज, देशी रियासत, मुगल सल्तनत और ब्रिटिश उपनिवेश का हिस्सा रहा था। सामाजिक संस्था पहल के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश कुमार के अनुसार, शाहाबाद महोत्सव का आयोजन 10 नवम्बर को बिक्रमगंज इंटर कालेज मैदान में होगा।
(सूचना : सोनमाटीडाटकाम वाह्टसएप नेटवर्क)
काव्यसंग्रह : गगरिया छलकत जाए…!
पटना (सोनमाटी प्रतिनिधि)। बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के सभागार में डा. सुधा सिन्हा की काव्यकृति (गगरिया छलकत जाए) का लोकार्पण समारोहपूर्वक किया गया, जिसकी अध्यक्षता साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष अनिल सुलभ ने की और संचालन योगेन्द्र प्रसाद मिश्र ने किया। समारोह के मुख्य अतिथि जियालाल आर्य ने कहा कि यह पुस्तक आत्मीय कविताओं का संग्रह है। विशेष अतिथि रामउपदेश सिंह और नृपेन्द्रनाथ गुप्त ने कहा कि लोकार्पित पुस्तक से टिकाऊ कविता लिखने के काव्य-तत्व वाली पर्याप्त सामग्री उपलब्ध है। इस संग्रह की कविताओं में मोती-सा सौंदर्य भी है। इस अवसर पर काव्यगोष्ठी में अनिल सुलभ के साथ पूर्व आईएएस अधिकारी श्यामजी सहाय, घनश्याम, शंकर प्रसाद, श्रीकांत व्यास, डा. मेहता नागेन्द्र सिंह, सिद्धेश्वर, विजय गुंजन, ओमप्रकाश पांडेय, कल्याणी सिंह, कालिनी त्रिवेदी, जनार्दन प्रसाद, पंचू राम, पुष्पा जमुआर, पूनम श्रेय, अनुपमा, कुमारी मेनका, जयप्रकाश पुजारी, मीना कुमारी परिहार, मनोज गोवर्धन, इंदुमाधुरी, सिंधु कुमारी, लता प्रासर आदि ने काव्य-पाठ किया।
(रिपोर्ट :सिद्धेश्वर)